नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा कई मायने में ऐतिहासिक रहा. भारत रवाना होने से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने मोदी को महात्मा गांधी के बराबर खड़ा कर दिया.
दरअसल नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जैसे गांधी ने आजादी की लड़ाई को जन आंदोलन बना दिया, वैसे ही हम विकास को जन आंदोलन बना दें. मोदी चाहे हिन्दुस्तान में हों या बाहर, अपने हर भाषण में वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हैं. चाहे दिल्ली में राजघाट हो, गुजरात का साबरबती आश्रम या फिर वाशिंगटन में गांधी प्रतिमा. मोदी को जब भी मौका मिलता है, वो बापू को याद करते हैं. लेकिन, मोदी ने सोचा भी नहीं होगा कि जब वे अमेरिका से लौट रहे होंगे, तो दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क उनकी तुलना गांधी से कर रहा होगा.
पांच दिन के अमेरिकी दौरे के आखिरी दिन उपराष्ट्रपति जो बिडेन की तरफ से मोदी के सम्मान में दिए गए लंच में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने उन्हें गांधी के बराबर खड़ा कर दिया. कैरी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि भारत के विकास में प्रधानमंत्री मोदी के योगदान और भारत की आजादी में महात्मा गांधी के योगदान को एक तरह से याद किया जाए.'
यह पहला मौका नहीं है, जब कैरी ने मोदी की खुलकर तारीफ की है. इससे पहले जुलाई में जब वे भारत आए थे, तो उन्होंने मोदी के नारे 'सबका साथ, सबका विकास' की तारीफ की थी, जबकि यहां 'चायवाले' से पीएम तक के उनके सफर की दिल खोलकर सराहना की.
विकास कार्यक्रमों की तारीफ एक बात है और मोदी को गांधी के बराबर खड़ा करना अलग बात. मोदी को हिन्दुस्तान की कमान संभाले महज चार महीने बीते हैं और उन्हें अभी देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है. लेकिन इससे पहले ही उस अमेरिका ने मोदी को इतना बड़ा तमगा दे दिया, जो उनके पीएम बनने तक वीजा देने तक से कतरा रहा था. सवाल उठता है कि ऐसे में अमेरिका का इतना बड़ा हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? चाहे जो हो, पांच दिनों के अमेरिकी दौरे में मोदी के लिए यह बड़ी जीत कही जाएगी.