
कनाडा में इस समय जबरदस्त उथल-पुथल मची है. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर बहुत दबाव है. एक तरह देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है तो दूसरी तरफ अमेरिका में कनाडा के इंपोर्ट पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की ट्रंप की वॉर्निंग से वह परेशान है. इस बीच देश की वित्त मंत्री के इस्तीफे पर ट्रंप ने चुटकी ली है.
ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ग्रेट स्टेट ऑफ कनाडा हैरान है कि उनकी वित्त मंत्री ने इस्तीफा दे दिया या गवर्नर जस्टिन ट्रूडो ने उन्हें बर्खास्त कर दिया. उनका व्यवहार बहुत टॉक्सिक था और कनाडा के नाखुश नागरिकों के लिहाज से सही नहीं था. उनकी कमी नहीं खलेगी.
कनाडा की डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को अचानक इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह कनाडा की बेहतरी के रास्ते को लेकर अब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से एकमत नहीं हैं.
दरअसल फ्रीलैंड संसद में आर्थिक गिरावट के आंकड़े पेश करने वाली थीं. लेकिन इससे कुछ घंटे पहले ही उन्होंने पद छोड़ दिया. इस दस्तावेज से व्यापक रूप से यह पता चलने की संभावना थी कि सरकार ने 2023-24 का बजट घाटा योजना से कहीं अधिक बड़ा कर लिया है.
फ्रीलैंड ने ट्रूडो को एक पत्र लिखकर कहा था कि पिछले कई हफ्तों से आप और मैं कनाडा को आगे बढ़ाने को लेकर असमंजस में हैं.
ट्रंप ने इससे पहले भी उड़ाया था ट्रूडो का मजाक
ट्रूडो के अमेरिकी दौरे के दौरान वह ट्रंप के आवास मार-ए-लागो पहुंचे थे. जहां ट्रंप और ट्रूडो ने एक साथ डिनर किया था. इस डिनर के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि कनाडा के गवर्नर जस्टिन ट्रूडो के साथ डिनर कर खुशी हुई. मैं जल्द ही गवर्नर से दोबारा मिलना चाहूंगा ताकि हम टैरिफ और ट्रेड पर अपनी चर्चा जारी रख सकें. इसके नतीजे बेहतरीन होंगे.
ट्रंप की इस प्रतिक्रिया के बाद यह सवाल उठने लगा था कि आखिर ट्रंप ने ट्रूडो को गवर्नर क्यों कहा? ट्रंप ने डिनर के दौरान ट्रूडो को ऑफर दिया था कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए. हालांकि, यह ऑफर मजाक-मजाक में दिया गया था. लेकिन ट्रूडो ये सुनकर असहज हो गए और हंसने लगे.
बता दें कि ट्रूडो ने अमेरिका का ये दौरा ट्रंप के उस ऐलान के बाद किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि शपथ लेने के बाद वह अमेरिका में इंपोर्ट होने वाले कनाडा के उत्पादों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे. ट्रंप ने कहा था कि कनाडा से अमेरिका में अवैध तरीके से आ रहे प्रवासियों की वजह से यह फैसला लिया जा सकता है. क्योंकि ट्रूडो इन अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने में असफल रहे हैं.