अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ इस बात पर सहमति जताई कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे भारत और पाकिस्तान को सुलझाना है. दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद के बारे में भी चर्चा हुई.
यह पूछे जाने पर कि मोदी और ओबामा के बीच क्या कश्मीर का विषय भी सामने आया, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने संवाददाताओं से कहा, 'इस बारे में आम सहमति थी कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है और अगर भारत और पाकिस्तान खुद ही मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालेंगे तो लोगों को खुशी होगी.' स्वरूप ने ओबामा, फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ मोदी की हुई बातचीत की जानकारी देते हुए कहा कि आतंकवाद के संदर्भ में पाकिस्तान का विषय सामने आया.
उन्होंने कहा, 'इनमें से एक बैठक में आतंकवाद के संदर्भ में पाकिस्तान पर चर्चा हुई . आमतौर पर विचार यह था कि अगर आतंकवाद से लड़ना है तब सभी देशों को एक साथ आना चाहिए. यह नहीं हो सकता कि कुछ देश अच्छे और खराब आतंकवादियों की बातें करें.'
यह पूछे जाने पर कि संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद को परिभाषित करने में इतना समय क्यों लग रहा है, स्वरूप ने कहा, 'कुछ, खासकर आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोओपरेशन (ओआईसी) लॉबी चाहती है कि आतंकवाद की परिभाषा में स्वतंत्रता सेनानियों को भी शामिल किया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा,'कोई बीच का समझौता आगे बढ़ाया गया है लेकिन वे इस पर अभी सहमत नहीं हैं.' उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वषर्गांठ पर चीजें आगे बढ़ेंगी.
आईएसआईएस के बारे में स्वरूप ने कहा, 'इस आतंकी समूह पर अलग से कोई चर्चा नहीं हुई लेकिन मोदी ने खुद कहा है कि अगर आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक और वैश्विक रूप से लड़ना है तब सभी देशों को एक साथ आना होगा.'
-इनपुट भाषा