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जेलेंस्की से मुलाकात के बाद बोलीं जॉर्जिया मेलोनी- भारत रुकवा सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध, पुतिन ने भी कही थी यही बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 23 अगस्त को यूक्रेन की अपनी यात्रा के दौरान, वोलोदिमीर जेलेंस्की से रूस के साथ सीधी बातचीत में शामिल होने का आग्रह किया था और इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को युद्ध को समाप्त करने में देरी नहीं करनी चाहिए.

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इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध का समाधान खोजने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. (AFP Photo)
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध का समाधान खोजने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. (AFP Photo)

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बाद अब इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भी कहा है कि भारत यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. रूस और यूक्रेन फरवरी 2022 से ही युद्ध में उलझे हुए हैं. मेलोनी की यह टिप्पणी शनिवार को सेर्नोबियो में एम्ब्रोसेटी फोरम में उनके संबोधन के दौरान आई. उन्होंने इसके कुछ देर पहले ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की थी. इटली की पीएम ने जब यह टिप्पणी की उस समय भी यूक्रेनी राष्ट्रपति उनके साथ मंच पर उपस्थित थे.

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जॉर्जिया मेलोनी ने अपने संबोधन के दौरान कहा, 'यह स्पष्ट है कि यदि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होगा तो संघर्ष और संकट और बढ़ेगा. लेकिन यह भी स्पष्ट है कि संकट के बढ़ने के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था प्राकृतिक रूप से प्रभावित होगी. अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नियमों का उल्लंघन और इकोनॉमिक ग्लोबलाइजेशन एक साथ नहीं चल सकते. मेरा मानना ​​है कि संघर्ष को सुलझाने में चीन और भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है. एकमात्र चीज जो नहीं हो सकती वह यह सोचना है कि यूक्रेन को छोड़ कर संघर्ष को हल किया जा सकता है.' 

इटली के लिए यूक्रेन का समर्थन सबसे पहले: मेलोनी

मेलोनी ने कहा, 'इटली के लिए यूक्रेन का समर्थन करने का विकल्प सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित का विकल्प रहा है, और यह एक ऐसा विकल्प है जो नहीं बदलेगा.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 23 अगस्त को यूक्रेन की अपनी यात्रा के दौरान, वोलोदिमीर जेलेंस्की से रूस के साथ सीधी बातचीत में शामिल होने का आग्रह किया था और इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को युद्ध को समाप्त करने में देरी नहीं करनी चाहिए. बता दें कि 1991 में सोवियत संघ से अलग होकर अगल यूक्रेन देश बनने के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वहां यह पहली यात्रा थी. यूक्रेन से लौटने के तुरंत बाद पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फिर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर वार्ता की थी.

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शांति वार्ता में भारत निभा सकता है भूमिका: पुतिन

दो दिन पहले व्लादिमीर पुतिन ने भी माना था कि भारत इस क्षेत्र में जारी संकट का समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए, पुतिन ने जोर देकर कहा कि इस्तांबुल वार्ता के दौरान जिन समझौता पर सहमति बनी थीं और जिन्हें लागू नहीं किया जा सका, वे भविष्य की शांति चर्चा के लिए आधार बन सकते हैं. पुतिन ने यूक्रेन संघर्ष पर उनके साथ संपर्क में रहने वाले तीन देशों का नाम लिया, जिसमें भारत भी शामिल था और कहा कि वे इस सकंट को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं.

हमने शांति वार्ता से कभी इनकार नहीं किया: पुतिन

व्लादिमीर पुतिन ने कहा था, 'क्या हम उनके (यूक्रेन) साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं? हमने ऐसा करने से कभी इनकार नहीं किया है. लेकिन वार्ता कुछ अल्पकालिक मांगों के आधार पर नहीं होगी, बल्कि उन दस्तावेजों के आधार पर होगी जिन पर सहमति बनी थी और वास्तव में इस्तांबुल में इसकी पहल की गई थी.' इसके अलावा, पुतिन ने सुझाव दिया कि चीन, भारत और ब्राजील संभावित रूप से यूक्रेन से संबंधित भविष्य की शांति वार्ता में मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकते हैं.

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यूक्रेन का समर्थन करना नैतिक रूप से सही: मेलोनी

रूस ने पहले कहा था कि कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन की घुसपैठ ने शांति वार्ता को असंभव बना दिया है. व्लादिमीर पुतिन की यह टिप्पणी पीएम मोदी द्वारा रूस और यूक्रेन दोनों की अपनी यात्रा के दौरान 'संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता' पर जोर देने के कुछ सप्ताह बाद आई. इस बीच जॉर्जिया मेलोनी ने कहा कि इटली यूक्रेन के लिए अपने समर्थन से कभी पीछे नहीं हटेगा. उन्होंने कहा, 'यूक्रेन का समर्थन करने का निर्णय न केवल नैतिक रूप से सही है, बल्कि राष्ट्रीय हित में भी है. क्योंकि इसका उद्देश्य यूक्रेन की राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा के लिए बनाए गए नियमों की रक्षा करना है.'

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