कराची एयरपोर्ट पर आतंकी हमलों में अंदर वालों का हाथ है. यह बात सुरक्षा अधिकारियों ने वहां के अखबार डॉन को बताई है. उनका कहना है कि रविवार की रात कायदे आज़म इंटंरनेशनल एयरपोर्ट पर हमले में वहां के कर्मचारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.
अधिकारियों का मानना है कि बिना मिलीभगत के बड़ी तादाद में भारी हथियार ले जाना संभव नहीं दिखता. इतने सारे हथियार लेकर जाना काफी जोखिम भरा हो सकता था. इसका मतलब है कि कुछ लोग उनसे मिले हुए थे और उन्होंने आतंकियों का साथ दिया. आतंकियों के पास बहुत थोड़े से हथियार थे और बाकी हथियार उन्हें अंदर जाने के बाद मिले.
इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने पिछले साल जून में ही चेतावनी दी थी कि ऐसी हिंसा हो सकती है और आतंकी हमले कर सकते हैं. उसमें कहा गया था कि एयरपोर्ट पर हमला हो सकता है और इसे अल कायदा. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और इलियास कश्मीरी का गुट अंजाम दे सकता है. उस समय भी कहा गया था कि कुछ सरकारी कर्मचारी आतंकियों से मिले हुए हैं.
बताया जाता है कि दो तालिबानियों को पहले एयरपोर्ट की रेकी करते हुए पकड़ा भी गया था. इस मामले पर पाकिस्तान सरकार की काफी किरकिरी हो रही है और विपक्ष सरकार से सवाल पूछ रहा है. उसका कहना है कि यह सरकार की विफलता है और वह आतंकवादी हमले रोकने में नाकामयाब रही है.
अब तक 36 के मरने की पुष्टि
सरकारी सूत्रों ने बताया कि अब तक 36 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है जिसमें 10 आतंकी भी हैं. उनके अलावा 10 एएसएफ जवान हैं. 26 लोग जख्मी हुए हैं. पुलिस और रेंजर्स के एक-एक जवान भी मारे गया है. एयरपोर्ट के कोल्ड स्टोरेज से सात लोगों के शव मिले हैं जो आतंकवादियों से बचने के लिए वहां छुप गए थे.
कराची एयरपोर्ट सोमवार की दोपहर फिर से काम करने लगा है. फौज ने उसे अपने कब्जे में ले लिया है. उधर, अमेरिका ने पाकिस्तान को इस मामले में जांच का आश्वासन दिया है. उसने कहा है कि इस मामले में वह पाकिस्तान का साथ देने को तैयार है.