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झुंपा लाहिड़ी अमेरिका के 'नेशनल बुक अवार्ड' के लिए शॉर्टलिस्‍ट

पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय मूल की लेखिका झुंपा लाहिड़ी को अमेरिका के 'नेशनल बुक अवार्ड' की उपन्यास श्रेणी में नॉमिनेट किया गया है. इसके एक दिन पहले उन्हें उनके नए उपन्यास 'द लोलैंड' के लिए 'मैन बुकर' पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था.

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झुंपा लाहिड़ी
झुंपा लाहिड़ी

पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय मूल की लेखिका झुंपा लाहिड़ी को अमेरिका के 'नेशनल बुक अवार्ड' की उपन्यास श्रेणी में नॉमिनेट किया गया है. इसके एक दिन पहले उन्हें उनके नए उपन्यास 'द लोलैंड' के लिए 'मैन बुकर' पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था.

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1960 के दशक में कोलकाता में रहने वाले दो भाइयों की कहानी पर आधारित लाहिड़ी के उपन्यास के अलावा लेखक टॉम ड्रुरी का 'पेसिफिक', एलिजाबेथ ग्रैवर्स का 'द एंड ऑफ द प्वाइंट' और रचेल कुशनर का 'द फ्लेमथ्रोअर्स' भी इस पुरस्कार की दौड़ में शामिल हैं.

नेशनल बुक फाउंडेशन ने कहा कि यंग पीपुल्स के साहित्य, कविता, उपन्यास और गैर उपन्यास की श्रेणी में अंतिम दौर में पहुंचने वाले लेखक-लेखिकाओं के नाम की घोषणा 16 अक्टूबर को की जाएगी. विजेता का नाम 20 नवंबर को न्यूयार्क में घोषित होगा.

झुंपा लाहिड़ी का प. बंगाल से गहरा ताल्‍लुक
लंदन में जन्मी लाहिड़ी (46) न्यूयार्क के ब्रुकलिन में रहती हैं और उनका संबंध पश्चिम बंगाल से है. उन्होंने इससे पहले तीन किताबें लिखी हैं. उनकी पहली पहली किताब 'इंटरपेट्रर ऑफ मालादीज' कहानियों की सीरीज थी, जिसे पुलित्जर पुरस्कार और पीईएन हेमिंग्वे अवार्ड मिला था.

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उनके उपन्यास 'द नेमसेक ' को भी काफी चर्चा मिली थी और प्रसिद्ध फिल्मकार मीरा नायर ने इसी नाम से इस पर एक फिल्म भी बनाई थी.

उनकी दूसरी पुस्तक 'अनअकस्टम्ड अर्थ' थी और उसे न्यूयार्क टाइम्स बुक रिव्यू में टॉप 10 पुस्तकों में स्थान दिया गया था.

झुंपा के हालिया उपन्यास की समीक्षा में न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा था, 'लाहिड़ी ने भारतीय अप्रवासियों के अमेरिका में खुद को ढालने की कोशिश को ध्यानपूर्वक देखकर लिखी गई कहानियों से अपना नाम बनाया था. उनका नया उपन्यास 'द लोलैंड' इसके विपरीत आश्चर्यजनक रूप से पेश किया गया ओपरा है. यह निश्चित रूप से लाहिड़ी का सबसे महत्वाकांक्षी काम है.'

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