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केन्या में मृत कर्मचारियों के नाम पर सैलरी का गड़बड़झाला, सरकार परेशान

सुनने में अजीब लगेगा, लेकिन यह सच है. केन्या में सरकारी कर्मचारियों की मौत के बाद भी उनका वेतन उठाया जा रहा है.

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सुनने में अजीब लगेगा, लेकिन यह सच है. केन्या में सरकारी कर्मचारियों की मौत के बाद भी उनका वेतन उठाया जा रहा है. ऐसे कर्मचारियों के चलते सरकार को हर महीने 10 लाख डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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केन्या के राष्ट्रपति उहूरु केन्याता ने इस संकट से निपटने के लिए हर सार्वजनिक दफ्तर में बायोमेट्रिक तकनीक के इस्तेमाल की घोषणा की है. इसके अलावा ऐसे कर्मचारियों की पहचान के लिए सरकारी नौकरी करने वालों से उनके दस्तावेज मांगे जा रहे हैं.

केन्या में मृत कर्मचारियों के नाम पर तनख्वाह उठाए जाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. रिटायर्ड और बर्खास्त किए गए लोगों को भी लगातार तनख्वाह मिलती रहती है. यहां तक कि केन्या की सेना से सात साल पहले रिटायर हो चुके सैनिक भी अपना वेतन बखूबी उठा रहे हैं.

केन्या की सरकार इन सब पर रोक नहीं लगा पाती है. इसकी बड़ी वजह यह है कि कर्मचारियों का रिकॉर्ड रखने की कोई तर्कसंगत व्यवस्था मौजूद नहीं है.

हालांकि, केन्या अफ्रीका का अकेला देश नहीं है जो इस समस्या से जूझ रहा है. दो महीने पहले घाना ने कहा था कि वहां 3,000 ऐसे कामगार पाए गए है जिनका कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन उनके वेतन पर 12 करोड़ डॉलर का खर्च आया है. नाइजीरिया की सरकार ने 45 हजार ऐसे कर्मचारियों का पता लगाया था और उनकी तनख्वाह खत्म कर करीब 74 करोड़ डॉलर बचाया गया था.

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