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'बंधकों को भूखा रख, राजाओं की तरह खाना खाते थे हमास के लड़ाके', रिहा हुए इजरायली ने सुनाई आपबीती

हमास की कैद से रिहा हुए एक इजरायली बंधक ने अपनी आपबीती सुनाई है. उन्होंने कहा है कि हमास के लड़ाके राजाओं की तरह खूब अच्छा-अच्छा खाना खाते थे और बंधकों को भूखा रखते थे. उन्होंने बताया कि कैद में रहने के दौरान उनका वजन 15 किलो कम हो गया.

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हमास की कैद से छूटे बंधक अपनी कहानी बयां कर रहे हैं (Photo- Reuters)
हमास की कैद से छूटे बंधक अपनी कहानी बयां कर रहे हैं (Photo- Reuters)

हमास की कैद से रिहा हुए 72 साल के इजरायल के 'दादा' लुइस हर ने बताया कि फिलिस्तीनी संगठन हमास के लड़ाके ठाठ-बाट से खाना खाते हैं. उन्होंने बताया कि हमास ने उन्हें भूखे रखा और जो थोड़ा-बहुत ब्रेड खाने को मिलता था, उसे भी एक लड़ाका छीनकर खा जाता था. 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने जिन लोगों को बंधक बनाया था उनमें लुइस भी शामिल थे और 129 दिनों तक वो हमास की कैद में रहे. उन्होंने याद किया कि उन्हें चार अन्य बंधकों के साथ गाजा के एक छोटे से अपार्टमेंट में बंदूक की नोक पर रखा गया था.

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लुइस ने बताया कि उन्हें अपने साथी बंदियों और पांच हथियारबंद गार्ड्स के लिए खाना बनाने का काम सौंपा गया था. शुरू में उन्हें खाना बनाने के लिए बहुत सी चीजें दी गईं जिससे उन्होंने शामशुका (अंडे, टमाटर और प्याज से बनने वाली डिश), ऑमलेट और सूप जैसी डिशेज बनाई. 

लेकिन जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ता गया, खाद्य आपूर्ति कम होती गई और बंधकों को बचा हुआ खाना दिया जाता था.

लुइस ने न्यूयॉर्क पोस्ट को बताया, 'धीरे-धीरे खाना कम होता गया. पहले अंडे खत्म हो गए. फिर पिटा ब्रेड कम हो गए. आखिरी दिनों में, अपार्टमेंट में मैं और फर्नांडो ही बचे रह गए थे. एक दिन के लिए हमें एक ही ब्रेड मिलता था. हम एक ही ब्रेड में से आधा-आधा बांटकर खा लेते थे. हम आधा ब्रेड भी एक बार में ही नहीं खा जाते थे बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके खाते थे ताकि वो पूरे दिन चले.'

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खाना छीनकर खा जाते थे हमास के लड़ाके

दो बंधकों के बीच हमास के लड़ाके एक बोतल पानी देते थे जिसे दोनों मिलकर पीते थे. लुइस ने बताया कि कई बार तो उनके पास जो थोड़ा-बहुत खाना होता था, हमास के लड़ाके उनसे लेकर खा जाते थे.

उन्होंने बताया कि उन्हें डर था कि अगर वो खाना नहीं खाएंगे तो मर जाएंगे इसलिए उन्होंने अपने ब्रेड को भी छिपाना शुरू कर दिया था. उन्होंने बताया, 'आतंकवादियों में से एक जो कुछ भी देखता था, उसे खा लेता था. वो जब भी अंदर आता और अगर उसने देख लिया कि हमें खाने के लिए पिटा दिया गया तो वो उसे ले लेता था. इसलिए हमने पिटा को तकिए के नीचे छिपाना शुरू कर दिया था.'

हमास का कहना है कि इजरायली सैन्य कार्रवाई के कारण गाजा में खाना खत्म हो रहा है, हमास की कैद से छूटे लुइस और अन्य बंधकों ने दावा किया है कि हमास ने नागरिकों के लिए पर्याप्त मात्रा में मानवीय सहायता जमा कर रखा है.

हमास की कैद से रिहा किए गए बंधक एली शरबी ने मार्च में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया,'एक तरफ बंधक भूखे मर रहे हैं, वहीं, दूसरी तरफ हमास राजाओं की तरह खाता है.'

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हमास की कैद में कम हो गया बंधकों का वजन

लुइस ने बताया कि हमास की कैद में रहने के दौरान उनका वजन 35 पाउंड (15.87 किलो) कम हो गया. वो 187 पाउंड (84.82 किलो) से घटकर 152 (68.946 किलो) के हो गए. इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि हमास की कैद में रहते हुए बंधकों का वजन 40% तक कम हो गया है.

लुइस ने वजन कम होने लेकर बताया, 'आप धीरे-धीरे चलते हैं. आप धीरे-धीरे बात करते हैं. आप जिंदा रहने के लिए हर काम धीरे-धीरे करते हैं.' खाना-पीना न मिलने के अलावा बंधकों को एक और चीज सताती थी कि कहीं हमास उन्हें मार न दे. लुइस ने कहा, 'हम सोते तो थे, लेकिन एक आंख खुली रहती थी. हम जानते थे कि हम किसकी कैद में हैं और अगर कोई उन्हें हमें मारने के लिए कहता तो वो तुरंत हमें मार देते.'

लुइस ने कहा कि हमास के लड़ाकों का मूड आश्चर्यजनक रूप से बदलता रहता था. उन्होंने बताया, 'एक दिन वो अच्छे मूड में होते थे, तो दूसरे दिन वो गुस्सैल हो जाते थे. उस समय हमें यह देखना होता था कि हम उनके मूड के हिसाब से व्यवहार करें.'

हर दो हफ्ते में एक बार नहाना और ओढ़ने के लिए पतनी चादर

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लुइस ने बताया कि उनके रहने की स्थिति बहुत खराब थी और बंधकों को हर दो हफ्ते में सिर्फ एक बार नहाने की अनुमति थी. दो बंधकों के नहाने के लिए एक बाल्टी ठंडा पानी दिया जाता था और साबुन का एक टुकड़ा. उन्हें टूथब्रश तक नहीं दिया गया और उन्हीं कपड़ों में रखा गया जिनमें उन्हें अगवा किया गया था. सर्दियों में उन्हें बस एक पतली चादर और छेद वाले मोजे दिए गए थे.

इजरायल और हमास में कुछ समय के लिए अस्थायी युद्ध विराम हुआ था लेकिन 18 मार्च को फिर से गाजा में लड़ाई शुरू हो गई. माना जा रहा है कि हमास की कैद में अब भी 24 बंधक जीवित हैं जबकि 35 अन्य के मृत होने का अनुमान है. 

हमास की कैद से आजाद होने के बाद लुइस हर उत्तरी अमेरिका में घूम-घूमकर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं ताकि दुनिया का ध्यान बंधकों की तरफ आकर्षित किया जा सके.

उन्होंने कहा, 'मैं सिर्फ बंधकों के परिवारों के लिए उम्मीद को जिंदा रखने की कोशिश कर रहा हूं. खबरों में कभी भी 7 अक्टूबर को लेकर ज्यादा बात नहीं होती और न ही इस पर बात होती है कि इसकी शुरुआत कैसे हुई. लोग सिर्फ ये सुनते हैं कि इजरायल ने कितने लोगों पर बमबारी की.'

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