भारतीय मछुआरों सरकार के दबाव में पहले तो इटली के विदेश मंत्री को हत्या के आरोप झेल रहे 2 नौसैनिकों को भारत भेजना पड़ा लेकिन उसी दबाव को ना झेल पाने के कारण उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
टैरेजी का इस्तीफा देने का यह फैसला दोनों मैरीन- मैस्सिमिलियानो लातोर और साल्वातोर गिरोने को नहीं भेजने के अपने पिछले निर्णय को इटली सरकार द्वारा पलटने के चार दिन बाद आया है. दोनों पर पिछले साल फरवरी में केरल तट से दूर समुद्र में दो भारतीय मछुआरों की हत्या को लेकर हत्यारोप है.
पहले इटली दोनों मैरीन को वापस भेजने के आश्वासन से मुकर गया था लेकिन बाद में जब भारत सरकार और वहां की शीर्ष अदालत ने दबाव बढ़ाया और भारत सरकार ने रोम के साथ संबंध घटाने की चेतावनी दी तब वह अपने रुख से पीछे हटा. इतालवी संवाद समिति एएनएसए के अनुसार 66 वर्षीय टैरेजी ने संसद में अपने इस्तीफे की घोषणा की.
उन्होंने कहा, ‘मैरीन को भारत वापस भेजने के फैसले से उत्पन्न विवाद के सिलसिले में मैं इस्तीफा दे रहा हूं. मैंने जो बात कही थी, उसका इस फैसले पर कोई असर नहीं है.’ टैरेजी ने कहा, ‘मैं इस्तीफा दे रहा हूं क्योंकि 40 साल तक मैं इस बात पर कायम रहा और अब भी कायम हूं कि देश, सशस्त्रबलों और इतालवी राजनय की प्रतिष्ठा सुरक्षित रखी जाए.’
उन्होंने कहा, ‘मेरी आपत्ति का (इस फैसले पर) कोई असर नहीं है और यह फैसला मेरा नहीं है. मेरी आवाज अनसुनी रह गयी.’ उन्होंने कहा, ‘मैं अपने दोनों मैरीन एवं उनके परिवार के साथ खड़ा नहीं रह पाया.’
हालांकि रक्षा मंत्री जियामपाओलो डि पाओला ने कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे लेकिन वह मैरीन के साथ हैं. इतालवी मैरीन 22 मार्च को सेना के विशेष विमान से इतालवी उप विदेश मंत्री स्टेफन डि मिस्टूरा के साथ दिल्ली लौट गए थे. उससे पहले भारत ने इटली को आश्वासन दिया कि उन्हें मौत की सजा का सामना नहीं करना पड़ेगा और न ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.
इसी के साथ दोनों देशों के बीच 11 दिनों से जारी राजनयिक विवाद खत्म हुआ. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने इस बात से इनकार किया था कि दोनों मैरीन को वापस लाने के लिए कोई सौदा हुआ लेकिन भारत सरकार ने इटली को स्पष्ट किया कि इस मामले में मौत की सजा नहीं होगी.