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चुनावी रैली और 11:30 बजे का वक्त... जापान के पीएम पर जानलेवा हमले ने याद दिलाई शिंजो आबे की हत्या

जापान के पीएम फुमियो किशिदा एक रैली में भाषण देने वाले थे कि ठीक इसी दौरान उन पर स्मोक बम से हमला हुआ. इस हमले में जापानी पीएम तो बच गए, लेकिन इससे 9 महीने पहले का वह वक्त याद आ गया जब जापान में पूर्व पीएम शिंजो आबे की गोली मारकर हत्या की गई थी. शिंजो आबे भी चुनावी रैली में अपना भाषण देने पहुंचे थे.

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तस्वीर में दिख रहे पहले शख्स ने पूर्व पीएम शिंजो आबे पर हमला किया था. दूसरे शख्स ने पीएम फुमियो किशिदा पर हमला किया है.
तस्वीर में दिख रहे पहले शख्स ने पूर्व पीएम शिंजो आबे पर हमला किया था. दूसरे शख्स ने पीएम फुमियो किशिदा पर हमला किया है.

बीते साल 2022 की जुलाई का महीना, तारीख थी 8 और दिन था शुक्रवार. दो दिन बाद ही रविवार को तब के जापान में ऊपरी सदन के चुनाव होने वाले थे. इसी चुनाव के लिए अभियान को अंतिम धार देने पूर्व पीएम शिंजो आबे जापान के नारा शहर पहुंचे हुए थे. यहां उन्हें एक जनसभा करनी थी. सुबह के 11-11:30 बजे का वक्त रहा होगा. तय समय पर शिंजो आबे पोर्डियम पर पहुंचे और जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया, पीछे की ओर से आई एक बुलेट सीने से पार हो गई, ठीक इसी समय दूसरी गोली गरदन में जा धंसी. आबे लोगो के सामने सड़क पर गिर पड़े, सुरक्षाकर्मियों ने उठाकर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तमाम डॉक्टरी जद्दोजहद के बाद भी पीएम की जान नहीं बच सकी. 

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सिर्फ 9 महीने में एक जैसे हमले

तकरीबन 9 महीने पहले जापान में घटी ये वारदात, सिलसिलेवार किसी फ्लैश बैक की तरह शनिवार को फिर से जेहन में आ गई, जब जापान के पीएम फुमियो किशिदा की सभा में विस्फोट की खबर सामने आई. ठीक 9 महीने पहले की ही तरह उसी वक्त में और चुनावी सभा में भाषण देने के दौरान यह हमला किया गया है. इस हमले के बाद पूर्व पीएम शिंजो आबे की हत्या और इस विस्फोटक हमले में कई समानताएं पाई जा रही हैं जो कि सुरक्षा चूक से लेकर और भी कई तरह के सवाल खड़े कर रही हैं. सबसे बड़ी बात की दोनों ही हमलों में 11 से 12 बजे के बीच का समय भी समान है.

चुनावी रैली में भाषण देने पहुंचे थे पीएम फुमियो किशिदा

हुआ यूं कि, जापान के पीएम फुमियो किशिदा,  वाकायामा शहर में एक इलेक्शन रैली में भाषण देने पहुंचे थे. इसी दौरान एक व्यक्ति ने स्मोक बम फेंक दिया. इस धमाके से मौके पर अफरा-तफरी मच गई. सुरक्षा बलों ने फौरन PM को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. इसके कुछ देर बाद संदिग्ध हमलावर को पकड़ लिया. घटना के कुछ फोटो-वीडियो सामने आए हैं. एक तस्वीर में सुरक्षाकर्मी संदिग्ध हमलावर को पकड़े हुए हैं. इसके कुछ देर बाद PM किशिदा ने अपनी स्पीच पूरी की.यह सबकुछ ठीक वैसा ही है, चुनावी रैली में पीएम का सभा में पहुंचना, उन पर हमला होना, और मौके पर ही हमलावर का पकड़ा जाना. अंतर इतना भर है कि वर्तमान पीएम किशिदा इस हमले में सुरक्षित रहे, तो वहीं दुर्भाग्यवश शिंजो आबे की इस हमले में मौत हो गई थी. हालांकि हमलावर ने स्मोक बम से हमला किया, सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इसके जानलेवा परिणाम तो नहीं होते हैं, लेकिन शरीर पर गंभीर असर हो सकते हैं, लेकिन यह कहा जा रहा है कि हमलावर जानलेवा हमला भी कर सकता था.

