
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में कल गुरुवार शाम को हुए सीरियल धमाके से दुनिया दहली हुई है. दो बड़े धमाकों में मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है तो 150 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. इस धमाके में अमेरिका के 13 सैनिक भी मारे गए हैं. धमाके के बाद आजतक संवाददाता नवीद सुल्तानी ने रिपोर्टिंग के साथ-साथ वहां पर घायल लोगों की मदद भी की.
काबुल डबल ब्लास्ट की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के खुरासान ग्रुप (ISIS-K) ने ली है. अमेरिका और ब्रिटेन ने ब्लास्ट के बाद भी अफगानिस्तान से लोगों को निकालने का मिशन जारी रखने का फैसला लिया है. उधर धमाके में घायल लोगों का काबुल के अस्पताल में इलाज जारी है. काबुल में धमाके और अफरातफरी के बीच आजतक लगातार वहां से सीधी रिपोर्ट आपको दिखा रहा है.
काबुल एयरपोर्ट पर जब पहला धमाका हुआ तो अफरातफरी और बदहवासी का आलम था. आजतक के संवाददाता नवीद सुल्तानी वहां मौजूद थे और उस खौफनाक मंजर को अपने कैमरे में कैद ही नहीं कर रहे थे बल्कि जख्मी लोगों की मदद करने में भी जुटे थे. नवीद अपनी कार में एक जख्मी शख्स को बिठाकर खुद अस्पताल ले गए.
इमरजेंसी अस्पताल जख्मी लोगों की आखिरी उम्मीद
घायल शख्स की मदद करने के बाद पत्रकार नवीद सुल्तानी ने बताया कि ये शख्स धमाके में घायल हुआ है और इस शख्स को मेरी कार से अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. एयरपोर्ट इलाके में हुए धमाके में ये शख्स घायल हो गया है. मैं कुछ घायल लोगों को यहां से अस्पताल पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं.
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कार में बैठे जख्मी शख्स की हालत गंभीर थी. उसे तुरंत इलाज की जरूरत थी और नवीद सुल्तानी रिपोर्टिंग के साथ उसे मदद पहुंचाने के मिशन में भी लगे थे. अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद नवीद सुल्तानी ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट धमाके में बहुत से लोग घायल हुए हैं. धमाके में कुछ नागरिकों के बारे में पता नहीं चल रहा है. कुछ लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं, उनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है.
काबुल का इमरजेंसी अस्पताल जख्मी लोगों के लिए आखिरी उम्मीद बना हुआ है. एयरपोर्ट ब्लास्ट में जख्मी तमाम लोग यहीं लाए गए हैं.
इमरजेंसी अस्पताल के बाहर आकर नवीद सुल्तानी ने बताया, 'मैं इस समय अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर खड़ा हूं. यहां पर धमाके में घायल कई लोगों का इलाज चल रहा है. अस्पताल के बाहर घायल लोगों के परिजनों की भीड़ जुटी है.'
दरअसल गुरुवार सुबह से ही काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले का अलर्ट था. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया अपने नागरिकों को एयरपोर्ट जाने से मना कर रहे थे, लेकिन इसका कोई असर अफगानियों पर नहीं दिख रहा था. एयरपोर्ट के बाहर लोगों का हुजूम था. हर किसी को देश छोड़ने का इंतजार था.
लेकिन इस बीच फायरिंग के एक घंटे बाद जो हुआ उससे कोहराम मच गया. एक के एक दो धमाके से काबुल एयरपोर्ट दहल उठा. धमाके से चीख-पुकार मच गई. लाशें बिछने लगीं. मातम छा गया. शाम 7 बजे काबुल एयरपोर्ट के एब्बी गेट पर पहला धमाका हुआ. पहले धमाके के बाद चीख-पुकार जारी ही थी कि 55 मिनट बाद बैरन होटल के पास दूसरा धमाका हो गया.
अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत
काबुल एयरपोर्ट पर डबल धमाके से दुनिया सन्न है. 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. 13 अमेरिकी कमांडो मारे गए जबकि 15 से ज्यादा जख्मी है. काबुल एयरपोर्ट में चारों ओर भयानक मंजर है. धमाके में करीब 150 लोग जख्मी हो गए जिनका काबुल के अस्पताल में इलाज चल रहा है.
काबुल एयरपोर्ट पर बेकाबू भीड़ का फायदा ही आतंकियों ने उठाया और वो खौफनाक धमाका किया जिससे राजधानी दहल उठी. अब अमेरिका ने बदला लेने की धमकी दी है. मगर उसे आशंका है कि उसके सैनिकों पर ऐसे और भी हमले हो सकते हैं.'
यही नहीं एब्बी गेट पर हुए पहले धमाके के बाद ISIS-K गुट के आतंकवादियों ने अमेरिकी सैनिकों और लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी भी की थी. ये सबकुछ खुद यूएस सेंट्रल कमांड के चीफ जनरल मैकेंजी ने हमले के बाद वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया.
भारत सरकार ने की काबुल धमाके की निंदा
2011 के बाद पहली बार एक झटके में अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं. 2011 में तालिबान ने अमेरिकी हेलिकॉप्टर को गिराया था जिसमें 30 अमेरिकी सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा था.
काबुल एयरपोर्ट पर हजारों की बेकाबू भीड़ और बाहर की सुरक्षा के लिए तालिबान पर अमेरिकी भरोसे की मजबूरी उसके लिए बेहद महंगी साबित हुई. अब व्हाइट हाउस ने साफ कर दिया है कि 31 अगस्त तक अमेरिका अफगानिस्तान से पूरी तरह निकल जाएगा, क्योंकि अमेरिकी सैन्य कमाडरों ने बाइडेन को यही सलाह दी है और बाइडेन उनकी सलाह पर ही चल रहे हैं.
दूसरी ओर, काबुल धमाके के बाद भी अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकालने का काम जारी रहेगा. बताया जा रहा है कि 20 भारतीय अब भी वहां मौजूद हैं जिन्होंने सरकार से निकाले जाने की गुहार लगाई है. भारत सरकार ने काबुल धमाके की निंदा की है. यही नहीं पूरी दुनिया से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने को कहा है.
एक जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान में फिलहाल 140 अफगान सिंख और हिंदू फंसे हैं. वहीं, 20 भारतीय भी मौजूद हैं जो देश वापस आना चाहते हैं. सूत्रों की मानें तो ये 20 भारतीय ही उसकी लिस्ट में आखिरी हैं, जिन्होंने देश लौटने के लिए सरकार से मदद मांगी है.
(काबुल में नवीद सुल्तानी के साथ आजतक ब्यूरो)