अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पदभार संभालने के तुरंत बाद दिए गए आदेश पर अमल करते हुए मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की 1963 में हुई हत्या से जुड़े सीक्रेड डॉक्यूमेंट जारी कर दिए गए हैं. कैनेडी की हत्या अमेरिकी इतिहास के सबसे रहस्यमयी और विवादित घटनाक्रमों में से एक है जिसकी पूरी सच्चाई अब तक सामने नहीं आ सकी है.
80 हजार फाइलें जारी
ये दस्तावेज़ अमेरिकी नेशनल अर्काइव और रिकॉर्ड एडमिनिस्ट्रेशन की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए थे. हत्या से संबंधित रिकॉर्ड, फोटो, मोशन पिक्चर्स और साउंड रिकॉर्डिंग के 60 लाख से ज्यादा पेजों के नेशनल अर्काइव के संग्रह का ज्यादातर हिस्सा पहले ही जारी किया जा चुका है. ट्रंप ने सोमवार को बताया कि उनका प्रशासन 80,000 फाइलें जारी करेगा, हालांकि यह साफ नहीं है कि उनमें से कितनी फाइलें उन लाखों पृष्ठों के रिकॉर्डों में शामिल हैं जिन्हें पहले ही सार्वजनिक किया जा चुका है.
वॉशिंगटन में जॉन एफ. कैनेडी सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स का दौरा करते हुए ट्रंप ने कहा कि हमारे पास बहुत ज़्यादा तादाद में कागज़ हैं. आपके पास पढ़ने के लिए बहुत कुछ है. रिसर्चर्स ने अनुमान लगाया है कि 3,000 से ज़्यादा रिकॉर्ड या तो पूरे या आंशिक रूप से जारी नहीं किए गए हैं और पिछले महीने FBI ने कहा कि उसने हत्या से संबंधित करीब 2,400 नए रिकॉर्ड खोजे गए हैं.
सामने आई एक नई थ्योरी
सरकार की ओर से अब तक जारी किए गए दस्तावेजों की स्टडी करने वाले कई लोगों का कहना है कि जनता को नए जारी किए गए दस्तावेजों से किसी चौंकाने वाले खुलासे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, लेकिन हत्या और इसके आसपास की घटनाओं से संबंधित ब्यौरे में अभी भी गहरी दिलचस्पी है. ट्रंप के जनवरी के आदेश में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक और अटॉर्नी जनरल को रिकॉर्ड जारी करने के लिए एक प्लान बनाने का निर्देश दिया गया था.
कैनेडी की हत्या 22 नवंबर, 1963 को डलास की यात्रा के दौरान की गई थी. जब उनका काफिला शहर में अपनी परेड पूरी कर रहा था, तभी टेक्सास स्कूल बुक डिपोजिटरी बिल्डिंग से गोलियां चलने लगीं. पुलिस ने 24 वर्षीय ली हार्वे ओसवाल्ड को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था, जो छठी मंजिल पर स्नाइपर के ठिकाने पर छुपा बैठा था. दो दिन बाद नाइट क्लब के मालिक जैक रूबी ने जेल ट्रांसफर के दौरान ओसवाल्ड को गोली मार दी.
CIA की भूमिका भी संदिग्ध
पूर्व राष्ट्रपति हत्या के एक साल बाद जांच के लिए राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन की ओर से गठित वॉरेन कमीशन ने निष्कर्ष निकाला कि ओसवाल्ड ने अकेले ही इस वारदात को अंजाम दिया और किसी साजिश का कोई सबूत नहीं था. हालांकि बाद में एक अन्य सीक्रेट दस्तावेज से खुलासा हुआ कि हत्या में एक अन्य शूटर भी शामिल था. लेकिन इससे दशकों तक चलने वाली अलग-अलग थ्योरी पर विराम नहीं लगा. ओसवाल्ड के अलावा एक अन्य शूटर के साथ हत्या में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का रोल भी शक के दायरे में है. सीआईए के दस्तावेजों से यह बात सामने आई है कि ओसवाल्ड हत्या से कुछ हफ्ते पहले सोवियत संघ और क्यूबा की एंबेसी में गया था.
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नए दस्तावेजों के मुताबिक खुफिया एजेंसी के एक अफसर ने ओसवाल्ड की गतिविधियों को लेकर पहले ही अलर्ट कर दिया था. सवाल यह उठता है क्या सीआई के सीनियर अफसरों को इस चेतावनी को अनदेखा कर दिया. यह अंजाने में हुआ था या फिर जानबूझकर किसी साजिश के तहत इस पर ध्यान नहीं दिया गया. ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब अभी सामने आने बाकी हैं.
1990 के दशक की शुरुआत में संघीय सरकार ने आदेश दिया कि हत्या से संबंधित सभी दस्तावेज़ों को नेशनल अर्काइव में एक साथ जमा किया जाए. राष्ट्रपति की ओर से तय किसी भी छूट को छोड़कर इस कलेक्शन को 2017 तक खोला जाना जरूरी था. साल 2017 में अपने पहले कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद संभालने वाले ट्रंप ने कहा था कि वह सभी रिकॉर्ड जारी करने की इजाजत देंगे, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा को संभावित नुकसान के कारण उन्होंने कुछ रिकॉर्ड जारी करने से मना कर दिया. जबकि राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के दौरान फाइलें जारी की जाती रहीं और कुछ अनदेखी रह गईं.