इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने लेबनान जाने का ऐलान किया है. इजरायल की बमबारी के बीच उनकी यात्रा काफी अहम है. यहां वह इटली के सैनिकों से मुलाकात करेंगी. इटली सेना के 1000 सैनिक यूएन पीसकीपिंग फोर्स के रूप में यहां तैनात हैं. इजरायल इन दिनों यूनाइटेड नेशन के साथ उलझा हुआ है, जिसे पीएम नेतन्याहू ने युद्ध क्षेत्र छोड़ने की चेतावनी दी है. बीते दिनों आरोप लगे थे कि इजरायली सेना ने पीसकीपिंग फोर्स को भी निशाना बनाया है.
अपनी यात्रा से पहले इटली पीएम ने कहा कि इजरायल की मांग पर लेबनान से पीसकीपर्स को हटाने के 'गंभीर परिणाम' हो सकते हैं. जॉर्जिया मेलोनी ने इटली की सीनेट को बताया कि उन्होंने इस मामले पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत की है और उनका यह मानना है कि इजरायली सेना की गतिविधियां "संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन" हैं. इजरायल ने जानबूझकर संयुक्त राष्ट्र के सैनिकों को निशाना बनाने से इनकार किया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सभी पक्षों से पीसकीपर्स की सुरक्षा की अपील की है.
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जर्मनी, फ्रांस, और ब्रिटेन ने भी जारी किया बयान
जॉर्जिया मेलोनी यूरोपीय देश में इजरायल की बड़ी समर्थक मानी जाती हैं, जिन्होंने नेतन्याहू से मानवाधिकार कानूनों का पालन करने की भी अपील की है. जर्मनी, फ्रांस, और ब्रिटेन ने भी इसी मामले में संयुक्त बयान जारी किया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी पीसकीपर्स पर जानबूझकर हमला अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है.
इटली पीएम मेलोनी की यह यात्रा और सुरक्षा गारंटी की मांग अंतरराष्ट्रीय नीति में इटली की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है. लेबनान के संसदीय अध्यक्ष नबिह बेरी ने यूएन पीसकीपर्स के कमांडर की साहसिक भुमिका की सराहना की है और उन्हें दक्षिणी लेबनान में शांति बनाए रखने में मदद करने की पहल के लिए समर्थन दिया है.
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इजरायल के यूएन फोर्स पर आरोप
यूनाइटेड नेशन के अधिकारियों को गाजा में भी निशाना बनाया गया है, जहां वे स्थानीय स्तर पर असहाय लोगों की सेवा में जुटे हैं. लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों से निपटने के लिए पीसकीपर्स की तैनाती की गई थी. हालांकि, इजरायल ने बीते दिनों पीसकीपर्स पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं, जिसमें यूएन बैरक के पास हिज्बुल्लाह के टनल होने का दावा शामिल है.