सबसे पहले उस ट्रेन के बारे में जानते चलें, जिससे बाइडन ने सफर किया. युद्ध प्रभावित इलाके में ट्रेन से यात्रा के कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि बाइडन इससे अगले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत पक्की करना चाहते हैं. अमेरिका के कथित दुश्मन रूस को डराना भी इसकी एक वजह हो सकती है. कारण चाहे जितने हों, लेकिन लड़ाई के बीच ट्रेन से जाना अपने-आप में बड़ी बात थी.
कैसी है वो ट्रेन जिसमें अमेरिकी प्रेसिडेंट ने सफर किया?
यूक्रेन की इस ट्रेन के लग्जरी कंपार्टमेंट में ठहरे बाइडन की कई तस्वीरें भी इंटरनेशनल मीडिया में फैल गईं. इसमें कंपार्टमेंट का वैभव साफ दिख रहा है. केबिन में लकड़ी का काम है. बड़ा सोफा और दीवार पर टेलीविजन भी है. साल 2014 में इसके डिब्बे तैयार हुए थे ताकि विदेशी नेताओं और राजदूतों का यूक्रेन से क्रीमिया तक का सफर आसान हो जाए. तब भी रूस और यूक्रेन में तनाव तो था, लेकिन इतना नहीं. यूक्रेन पहुंचे डेलीगेट्स आमतौर पर रूस का सफर भी करते थे. लिहाजा इसके केबिन उनकी सुविधा के हिसाब से बनाए गए. ट्रेन में बेडरूम के साथ कॉफ्रेंस रूम भी है ताकि नेता अपनी मीटिंग्स कर सकें. बाद में ये सिर्फ यूक्रेन तक सीमित हो गई.
किम जोंग देते रहे रेल सफर को तरजीह
बाइडन वैसे भी रेल यात्रा के शौकीन हैं. कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि डेलावेयर में सीनेट रहने के दौरान उन्होंने डेलावेयर से वॉशिंगटन के बीच 8 हजार से ज्यादा राउंड ट्रिप्स ली थीं. रेल प्रेम में बाइडन को टक्कर देते हैं नॉर्थ कोरियाई शासक. किम जोंग उन वैसे तो बहुत कम यात्राएं करते हैं, लेकिन करते भी हैं तो हवाई जहाज की बजाए अक्सर एक शाही ट्रेन से सफर होता है. साल 2019 में वियतनाम तक भी किम जोंग उन इसी ट्रेन से पहुंचे थे. इससे पहले चीन का सफर भी किम ट्रेन से कर चुके. पूरी तरह से बुलेट पूफ्र ये ट्रेन आम ट्रेनों से काफी भारी है. साथ ही इसमें महीनों के लिए राशन, शराब और दवाओं की खेप भरी रहती है.
ट्रेन का रहा इतिहास
वैसे तो किम जोंग के बारे पुख्ता बातें कम ही पता लगती हैं, खासकर किम की कमियों के कमजोरियों के बारे में क्योंकि इससे अमेरिका को भी धमकाते इस छोटे देश पर खुद खतरा आ सकता है. इसके बाद भी बीच-बीच में कुछ न कुछ नया सामने आ ही जाता है. जैसे माना जाता है कि तानाशाह को उड़ने से डर लगता है. ये डर खानदानी है, यानी उनके पिता और दादा के बारे में भी यही कहा जाता रहा. यहां तक कि किम से पहले ये दोनों कोरियाई नेता भी ट्रैवल से बचते रहे और बहुत जरूरी होने पर ही देश से बाहर जाते. इसमें भी जहां तक मुमकिन हो, अपनी ट्रेन से यात्रा करते.
किम के पिता की ट्रेन में ही मृत्यु
सोवियत लीडर जोसेफ स्टालिन ने पचास के शुरुआती दशक में किम के दादा किम 2 संग को एक ट्रेन तोहफे में दी थी. उसके बाद साल 1950 में कोरियन युद्ध के दौरान संग ने इसी ट्रेन को अपने हेडक्वार्टर की तरह इस्तेमाल किया और यहीं से दक्षिण कोरिया के खिलाफ युद्ध के लिए अपनी रणनीति बनाई थी. भीतर की तरफ लकड़ी के बेहद भारी काम वाली ये ट्रेन जल्द ही किम खानदान की शाही ट्रेन बन गई. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया कोरियन सेंट्रल टेलीविजन की मानें तो साल 2011 में किंग जोंग इल की मौत भी इसी ट्रेन के भीतर काम करते हुए हुई थी. वे तब किसी राजनीतिक काम से प्योंगयांग से बाहर सफर कर रहे थे, जिस दौरान ट्रेन में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा.
