साल 2016 की शुरुआत में अमेरिका स्थित एक एनजीओ खोजी पत्रकारों के संघ ICIJ ने एक बड़ा खुलासा किया. इसमें बताया गया कि कई देश टैक्स हेवेन बने हुए हैं और तमाम देशों के राजनेता और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियां यहां पैसा निवेश कर टैक्स बचा रही हैं. इस खुलासों में ढेरों फिल्मी और खेल जगत की हस्तियों के अलावा दुनिया भर के करीब 140 राजनेताओं, अरबपतियों की छिपी संपत्ति का भी खुलासा हुआ.
इन हस्तियों का आया नाम
पनामा पेपर्स लीक से कई देशों में सियासी हलचल मच गई. जिन 143 राजनेताओं के बारे में इसमें जिक्र किया गया है उनमें से 12 तो अपने देशों के राष्ट्राध्यक्ष थे. आइसलैंड और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री(नवाज शरीफ), यूक्रेन के राष्ट्रपति, सऊदी अरब के शाह और डेविड कैमरन के पिता का नाम प्रमुख था. इनके अलावा लिस्ट में व्लादिमीर पुतिन के करीबियों, अभिनेता जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम भी था. हालांकि इन हस्तियों ने ऐसा कर कोई गैर-कानूनी काम किया है, इस बारे में पेपर्स में कुछ नहीं कहा गया है. आईसलैंड के PM ने तो अपने परिवार के बारे में खुलासे के बाद इस्तीफा दे दिया. तब से नवाज शरीफ को घेरने में विपक्षी दल लगे हुए हैं.
शरीफ परिवार पर क्या है आरोप?
पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ का परिवार भी पनामा पेपर से हुए खुलासों के बाद आरोपों के घेरे में आ गया. यह मुकदमा 1990 के दशक में शरीफ द्वारा धन शोधन कर लंदन में संपत्ति खरीदने का है. शरीफ उस दौरान दो बार प्रधानमंत्री रहे थे. पनामा पेपर्स के अनुसार नवाज शरीफ की बेटी मरियम और बेटों- हसन एवं हुसैन की विदेश में कंपनियां थीं तथा इनके जरिए कई लेनदेन हुए थे. नवाज शरीफ और उनके परिवार ने धनशोधन के आरोपों को खारिज किया और कुछ भी गलत करने से इनकार किया. हालांकि, पाकिस्तान में विपक्षी दलों की यचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई.
क्या था इन खुलासों में?
रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स सेविंग फर्म्स जो सेवाएं उपलब्ध कराती हैं, वे बेशक पूरी तरह कानूनी हैं. लेकिन ये दस्तावेज दिखाते हैं कि बैंकों, लॉ फर्म्स और ऐसी ही अन्य एजेंसियों ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया. कई मामलों में पाया गया है कि इन मध्यस्थों ने अपने क्लाइंट्स के संदिग्ध लेनदेनों को या तो छिपाया या ऑफिशल रेकॉर्ड्स के छेड़छाड़ कर उन्हें सामने नहीं आने दिया.
ICIJ ने कैसे किया खुलासा?
1997 में ICIJ की स्थापना हुई थी. दुनिया भर के 190 खोजी पत्रकार इस समूह से जुड़े हैं. 70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इनकी जांच की और यह जांच करीब 8 महीने तक की गई. इसमें कई प्रकार के अनुभवी लोग काम करते हैं खासकर वे लोग जो सरकारी दस्तावेजों को पढ़ने में दक्ष होते हैं. तथ्यों की जांच करने वाले और वकील भी होते हैं. यह डाटा 2013 में ही हासिल कर लिया गया था और इसके अध्ययन में इतना समय लगा. इसमें पनामा की कंपनी मोसेक फोंसेका का नाम सबसे प्रमुखता से सामने आया.
जानें मोसेक फोंसेका के बारे में
पनामा पेपर्स की जांच कर रहे पत्रकारों ने पाया कि मोसेक फोंसेका कंपनी पूरी दुनिया में कम से कम दो लाख कंपनियों से जुड़ी हुई है जो इसके लिए एजैंट का काम करते हैं और पैसा एकत्र करते हैं. कंपनियों से सीधे सौदेबाजी करने की बजाय यह उन्हें सलाह देती है. कई स्थान पर यह दलाली भी करती है. तमाम कोशिशों के बाद भी यह साफ नहीं हो पाया कि इन कंपनियों के छिपे हुए मालिक कौन हैं. ज्यादातर में लोगों ने किसी दूसरे को नामांकित किया हुआ है. इस मामले में सबसे ज्यादा कंपनियां चीन व हांगकांग की पाई गईं. पैसा जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित देश स्विट्जरलैंड व हांगकांग माने गए. इसके बाद पनामा का नंबर आता है.