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यानी पहली नजर में यह मामला तो पूरी तरह सुरक्षा में चूक का है. अपने एक पीएम को गंवाने के बाद भी ठीक 9 महीने में वैसा ही दूसरा हमला देख रहा जापान और प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगी एजेंसी ने इस दिशा में शायद कड़े बदलाव नहीं किए हैं. 

क्यों हुआ पीएम किशिदा पर हमला?

इस हमले के पीछे के कारणों को लेकर अभी कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है. हालांकि ऐसे संकेत हैं कि निचले सदन के होने वाले चुनावों को प्रभावित करने के लिए ये हमला किया गया, लेकिन स्पष्ट तौर पर इसे लेकर अभी कोई बयान सामने नहीं आया है. हमलावर की मंशा अगर ये रही हो कि इस हमले के जरिए वह चुनावों में LDP की सफलता के मौके कम कर दे तो इसमें भी वह असफल रहेगा. क्योंकि एलडीपी ने इसे किशिदा पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हुआ हमला करार दिया है. ऐसे में हमले का मोटिव क्या था वह स्पष्ट नहीं हो सका है. 

इसलिए हुई थी पूर्व पीएम शिंजो आबे की हत्या

शिंजो आबे की हत्या के पीछे की वजह थी, एक धार्मिक संगठन की ओर उनका झुकाव. जापान में यूनिफिकेशन चर्च की ओर पूर्व पीएम शिंजो आबे का झुकाव था. यह चर्च दक्षिण-कोरियाई धार्मिक संगठन है जो जापान में 41 वर्षों से काम कर रहा है. इस चर्च को आधिकारिक तौर पर फैमिली फेडरेशन फॉर वर्ल्ड पीस एंड रीयूनिफिकेशन के रूप में जाना जाता है. शिंज आबे के हमलावर ने कहा था कि उसने यूनिफिकेशन चर्च के साथ सहानुभूति रखने वाले 67 वर्षीय शिंजो आबे को निशाने पर लिया था, क्योंकि वह इस धार्मिक संगठन से असंतुष्ट था. शिंजो आबे के 42 वर्षीय हमलावर यामागामी के परिवार से इस चर्च ने 100 मिलियन येन का दान लिया था, जिसने उसके परिवार को कंगाल बना दिया था. 

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आने वाले इवेंट पर कितना पड़ेगा असर?

इस हमले के बाद सरकार की चिंता आने वाले कई आयोजनों और कार्यक्रमों को लेकर भी है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह घटना जापान में होने वाले आगामी इवेंट पर असर डालेगी. बता दें कि जापान अगले महीने हिरोशिमा में सात शिखर सम्मेलन के समूह की मेजबानी करने के लिए तैयार है. परंपरागत तौर पर , इन शिखर सम्मेलनों को भारी सुरक्षा के बीच, जन सामान्य की आबादी से दूर के इलाके में आयोजित किया जाता है. इस दौरान यूरोपीय संघ के साथ ही कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के प्रमुख शामिल होंगे.

कैसी होती है जापान में पीएम की सुरक्षा

जापान में प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था भारत के पीएम की तरह नहीं होती है. जापान में काफी कठोर कानून है. वहां बहुत कम विदेशी लोग हैं. सुरक्षित देश में सिक्योरिटी की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन शिंजो आबे पर हमले के बाद पुलिस ने इसको लेकर रिव्यू किया था और सुरक्षा पहले ज्यादा चाक चौबंद रखी गई थी, लेकिन अब मौजूदा प्रधानमंत्री की सभी में ब्लास्ट को लेकर जापान पुलिस को एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रिव्यू करना होगा क्योंकि आने वाले कुछ समय में हिरोशिमा शहर में जी7 की तैयारी भी हो रही है.

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जापान 90 साल पहले भी देख चुका है अपने पीएम की हत्या

शिंजो आबे की हत्या से 90 साल पहले भी जापान अपने प्रधानमंत्री की हत्या देख चुका है. ये हत्या तख्तापलट करने की कोशिश में हुई थी. हालांकि, तख्तापलट हो नहीं पाया था. 13 दिसंबर 1931 को इनुकाई सुयोशी जापान के प्रधानमंत्री बने. इसके कुछ दिन बाद ही लंदन नौसेना के साथ एक संधि हुई, जिसमें इंपीरियल जापानी नेवी का साइज सीमित करने पर सहमति बनी. इस फैसले से इंपीरियल जापानी नेवी से जुड़े युवा नौसेनिकों में असंतोष बढ़ गया. उन्होंने सत्ता को उखाड़ फेंकने के मकसद से आंदोलन छेड़ दिया और 15 मई 1932 को नेवी के 11 युवा अफसरों ने प्रधानमंत्री आवास में घुसकर इनुकाई सुयोशी की हत्या कर दी थी.

 

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