"सुबह के करीब 4.30 बज रहे थे. मैं गहरी नींद में था, लेकिन अचानक शोर सुनाई दिया जिससे मेरी नींद खुल गई. चारों तरफ धुआं भरा हुआ था और मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या हुआ. घबराए हुए लोग बेतहाशा इधर-उधर भाग रहे थे...कई लोगों का दम घुट रहा था. यह देखकर हमने फैसला किया कि हम कमरे में ही रहेंगे. जब अग्निशमन अधिकारी आवाज लगाते हुए आए तब हमने अपने कमरे का दरवाजा खोला." 55 साल के चिन्नप्पन विश्वनाथन कुवैत के मंगाफ शहर की इमारत में लगी आग में से अपने बचने की कहानी सुनाते हुए कहते हैं.
बुधवार तड़के मंगाफ शहर की छह मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर की रसोई में आग लग गई जिससे पूरी इमारत में धुआं फैल गया और 50 से अधिक लोगों की जान चली गई. बताया जा रहा है कि मरने वालों में 40 से अधिक भारतीय हैं. इमारत को NBTC ग्रुप ने किराए पर लिया था और इसे श्रमिकों के रहने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. छह मंजिला इमारत में 196 मजदूर रह रहे थे जो कि क्षमता से काफी ज्यादा है और जब आग लगी तो मजदूर उसमें फंसकर रह गए.
तीसरी मंजिल पर रह रहे चिन्नप्पन ने 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए कहा, 'काले मोटे धुएं ने पूरी बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले लिया था. मुझे लगता है कि आग ग्राउंड फ्लोर से शुरू हुई. शुरू में, हम समझ ही नहीं पाए कि हो क्या रहा है. बहुत से लोग दौड़ रहे थे, कुछ को सांस नहीं आ रही थी. कुछ लोग दौड़कर हॉल की तरफ चले गए और फिर वो वापस नहीं लौटे.'
'नमाज के लिए उठे लोगों ने हमें आवाज देकर जगाया'
चिन्नप्पन चेन्नई के रहने वाले हैं जो NBTC ग्रुप के साथ एक टेक्नीशियन के तौर पर काम कर रहे थे. तमिनाडु के तेनकाशी के रहने वाले 29 साल के राजेन्द्रन मरिदुराई भी इस दर्दनाक हादसे से अपनी सूझबूझ से बचने में कामयाब रहे हैं. राजेंद्रन अपने एक दोस्त के साथ तीसरी मंजिल पर रह रहे थे.
वो बताते हैं, 'हम तीसरी मंजिल पर सोए थे. जो लोग सुबह की नमाज के लिए उठे थे, उन्होंने आवाज देकर हमें जगाया. जब हम जगे तो देखा कि चारों तरफ भागदौड़ है और हर तरफ काला धुआं फैला हुआ है. कुछ लोगों ने भागने की कोशिश की, कुछ बेहोश हो गए और कुछ लोग दरवाजे बंद कर अपने कमरे में ही रहे. कुछ लोगों ने तो चौथे फ्लोर से छलांग लगा दी और मारे गए. हमने अपना एसी बंद कर दिया और बाहर की तरफ लगा कमरे का शीशा तोड़ दिया ताकि बाहर की हवा अंदर आ सके. दरवाजा हमने पहले ही बंद कर रखा था इसलिए हम आग से बचने में कामयाब रहे.'
रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि आग ग्राउंड फ्लोर पर गैस सिलिंडर फटने से लगी जहां मिस्र का एक श्रमिक रह रहा था. सूत्रों के मुताबिक, मरने वालों में लगभग 25 भारतीय केरल से थे. आग में बुरी तरह झुलसने के कई मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है और उनकी पहचान अब डीएनए टेस्ट के जरिए की जाएगी. कुवैत सरकार ने पहचान का काम पूरा होने से पहले मृतकों का नाम जारी करने के खिलाफ सख्त निर्देश दिए हैं.
बेटी को कॉलेज में कराना था दाखिला और...
केरल के रहने वाले 48 साल के वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस की भी इस हादसे में मौत हो गई है. वह NBTC ग्रुप में सुपरवाइजर के तौर पर काम कर रहे थे. वो पिछले 18 सालों से कुवैत में थे. उनके गांव के रहने वाले एल शाजी ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा, 'वो अपनी बड़ी बेटी लीडिया का कॉलेज में एडमिशन कराने के लिए अगले महीने वापस घर आने वाले थे. उनकी बेटी ने हर विषय में A+ के साथ 12वीं पास किया है. लुकोस अपनी बेटी के रिजल्ट से काफी खुश थे. कुवैत जाने से पहले वो यहां एक मैकेनिक का काम करते थे.'
शादी के लिए घर आने वाले थे और...
33 साल के रणजीत NBTC के साथ अकाउंटेंट के रूप में काम कर रहे थे. उनके परिवार के एक दोस्त पी शिवाप्रसाद ने बताया कि वो घर आने वाले थे और छुट्टी पर थे. दोस्त ने बताया, 'वो घर आने वाले थे लेकिन लेबर कैंप में ही रुक गए क्योंकि उनका टिकट कंफर्म नहीं हो पाया था.'
अविवाहित रणजीत पिछले 10 सालों से कुवैत में रह रहे थे. दोस्त बताते हैं, 'वो दो साल पहले घर आए थे जब उनका नया घर बना था. वो इस बार घर आकर शादी करने की सोच रहे थे.' रणजीत अपने पीछे माता-पिता और दो भाई-बहनों को छोड़ गए हैं.
30 साल के समीर उमरुद्दीन NBTC ग्रुप के साथ पिछले पांच सालों से ड्राइवर का काम कर रहे थे. उनके रिश्तेदार सवाद बताते हैं, 'वो कुवैत जाने से पहले भी कोल्लम में एक ड्राइवर ही थे. आठ महीने पहले वो केरल आए थे. कुवैत में काम कर रहे एक रिश्तेदार ने हमें उनके मारे जाने की जानकारी दी.'
अरब टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि मरने वालों में अधिकतर 20-50 उम्रवर्ग के भारतीय हैं जो प्राइवेट कंपनी NBTC के लिए काम कर रहे थे.