तीन पीढ़ियों से चली आ रही ट्रेन लगभग 250 मीटर लंबी और सारी अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है. इसके सारे डिब्बे बख्तरबंद हैं, जिसपर गोली-बारूद का असर नहीं होता. साल 2004 में उत्तर कोरियाई शहर योंगचोन की रेलवे लाइन में एक बारूदी विस्फोट हुआ, जिसमें 150 से ज्यादा जानें गई थीं. ब्लास्ट से कुछ पहले ही ट्रेन उस लाइन से गुजरी थी. इसके बाद से ट्रेन की सुरक्षा और तगड़ी हो गई.
कुछ ऐसे हैं सुरक्षा इंतजाम
उत्तर कोरिया के भीतर ट्रेन कहीं भी जाए, लगभग एक दिन पहले से ही लाइन्स की चेकिंग शुरू हो जाती है और उस रास्ते को ब्लॉक कर दिया जाता है. यहां तक कि वर्तमान तानशाह ने ऐसा बंदोबस्त करवाया कि इस ट्रेन के निकलने से ठीक पहले एक और प्राइवेट ट्रेन भी उसी पटरी से जाती है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. पीछे-पीछे किम की शाही ट्रेन होती है, जिसके बाद एक और ट्रेन भी रहती है, जिसमें अतिरिक्त सिक्योरिटी और बाकी चीजें रहती हैं.
भारी होने के कारण स्पीड कम
बुलेट पूफ्र होने की वजह से ट्रेन कफी वजनी है और इसलिए तेजी से नहीं चल पाती. रिपोर्ट्स की मानें तो ये अधिकतम 60 किलोमीटर घंटे की रफ्तार से चल सकती है. ट्रेन बाकी ट्रेनों की तरह आम स्टेशनों पर भी नहीं रुकती, बल्कि इसके लिए अलग से स्टेशन हैं ताकि किसी तरह का खतरा न आए.
खाने-पीने और मनोरंजन का इंतजाम भी
लग्जरी लाइफ जीने के लिए जाने जाते इस तानाशाह की ट्रेन भी उतनी ही राजसी है. इसमें 22 बोगियों हैं. हर बोगी में विशाल बाथरूम भी है और डायनिंग भी है. सफर कर रहे लोग आमतौर पर या तो किम के परिवारवाले होते हैं, या किम खुद. साथ में पोलित ब्यूरो के अधिकारी और सैन्य दस्ता चलता है. इन सबके लिए खाने-पीने का खास इंतजाम रहता है. ट्रेन में दुनिया से लगभग सभी हिस्सों के खास व्यंजन बनाने वाले शेफ मौजूद होते हैं.
लंबे सफर के दौरान अगर लीडर बोरियत महसूस करने लगें तो उनके मनोरंजन के लिए डांसर्स का दल रहता है. इंटरनेशनल मीडिया में इस बात का बार-बार जिक्र आता है कि किम के मनबहलाव के लिए ट्रेन में भी लड़कियां चलती हैं, जिन्हें लेडी कंडक्टर कहा जाता है. इसके अलावा हर कोच में टेलीविजन है. लेकिन इसमें कुछ ही चैनल आते हैं, जो उत्तर कोरियाई विकास की ही जानकारी दें.
स्पेशल ट्रेन के साथ-साथ डॉक्टरों का एक समूह भी चलता है, जिनमें से एक ग्रुप सिर्फ किम जोंग की सेहत को देखता-भालता है. इन डॉक्टरों को काफी खुफिया तरीके से रहना होता है ताकि किसी भी तरह से लालच या दबाव में वे किम की हेल्थ की जानकारी किसी और को न दें. हेल्थ को लेकर किम के सीक्रेटिव रहने की बात अक्सर ही कही जाती रही.