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चांद के बाद भारत का मेगा सूर्य मिशन की कामयाब लॉन्चिंग, क्या कह रहा पाकिस्तानी मीडिया?

चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद से ही देश के साथ-साथ विश्व की निगाहें भी ISRO के सूर्य मिशन Aditya-L1 की लॉन्चिंग पर टिकी हुई थीं. इसरो ने इसे सफलतापूर्वक लॉन्च कर इतिहास रच दिया है. आदित्य एल-1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग को पाकिस्तानी मीडिया ने भी प्रमुखता से जगह दी है.

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फोटो- ISRO
फोटो- ISRO

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और इतिहास रचते हुए अपने पहले सूर्य मिशन PSLV-C57/Aditya-L1 की कामयाब लॉन्चिंग की है. यह लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से पूर्वाहन 11ः50 बजे की गई. लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन यह अपने पॉइंट एल1 तक पहुंचेगा. इसके बाद यह अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा.

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इससे पहले बीते सप्ताह इसरो के मून मिशन चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इसके साथ ही भारत चांद पर कदम रखने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया था. इसरो के पहले सूर्य मिशन की सफलापूर्क लॉन्चिंग को पाकिस्तान के सभी प्रमुख न्यूज चैनलों और वेबसाइटों ने प्रमुखता से कवर किया है. 

'भारत ने सूर्य के अध्य्यन करने के लिए लॉन्च किया रॉकेट'

पाकिस्तान के सबसे बड़े अंग्रजी अखबारों में से एक 'द डॉन' ने आदित्य एल-1 की कामयाब लॉन्चिंग को लेकर हेडिंग दी है- 'चांद के बाद, भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए रॉकेट लॉन्च किया.'

द डॉन ने समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से आगे लिखा है, 'चांद की सतह पर मून मिशन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के एक सप्ताह बाद ही भारत ने अपने पहले सौर मिशन में सूर्य का अध्ययन के लिए शनिवार को सफलतापूर्वक रॉकेट लॉन्च किया. इसरो की वेबसाइट पर लाइव प्रसारण में दिखाया गया कि सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिक ताली बजा रहे थे.'

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वेबसाइट ने आगे लिखा है, 'आदित्य-एल1 चार महीने की यात्रा में लगभग 15 लाख किलोमीटर यानी 9,30,000 मील की दूरी तयकर एक निश्चित स्थान पर पहुंचेंगा.'

'भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष यान लॉन्च किया'

पाकिस्तान की न्यूज वेबसाइट 'जियो टीवी' ने आदित्य एल-1 की कामयाब लॉन्चिंग को लेकर हेडिंग दी है- 'चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष यान लॉन्च किया'

वेबसाइट ने आगे लिखा है, 'भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने पहले सौर मिशन के लिए शनिवार को अंतरिक्ष यान आदित्य एल-1 रॉकेट लॉन्च किया. यह सूर्य के वायुमंडल का अध्ययन करेगा. आदित्य एल 1 की कामयाब लॉन्चिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के एक सप्ताह बाद हुई है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वेबसाइट पर इसका लाइव प्रसारण किया गया.'

जियो टीवी ने आगे लिखा है कि इसरो ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है कि सेटेलाइट अब अपनी कक्षा में है. 

'भारत ने अपना पहला अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया'

पाकिस्तान का एक और बड़ा अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने आदित्य एल-1 की कामयाब लॉन्चिंग को लेकर हेडिंग दी है- 'भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए अपना पहला अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया.'

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है, 'भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए शनिवार को अपना पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू किया. सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को ऐसे समय में लॉन्च किया गया है जब एक सप्ताह पहले ही इसरो के मून मिशन चंद्रयान-3 ने दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापू्र्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है. प्रेस सूचना ब्यूरो के अनुसार, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को स्थानीय समयानुसार सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया.'

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भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा

पाकिस्तान की एक और न्यूज वेबसाइट 'द न्यूज इंटरनेशल' ने आदित्य एल-1 की सफल लॉन्चिंग को लेकर हेडिंग दी है- 'चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए मिशन लॉन्च किया.'

वेबासाइट ने समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से आगे लिखा है, 'चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को रॉकेट लॉन्च के साथ अपने सौर मिशन आदित्य एल-1 की शुरुआत कर दी है. भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 कई उपकरणों से सुसज्जित है, जो सूर्य के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा. आदित्य-एल1 की कामयाब लॉन्चिंग भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित होगा.'

 क्या है आदित्य L1?

Aditya-L1 भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेटरी (Space Based Observatory) है. यह सूरज से इतनी दूर तैनात होगा कि उसे गर्मी तो लगे लेकिन खराब न हो. क्योंकि सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है. केंद्र का तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है.

आदित्य-L1 अपनी यात्रा की शुरुआत लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) से करेगा. यानी PSLV-XL रॉकेट उसे तय LEO में छोड़ देगा.  इसके बाद धरती के चारों तरफ 16 दिनों तक पांच ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा. फिर शुरू होगी क्रूज फेज. यह थोड़ी लंबी चलेगी. आदित्य-L1 को हैलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में डाला जाएगा. जहां पर L1 प्वाइंट होता है. इस यात्रा में इसे 109 दिन लगेंगे. इसे कठिन इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसे दो बड़े ऑर्बिट में जाना है.

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