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अपने पहले भाषण में ट्रंप ने क्यों नहीं किया रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र, एक्सपर्ट से समझिए

वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर सिंह ने कहा, 'चुनावी कैंपेन में ट्रंप ने कहा था कि हम 24 घंटे के अंदर ही युद्ध रुकवा देंगे लेकिन उसके बाद एक हफ्ते पहले उन्होंने एक भाषण में कहा कि यह स्थिति बहुत जटिल है और इसमें करीब 6 महीने लगेंगे तो वह खुद अब धीरे-धीरे इस बात को समझ रहे हैं

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Photo: Reuters)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Photo: Reuters)

डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले भाषण में अपनी सरकार की प्राथमिकताओं को साफ कर दिया. उन्होंने इमिग्रेशन, अर्थव्यवस्था, मैक्सिको से घुसपैठ समेत कई मुद्दों का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने कहा कि अब अमेरिका उन युद्धों में नहीं उलझेगा जो उसके नहीं हैं. ट्रंप ने अपने पहले भाषण में रूस-यूक्रेन जंग का जिक्र तक नहीं किया जो उनके चुनावी कैंपेन का अहम हिस्सा था. विशेषज्ञों की मानें तो अब ट्रंप को यह समझ आ रहा है कि परिस्थिति बड़ी ही जटिल है और यह युद्ध इतनी जल्दी नहीं रुकवाया जा सकता है.

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'यह शांति वार्ता के लिए अच्छा समय है'

वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर सिंह से पूछा गया कि ट्रंप के आने से रूस को क्या उम्मीदें हैं, क्या रूस को वाकई ऐसा लगता है कि ट्रंप यूक्रेन को दी जाने वाली मदद रोक देंगे और जंग रुकवा सकते हैं. उन्होंने जवाब दिया, 'उम्मीद तो यही है लेकिन उनको इस बात का एहसास है कि यह इतनी जल्दी नहीं हो सकता क्योंकि अगर ट्रंप शांतिदूत बनना चाहते हैं तो उनको पहले यूक्रेन को दिए जाने वाले हथियार और आर्थिक मदद बंद करनी होगी. जब तक आप उसे बंद नहीं करते हैं, तब तक युद्ध चलता रहेगा.

उन्होंने कहा, 'दोनों चीजें एक साथ नहीं हो सकती हैं. आप हथियार भी दे रहे हैं, आर्थिक मदद भी दे रहे हैं और उसके साथ-साथ आप बातचीत भी करवाना चाहते हैं, शांति वार्ता ऐसे नहीं हो सकती. बातचीत के लिए अच्छा समय है. पुतिन और ट्रंप के अच्छे संबंध हैं. दोनों की बातचीत हो सकती है. पुतिन अपने बयानों में हमेशा खुले तौर पर बोलते हैं कि वह बात करने के लिए तैयार है लेकिन अभी तक कोई बात करने के लिए आगे नहीं आया है.' 

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भाषण में रूस-यूक्रेन का जिक्र क्यों नहीं?

उनसे पूछा गया कि ट्रंप ने रूस-यूक्रेन का जिक्र क्यों नहीं किया, वो भी एक ऐसे भाषण में जिसमें शायद ही किसी चीज का जिक्र न हुआ हो. रामेश्वर सिंह ने कहा, 'चुनावी कैंपेन में उन्होंने कहा था कि हम 24 घंटे के अंदर ही युद्ध रुकवा देंगे लेकिन उसके बाद एक हफ्ते पहले उन्होंने कहा कि स्थिति बहुत जटिल है और इसमें करीब 6 महीने लगेंगे.'

उन्होंने कहा, 'वह खुद अब धीरे-धीरे इस बात को समझ रहे हैं कि वह बयान सिर्फ एक चुनावी जुमला था और यह युद्ध रुकवाना बहुत ही मुश्किल है. वह खुद अब इसे समझ रहे हैं. तो ऐसा नहीं है कि ट्रंप के आने से तुरंत युद्ध रुक जाएगा लेकिन यह है कि बात शुरू हो सकती है. कुछ सकारात्मक चीजें हो सकती हैं. कुछ ना कुछ हल जरूर निकलेगा.'

ट्रंप की शपथ ग्रहण में टूटे कई रिकॉर्ड

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद कई रिकॉर्ड टूट गए हैं. उन्होंने इनडोर समारोह में शपथ ग्रहण की जो कि अमेरिकी इतिहास में दूसरी बार हुआ. ये फैसला कड़ाके की ठंड के बाद लिया गया. अमेरिका में कड़ाके की ठंड के बावजूद  उनके समर्थक वाशिंगटन डीसी पहुंचे, जहां वह ट्रंप के समर्थन में आतिशबाजी कर रहे हैं. इस कड़ाके की ठंड में भी उनके लिए माहौल बना रहे हैं.

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डोनाल्ड ट्रंप फ्लोरिडा से एक स्पेशल विमान के जरिए परिवार समेत वॉशिंगटन पहुंचे थे. उनकी इस फ्लाइट को स्पेशल एयर मिशन-47 का नाम दिया गया था, क्योंकि वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति हैं. इसी वजह से उनकी फ्लाइट को मिशन-47 नाम दिया गया था.

दो बाइबिल पर हाथ रख ली शपथ

डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. उन्होंने 2 बाइबिल पर हाथ रख कर शपथ ली. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम लिंकन की बाइबिल पर हाथ रख कर शपथ ली, जिसका प्रयोग पहली बार 1861 में 16वें अमेरिकी राष्ट्रपति को शपथ दिलाने के लिए किया गया था. दूसरी बाइबिल वह थी जो ट्रंप को उनकी मां ने 1955 में फर्स्ट प्रेस्बिटेरियन चर्च में संडे चर्च प्राइमरी स्कूल से स्नातक होने के अवसर पर दी थी.

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