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'युद्ध के मैदान पर नहीं निकलेगा हल, बात तो करनी होगी', रूस-यूक्रेन जंग पर जर्मनी में बोले विदेश मंत्री जयशंकर

रूस-यूक्रेन युद्ध पर उन्होंने कहा, 'हमें नहीं लगता कि यह संघर्ष युद्ध के मैदान पर हल होने वाला है. किसी स्तर पर, कुछ बातचीत करनी होगी. जब भी कोई बातचीत होगी उसमें दोनों पक्षों, रूस और यूक्रेन, को शामिल होना होगा.' उनकी टिप्पणी सोमवार को रियाद में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ 'सार्थक बातचीत' के एक दिन बाद आई है.

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जर्मनी में विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो: PTI)
जर्मनी में विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो: PTI)

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि रूस और यूक्रेन को बातचीत करनी होगी और अगर वे सलाह चाहते हैं तो भारत हमेशा सलाह देने को तैयार है. उन्होंने रेखांकित किया कि यूक्रेन संघर्ष को युद्ध के मैदान पर हल नहीं किया जा सकता है.

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बर्लिन में जर्मन विदेश मंत्रालय के वार्षिक राजदूत सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए, जयशंकर ने कहा कि भारत ने 'चीन से व्यापार के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं', लेकिन मुद्दा यह है कि देश बीजिंग के साथ किन क्षेत्रों में और किन शर्तों पर व्यापार करता है.

'संघर्ष युद्ध के मैदान पर हल नहीं होगा'

रूस-यूक्रेन युद्ध पर उन्होंने कहा, 'हमें नहीं लगता कि यह संघर्ष युद्ध के मैदान पर हल होने वाला है. किसी स्तर पर, कुछ बातचीत करनी होगी. जब भी कोई बातचीत होगी उसमें दोनों पक्षों, रूस और यूक्रेन, को शामिल होना होगा.' उनकी टिप्पणी सोमवार को रियाद में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ 'सार्थक बातचीत' के एक दिन बाद आई है.

'आपको बातचीत करनी होगी'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस और यूक्रेन यात्रा को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने मॉस्को और कीव में कहा था कि 'यह युद्ध का युग नहीं है'. उन्होंने कहा, 'हमें नहीं लगता कि आप युद्ध के मैदान से कोई समाधान निकाल पाएंगे. हमें लगता है कि आपको बातचीत करनी होगी. अगर आप सलाह चाहते हैं, तो हम हमेशा सलाह देने को तैयार हैं.' 

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'क्वाड एक बेहद सफल प्रयोग रहा'

उन्होंने कहा कि देशों में मतभेद हैं, लेकिन संघर्ष उन्हें सुलझाने का रास्ता नहीं है. जयशंकर ने यह भी कहा कि क्वाड एक बेहद सफल प्रयोग रहा है. भारत क्वाड समूह का सदस्य है, जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं. चीन क्वाड का लगातार विरोध करता रहा है. उन्होंने कहा कि चार अलग-अलग कोनों पर स्थित भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर काम करने का फैसला किया और इस तरह हमने क्वाड को पुनर्जीवित किया.

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