अमेरिका में भारतीय मूल के फिजिशियल डॉ. भरत बरई को सम्मानित किया गया है. उन्हें यहूदी विरोधी भावना के खिलाफ खड़े होने और भारत-अमेरिका-इजरायल के बीच संबंध मजूबत करने के प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया है. उन्हें अमेरिका में यहूदियों के एक संगठन 'स्टैंड विद यूएस' ने 'कैम्पस चैम्पियनशिप गाला' अवॉर्ड से नवाजा गया है.
डॉ. बरई छह बार इजरायल की यात्रा कर चुके हैं. और भारत-इजरायल संबंधों को मजबूत करने की वकालत करते रहे हैं.
सम्मानित होने के बाद डॉ. बरई ने कहा, 'दुनियाभर के हिंदुओं के साथ-साथ सभ्य समाज के ज्यादातर लोगों ने इस क्रूर और बर्बर हमास की निंदा की है. और यूहदियों के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है.'
उन्होंने उम्मीद जताई कि जब इजरायल हमास का खात्मा कर देगा, तब मिडिल ईस्ट के ज्यादातर देश अब्राहम समझौते से जुड़ जाएंगे.
जाने-माने डॉक्टर हैं डॉ. बरई
डॉ. भरत बरई अमेरिका के जाने-माने डॉक्टर हैं. वो अमेरिका में हिंदू-अमेरिकी समुदाय के नेता भी हैं. साथ ही यहूदी विरोधी भावना के खिलाफ मुखर रहे हैं. डॉ. बरई भारत-इजरायल के साथ-साथ हिंदू-यहूदी समुदाय के बीच मजबूत संबंधों की वकालत करते हैं.
1948 में मुंबई में जन्मे डॉ. बरई ने गुजरात के बड़ौदा मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की. 1970 के दशक में वो अमेरिका चले गए थे. वहां उन्होंने मेडिसिन, मेडिकल ऑन्कोलॉजी और हेमेटोलॉजी की डिग्री हासिल की.
स्टैंड विद यूएस का कहना है कि डॉ. बरई भारत, अमेरिका और इजरायल के संबंधों को बढ़ावा देने में सक्रिय रहे हैं.
प्रवासी भारतीय सम्मान भी मिल चुका
साल 2017 में डॉ. बरई को 'प्रवासी भारतीय सम्मान' से भी सम्मानित किया जा चुका है.
विदेशों में रहने वाले भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को दिया जाने वाला ये सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.
पीएम मोदी के हैं खास
डॉ. बरई को प्रधानमंत्री मोदी का खास माना जाता है. अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी के होने वाले कार्यक्रमों में डॉ. बरई की बड़ी भूमिका रहती है.
साल 2014 में न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वॉयर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था. इसमें भी डॉ. बरई की अहम भूमिका रही थी.
इससे पहले 2005, 2007, 2009, 2011 और 2013 में 'गुजरात दिवस' के मौके पर पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 20 अमेरिकी शहरों में बसे भारतीयों से बात की थी. इस कार्यक्रम को भी डॉ. बरई ने ही सफल बनाया था.
इतना ही नहीं, 2008 में यूपीए सरकार के दौरान जब भारत-अमेरिका के बीच न्यूक्लियर डील होने वाली थी, तो डॉ. बरई ने ही अमेरिका से इसकी पैरवी की थी.