कुवैत अपने यहां सरकारी नौकरियों से विदेशी कर्मचारियों को हटाकर अपने नागरिकों को नौकरियां दे रही है और बताया जा रहा है कि सरकार की ये योजना अगस्त तक पूरी हो जाएगी. सरकारी संस्थानों में शिक्षकों, डॉक्टरों और सेवा क्षेत्र की नौकरियों को छोड़कर बाकी से सभी सरकारी क्षेत्रों से विदेशियों को निकाला जा रहा है. कुवैत की कुल आबादी का 75 फीसद प्रवासी हैं जिसमें भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है.
अरब न्यूज ने स्थानीय अखबार, अल अंबा का हवाला देते हुए देश की रोजगार एजेंसी सिविल सेवा आयोग ने कहा है कि प्रवासियों को सरकारी नौकरियों से हटाने का काम अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा.
सितंबर 2017 में, आयोग ने विभिन्न सरकारी एजेंसियों को गैर-कुवैती कर्मचारियों की संख्या को धीरे-धीरे कम करने और नागरिकों के रोजगार देने का आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया था कि पांच वर्षों में सरकारी नौकरियों का 'कुवैतीकरण' किया जाना है.
साल 2020 में कुवैत में एक कानून भी बनाया गया था जिसमें कहा गया था कि देश में प्रवासियों का तादाद को कम करके कुल आबादी का 30 फीसद तक ले जाया जाएगा.
कुवैत की कुल आबादी 46 लाख है जिसमें लगभग 35 लाख विदेशी हैं. कुवैत में सबसे अधिक भारतीय रहते हैं. साल 2020 के आंकड़े के मुताबिक, कुवैत में 10 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं जो निजी क्षेत्रों के अलावा सरकारी नौकरियों में लगे हैं.
कुवैत के कानून में कहा गया था कि विदेशियों की संख्या को कम करके कुवैत की कुल आबादी का 30 फीसद किया जाएगा. इस कानून की वजह से कई भारतीयों को नौकरी छोड़नी पड़ रही है.
हाल के महीनों में खाड़ी देश में COVID-19 के कारण आर्थिक गिरावट के बीच विदेशियों के रोजगार को सीमित करने की मांग को लेकर आवाजें उठने लगी हैं. सरकार भी विदेशियों को लेकर सख्त कदम उठा रही है. कुवैत में अवैध रूप से रहने वाले विदेशियों को लेकर छापेमारी भी तेज हो गई है.
कुवैत के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में विभिन्न मामलों में कुवैत से लगभग 18 हजार विदेशियों को उनके देश वापस भेज दिया गया था.
साल 2018 में भी कुवैत ने प्रवासियों को लेकर नियमों में बदलाव किया था जिसके बाद सैकड़ों भारतीय इंजिनियरों को अपनी नौकरी से हाथ धोकर स्वदेश लौटना पड़ा था. सरकार के हालिया निर्णय का असर कुवैत में रहने वाले भारतीयों की रोजी-रोटी पर पड़ रहा है.