नेपाली कांग्रेस के राम चंद्र पौडेल गुरुवार को देश के तीसरे राष्ट्रपति चुने गए. पौडेल, नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (माओवादी सेंटर) समेत आठ दलों के गठबंधन की तरफ से उम्मीदवार थे. उन्होंने चुनाव में संसद के 214 सांसदों और 352 प्रांतीय विधानसभा सदस्यों के वोट हासिल किए. पौडेल नेपाल की संसद में 17 बार प्रधानमंत्री के चुनाव में असफल रहे हैं.
नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा ने ट्वीट किया और पौडेल को बधाई दी. उन्होंने लिखा- मेरे मित्र राम चंद्र पौडेलजी को राष्ट्रपति चुने जाने पर हार्दिक बधाई. बता दें कि पौडेल ने अपने प्रतिद्वंद्वी नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी यूएमएल के सुवास नेम्बांग को हराया और देश के तीसरे राष्ट्रपति बन गए हैं.
नेपाल में राष्ट्रपति का तीसरा चुनाव
नए राष्ट्रपति के रूप में पौडेल को सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी. नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाताओं की कुल संख्या 882 है, जिसमें संसद के 332 सदस्य और सात प्रांतों की प्रांतीय विधानसभाओं के 550 सदस्य शामिल हैं. चुनाव आयोग के प्रवक्ता शालिग्राम ने बताया कि 518 प्रांतीय विधानसभा सदस्यों और संसद के 313 सदस्यों ने राष्ट्रपति चुनाव में मतदान किया था. नेपाल में 2008 में गणतंत्र बनने के बाद से यह तीसरा राष्ट्रपति चुनाव था.
कुछ राजनीतिक दलों ने मतदान का बहिष्कार किया था तो कुछ विभिन्न कारणों से अनुपस्थित थे. संघीय सांसद का मतभार 79 होता है जबकि विधायकों का मतभार 48 होता है. राष्ट्रपति पद के लिए हुए मतदान में सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीद्वार रामचन्द्र पौडेल को 33,802 मत प्राप्त हुए. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सुवास नेम्बांग को 15,518 मत प्राप्त हुए हैं. राष्ट्रपति पद के लिए हुए मतदान में कुल 884 मतदाता में 831 सांसदों और विधायकों ने मतदान किया था.
नेपाल में राष्ट्रपति के चुनाव के कारण ही दो महीने पहले बना सत्तारूढ़ गठबंधन टूट गया और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचण्ड ने केपी ओली के साथ दो महीने पहले हुए राजनीतिक समझौता को भंग करते हुए प्रमुख प्रतिपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर उनके उम्मीद्वार को समर्थन किया था.
पौडेल को राजनीति में लंबा अनुभव
नेपाल के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को राजनीति का लंबा अनुभव है. 16 वर्ष की उम्र से ही राजनीति में सक्रिय रामचन्द्र पौडेल देश में राजतंत्र विरोधी आन्दोलनों में सक्रिय रहे. देश में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. 78 वर्षीय पौडेल अपने 62 वर्ष के राजनीतिक जीवन में करीब 15 साल तक जेल में ही रहे. आखिरी बार जब तत्कालीन राजा ज्ञानेन्द्र ने 2003 में चुनी हुई सरकार को अपदस्थ करते हुए सत्ता अपने हाथ में लिया तो उसका विरोध करने पर रामचन्द्र पौडेल को गिरफ्तार कर करीब डेढ़ साल तक जेल में डाल दिया गया था.
1991 में पहली बार वो तनहूं से सांसद चुने गए और उसी समय उनको स्थानीय विकास मंत्री भी बनाया गया था. 1994 में जब दूसरी बार सांसद बने तो स्पीकर के पद पर निर्वाचित हुए थे. 1999 में पौडेल ने उपप्रधानमंत्री बनकर गृहमंत्रालय संभाला था.
लगातार 6 बार सांसद चुने जाने के बाद नेपाल में संविधान सभा के दौरान वो अपनी पार्टी के संसदीय दल के नेता चुने गए. लेकिन संसद में 17 बार तक भी प्रधानमंत्री के निर्वाचन में हुए मतदान में उनको सफलता नहीं मिल पाई. हर बार बहुमत के आंकड़े से कम वोट मिलने पर पुनर्मतदान करना होता था. आखिरकार 18वीं बार हुए मतदान में कम्यूनिष्ट नेता झलनाथ खनाल से वो पराजित हो गए.
चुनाव हारे, लेकिन नहीं हारी हिम्मत
कहते हैं कि राजनीति में धैर्यता रखने पर एक ना एक दिन मुकाम अवश्य ही हासिल होता है. और प्रधानमंत्री चुनाव में 17 बार असफल होने का बाद भी पौडेल ने हिम्मत नहीं हारी और राजनीति ने ऐसा करवट बदला कि उन्हें देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर विजयी होने का मौका मिल गया.