जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अजहर ने दावा किया है कि 1999 में कंधार में हाईजैक किए गए भारतीय विमान आईसी-814 के यात्रियों और क्रू की अदला-बदली करने के बाद भारत ने तालिबान सरकार को पैसे का ऑफर दिया था ताकि वो मसूद और उसके दो अन्य साथियों को पकड़कर उसके हवाले कर दे.
जसवंत सिंह ने तालिबान को दिया था ऑफर
अजहर ने दावा किया है कि तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने ये ऑफर तालिबान के चीफ मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर को दिया था, जो पिछले महीने अमेरिका के ड्रोन हमले में मारा जा चुका है. विमान के हाईजैक के वक्त मंसूर तालिबान के इस्लामिक अमीरत ऑफ अफगानिस्तान का नागरिक उड्डयन मंत्री था.
कंधार एयरपोर्ट पर मंसूर ने मसूद को किया था रिसीव
अल कायदा के साप्ताहिक अखबार में 3 जून के संस्करण में अजहर ने मंसूर की मौत की खबर देते हुए इस बात का जिक्र किया है. 31 दिसंबर 1999 को कंधार स्वैप में अजहर और उसके साथियों मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को रिहा किया गया था. मंसूर ने कंधार एयरपोर्ट पर अजहर को रिसीव किया था और उसे अपनी लैंड क्रूजर कार में अपने साथ ले गया था.
जसवंत से मुलाकात की जानकारी मंसूर ने दी थी
मसूद ने लिखा कि मंसूर ने उसे बताया था कि जसवंत सिंह उससे मिले थे. मंसूर के मुताबिक जसवंत सिंह ने उससे कहा था कि आप मसूद को गिरफ्तार करके हमें सौंप दें, हम आपकी हुकूमत को मालामाल करेंगे.
पूर्व राजनयिक ने खबर को बताया गलत
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान की डेस्क संभाल रहे पूर्व राजनयिक विवेक काटजू ने इस बात को नकार दिया है. उन्होंने कहा, 'मुझे ऐसा कुछ याद नहीं. मैं जसवंत सिंह के साथ था. ये आधारहीन खबर है.' हाईजैक के दौरान कंधार एयरपोर्ट पर मौजूद रॉ के पूर्व ऑफिसर आनंद अर्नी ने भी कहा, 'जहां तक मुझे याद है, मुझे नहीं लगता कि मंसूर और जसवंत सिंह मिले थे.'