पाकिस्तान में मौत की सजा पाए कुलभूषण जाधव केस को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय हेग में भारत ने बुधवार को एक मेमोरियल दाखिल किया. इस मेमोरियल के जरिए भारत ने बताया कि जाधव केस में पाकिस्तान दूतावास संबंधी वियना कंवेंशन 1963 के नियमों का उल्लंघन कर रहा है.
इस पत्र में भारत पाकिस्तान के रुख का पर्दाफाश किया है. जिसमें कुलभूषण की गिरफ्तारी से जुड़े पाकिस्तान के झूठ को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के सामने रखा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार मेमोरियल यानी लिखित याचिका का कदम भारत द्वारा 8 मई 2017 को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दाखिल की गई याचिका का विस्तार है.
कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान ने जासूसी का आरोप लगाते हुए वहां की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. जिसके बाद भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में पाकिस्तान के फैसले को चुनौती दी थी. भारत की अपील के बाद इंटरनेशनल कोर्ट ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगा दी थी.
कुलभूषण जाधव को 3 मार्च, 2016 को ईरान से पाकिस्तान में अवैध घुसपैठ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान का दावा था कि वह एक रिसर्च एंड एनैलेसिस विंग (रॉ) एजेंट है. जबकि भारतीय नागरिक जाधव कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे.
इसी साल 15 मई को इंटरनेशनल कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी. सुनवाई में भारत की दलीलों के बाद पाकिस्तानी पक्ष के वकीलों ने जाधव पर आतंकवाद के आरोपों को जायज बताते हुए फांसी के फैसले को जायज ठहराया था. जबकि भारत ने इसे विएना संधि का उल्लंघन मानते हुए कुलभूषण की सजा रद्द करने की दलील पेश की थी.