अमेरिका में एक अश्वेत व्यक्ति टायर निकोल्स की पीट-पीटकर हत्या का मामला तूल पकड़ रहा है. कथित तौर पर ट्रैफिक नियम तोड़ने के कारण पुलिसवालों ने उसकी पिटाई की, जिसमें 29 साल के युवक की मौत हो गई. मामले की तुलना दो साल पहले जॉर्ज फ्लायड नाम के अश्वेत युवक की हत्या से हो रही है. पुलिस कस्टडी में गला दबने से हुई मौत के बाद अमेरिका समेत पूरी दुनिया में प्रदर्शन होने लगे. यहां तक तक कि हर उस नेता की मूर्तियां तोड़ी जाने लगीं, जिसपर किसी भी तरह से अश्वेतों के साथ भेदभाव का आरोप लगा था.
वैसे अमेरिका में अश्वेतों के साथ हिंसा का इतिहास काफी पुराना है. वहां एक चरमपंथी समूह ऐसा भी है, जो उनके साथ बर्बरता के लिए बदनाम रहा. उसे कू क्लक्स क्लान या केकेके भी कहते हैं. अश्वेतों पर शारीरिक हिंसा करने वाला ये ग्रुप अब भी कई देशों में खुफिया ढंग से काम कर रहा है.
साल 1865 की जुलाई में केकेके ग्रुप की शुरुआत हुई. ये वो समय था, जब अमेरिका में गुलाम प्रथा खत्म हो चुकी थी. खुद को सुप्रीम मानने वाले बहुत से लोग इस बात पर भड़के हुए थे. इधर अश्वेत गुलाम बनने से इनकार करने लगे और बराबर काम की भी मांग करने लगे. ऐसे में चरमपंथियों को डर सताने लगा कि कहीं ऐसा न हो कि ये लोग उनकी बराबरी पर पहुंच जाएं. तब उनको एक तरह से सबक सिखाने के लिए ही अमेरिका के टेनेसी में मीटिंग हुई और इस तरह से केकेके की नींव डली.
शुरुआत में इसे सोशल क्लब की तरह दिखाया गया, जहां श्वेत अफसर मिलते. उनका कहना था कि वे डेमोक्रेटिक तरीके से साबित करेंगे कि श्वेत नस्ल को ऊपरवाले ने ही बेहतर बनाया है. लेकिन जल्द ही ग्रुप के इरादे खुलने लगे. वे अंडरग्राउंड मीटिंग करने लगे, जिसमें ये तय होता कि अगला स्टेप क्या होगा.
ग्रुप में पदाधिकारों के नाम और काम भी तय हो गए. जैसे पहले लीडर को ग्रांड विजार्ट कहा गया. उससे नीचे वाले को ग्रांड ड्रैगन. जलता हुआ क्रॉस इसका सिंबल था. फिर केकेके के सदस्य टेनेसी से लेकर आसपास के सारे राज्यों में फैलने और आतंक मचाने लगे. वे अंधेरा होते ही सड़कों पर फैल जाते और अश्वेत लोगों को पत्थरों, बेल्ट या जो भी चीज हाथ में हो, उससे तब तक मारते, जब तक कि वे खून से नहा न जाएं. इस बर्बरता को वे प्यूरिफिकेशन यानी शुद्धिकरण कहते.
अश्वेत महिलाओं के साथ और क्रूर व्यवहार होता. चाहे बच्ची हो या बड़ी उम्र की महिला, उसे रेप के बाद मार दिया जाता. यहां तक कि LGBTQ भी केकेके के निशाने पर आने लगा. वैसे तो उस दौर में उतना खुलापन नहीं था, लेकिन अगर किसी की ऐसी पहचान जाहिर हो जाती तो उसे मार दिया जाता. यहां याद दिला दें कि आगे चलकर हिटलर ने भी LGBTQ को कमतर मानकर मारने का आदेश दिया था.
लगभग दो ही सालों में अलास्का से लेकर जॉर्जिया तक अश्वेत मूल के हजारों लोग मार दिए गए. केकेके की पहचान ये थी कि वे लोग सफेद या हल्के रंग के ही कपड़े पहना करते. उनके मुताबिक ये रंग उनकी पवित्रता और बेहतर नस्ल को दिखाता था. रात में ये सफेद हुड पहनकर चला करते. तब अमेरिका में केकेके का इतना आतंक था कि शाम ढलने के बाद अश्वेत लोग घरों से निकलने में डरने लगे.
साल 1882 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने केकेके ग्रुप और उसकी सोच को असंवैधानिक करार दिया और ऐसे लोगों पर सख्ती से कार्रवाई की बात कही. इसके बाद एकदम से चुप्पी छा गई. ऐसा लगा जैसे समूह खत्म हो चुका है, लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत में ये दोबारा उभरा और इस बात ज्यादा ताकतवर होकर.
दूसरे विश्व युद्ध के तुरंत बाद लगभग हर अमेरिकी राज्य में कू क्लक्स क्लान का आतंक छा चुका था. सिर्फ 4 लाख लोग यहां इसके सदस्य थे, जबकि दूसरे देशों में भी संगठन फैलने लगा था. श्वेत लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि इसका सदस्य बनने के लिए पैसे देने होते. साल 1965 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने क्लान की सदस्यता लेने वालों को तुरंत गिरफ्तार करने का एलान कर दिया. आनन-फानन धरपकड़ शुरू हो गई, जिसके बाद से ये लोग शांत हो गए.
अब केकेके नजर तो नहीं आ रहा लेकिन साल 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद इनका मुद्दा दोबारा गरमाया. माना जा रहा है कि इस तरह का चरमपंथी संगठन अब भी खुफिया तरीके से काम कर रहा है और चुपके-चुपके नफरत फैला रहा है.
जाते हुए एक बार ताजा घटना के बारे में जानते चले. हाल ही में अमेरिका के मेम्फिस शहर में एक के बाद एक कई वीडियो वायरल हुए, जिसमें 29 साल के अश्वेत शख्स टायर निकोल्स को पुलिसवाले बुरी तरह से मारपीट रहे हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार टायर ने कथित तौर पर ट्रैफिक नियम तोड़ा था, जिसपर पुलिस भड़क उठी. बुरी तरह से घायल निकोल्स की मौत के बाद से अमेरिका में प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें अश्वेतों के हक की बात हो रही है. हंगामा बढ़ने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान जारी कर निकोल्स की हत्या पर दुख जताया.