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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को लगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज

जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को फाइजर वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा सकती है. कुछ समय पहले ही फेडरल रेगुलेटर ने इसका प्रस्ताव रखा था. इसी वजह से राष्ट्रपति जो बाइडेन को फाइजर की बूस्टर डोज दी गई.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को लगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को लगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जो बाइडेन को लगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज
  • मॉडर्ना के बूस्टर डोज को मिल सकती है मंजूरी
  • गरीब देश नाराज, वैक्सीन सप्लाई बढ़ाने की मांग

एक समय पूरी दुनिया के लिए कोरोना का एपीसेंटर बना रहा अमेरिका अब टीकाकरण पर खास ध्यान दे रहा है. उसका ध्यान उस बूस्टर डोज पर भी है जिसको लेकर कहा जा रहा है कि कोरोना के खिलाफ ज्यादा कारगर साबित हो सकती है. अब इसी कड़ी में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज ले ली है. आज उन्होंने फाइजर वैक्सीन की बूस्टर डोज ली है.

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जो बाइडेन को लगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज

जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को फाइजर वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा सकती है. कुछ समय पहले ही फेडरल रेगुलेटर ने इसका प्रस्ताव रखा था. इसी वजह से राष्ट्रपति जो बाइडेन को फाइजर की बूस्टर डोज दी गई. उनकी उम्र 78 साल है. बूस्टर डोज लगने से पहले बाइडेन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा दी जाए. वहीं उन्होंने ये भी जानकारी दी कि पहली और दूसरी डोज लगने के बाद उन्होंने कोई साइड इफेक्ट महसूस नहीं किए थे.

मॉडर्ना के बूस्टर डोज को मिल सकती है मंजूरी

वैसे राष्ट्रपति बाइडेन ने बताया है कि उनकी पत्नी और अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को भी बूस्टर डोज दी जाएगी. अब यहां पर ये जानना जरूरी है कि अमेरिका में अभी फाइजर और मॉडर्ना ही दो ऐसी वैक्सीन हैं जिनका इस्तेमाल प्रमुखता से हो रहा है. इसमें भी बूस्टर डोज की मंजूरी सिर्फ फाइजर को मिली है, मॉडर्ना को लेकर अभी और डेटा का इंतजार है. इसी वजह से उप राष्ट्रपति कमला हैरिस को बूस्टर डोज लगेगी या नहीं, ये अभी साफ नहीं है. उन्होंने मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन लगवाई थी.

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गरीब देश क्यों नाराज?

खबर है कि अमेरिका में जल्द ही जॉनसन एंड जॉनसन की बूस्टर डोज को भी हरी झंडी दिखाई जा सकती है. ऐसे में अमेरिका जरूर कोरोना की संभावित आने वाली लहरों से खुद को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन दूसरे देश इस बूस्टर डोज वाले कॉन्सेप्ट पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं. तर्क दिया जा रहा है कि गरीब देश अभी वैक्सीन संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में अमेरिका को पहले वैक्सीन की सप्लाई दूसरे जरूरतमंद देशों के लिए बढ़ानी चाहिए, उसके बाद बूस्टर के बारे में विचार करना चाहिए.

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