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Karnataka Hijab Controversy: ओवैसी के बाद पाकिस्तान को भारतीय राजनयिक का करारा जवाब- पहले अपना घर संभालें

Karnataka Hijab Row: पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर इस्लामाबाद स्थित भारतीय राजनयिक को तलब किया. राजनयिक ने पाकिस्तानी अधिकारियों से कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, पाकिस्तान पहले अपना खुद का ट्रैक रिकॉर्ड देखे.

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पाकिस्तान को भारतीय राजनयिक ने करारा जवाब दिया है (Photo- Reuters)
पाकिस्तान को भारतीय राजनयिक ने करारा जवाब दिया है (Photo- Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक को किया तलब
  • भारतीय राजनयिक ने पाकिस्तान को दिखाया आईना
  • कहा- पहले अपना ट्रैक रिकॉर्ड देखें

कर्नाटक के हिजाब विवाद को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी (Indian Charge d’Affaires) को तलब किया और इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने की निंदा की. शीर्ष भारतीय राजनयिक सुरेश कुमार ने पाकिस्तान के आरोपों को निराधार बताते हुए उसे जवाब दिया है. भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तान से कहा कि वो पहले अपना खुद का ट्रैक रिकॉर्ड देखे.

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इंडिया टुडे ने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर बताया, 'उन्होंने (सुरेश कुमार ने) पाकिस्तानी अधिकारियों को बताया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. देश में एक प्रक्रिया के तहत काम होता है. पाकिस्तान को अपना खुद का ट्रैक रिकॉर्ड देखना चाहिए.'

भारतीय राजनयिक को तलब किए जाने के संबंध में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया, 'भारतीय राजनयिक से भारत सरकार को यह बताने का आग्रह किया गया कि कर्नाटक में आरएसएस-बीजेपी गठबंधन द्वारा चलाए जा रहे हिजाब विरोधी अभियान पर पाकिस्तान को बहुत चिंता है. ये मुस्लिम महिलाओं को अमानवीय बनाने का भारत सरकार के बहिष्करणवादी और बहुसंख्यकवादी एजेंडे का हिस्सा है.'

इस बीच, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी एक ट्वीट कर कर्नाटक हिजाब विवाद पर भारत सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना उनके मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है. किसी को भी इस मौलिक अधिकार से वंचित करना और उन्हें हिजाब पहनने के लिए आतंकित करना बिल्कुल दमनकारी है. दुनिया को यह समझना चाहिए कि ये सब मुसलमानों को घेटो (अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बनाई गई तंग बस्ती) में रखने की भारत सरकार की योजना का हिस्सा है.'

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पाकिस्तान की महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और भारत सरकार से कहा है कि वो मुस्लिम महिलाओं की उपेक्षा को रोके.

मलाला ने अपने एक ट्वीट में लिखा, '"कॉलेज हमें शिक्षा और हिजाब में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर कर रहा है." हिजाब पहनने पर लड़कियों को स्कूल में प्रवेश से रोकना भयावह है. कम या ज्यादा कपड़े पहनने को लेकर लड़कियों को मात्र एक वस्तु समझना अब भी जारी है. भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर जाने से रोकना चाहिए.'

पाकिस्तान से आ रही इन तीखी प्रतिक्रियाओं के जवाब में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने एक भाषण के दौरान कहा कि वो पहले अपने यहां देखे कि क्या हो रहा है उसके बाद भारत की बात करें. उत्तर प्रदेश में एक रैली के दौरान असदुद्दीन ने कहा, 'मलाला पर हमला पाकिस्तान में हुआ, उसे ब्रिटेन में पढ़ना पड़ा. पाकिस्तान के संविधान के लिहाज से कोई गैर-मुस्लिम वहां का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता.'

उन्होंने आगे कहा, 'हम पाकिस्तान के लोगों से कहेंगे कि इधर मत देखो...उधर ही देखो. तुम्हारे पास बलूचियों की समस्या, तुम्हारे पास क्या-क्या झगड़े हैं. तुम उसको देखो. ये देश मेरा है. तुम्हारा नहीं है, हमारे घर का मामला है. आप इसमें अपनी टांग या अपनी नाक मत अड़ाओ. जख्मी हो जाएंगे तुम्हारे टांग और नाक.' 

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पाकिस्तानी मीडिया में भी ये मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस मुद्दे को इस्लामिक सहयोग संगठन में भी उठाने की बात कही है.

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