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इस मुस्लिम बहुल देश में भयावह हालात, अपने ही पैसों के लिए बैंकों में 'डकैती' कर रहे लोग!

लेबनान की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे खराब अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. वहां हर 10 में से 9 परिवार अपनी मूलभूत जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहा है. लोग बैंकों में जमा अपने पैसे को निकालने के लिए बैंकों में डाका डालने को मजबूर हैं.

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लेबनान में 10 लोगों में से 9 लोग मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में अक्षम हैं (Photo- Reuters)
लेबनान में 10 लोगों में से 9 लोग मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में अक्षम हैं (Photo- Reuters)

मध्य-पूर्वी देश लेबनान दुनिया के सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. ऐसे में लेबनान के केंद्रीय बैंक के गवर्नर रियाद सलामेह 30 सालों बाद अपना पद छोड़ रहे हैं. सलामेह अपने पीछे एक ऐसी अर्थव्यवस्था छोड़े जा रहे हैं जो कभी भी ढह सकती है. देश के हर 10 में से 9 परिवार के पास खाने-पीने की चीजें खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है. बैंक लोगों को उनका ही पैसा नहीं दे रहा है जिस कारण गुस्साए लोग बैंकों में 'डाका' डालने पर मजबूर हैं.

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सोशल मीडिया पर ऐसा ही एक वीडियो वायरल है जिसमें एक शख्स घर में बनाया हुआ तेजाब बोतल में लेकर लेबनान के किसी बैंक में बैंक कर्मचारियों को डराते दिख रहा है. वो बैंककर्मियों से कह रहा है कि वो उसके पैसे उसे दे दें, नहीं तो वो उन पर तेजाब फेंक देगा.

वीडियो में दिख रहे शख्स की पहचान उमर आवाह नामक शख्स के तौर पर हुई है जिसने बीबीसी से बातचीत में कहा, 'बैंक वालों को यह दिखाने के लिए कि तेजाब असली है, मैंने उनके कैलकुलेटर और फर्श पर उसकी कुछ बूंदें गिरा दीं. तेजाब गिरते ही वो उबलने लगा.'

'मैं पैसा लूटने नहीं गया था, अपना पैसा लेने गया था'

उमर का कहना है कि वो बैंक में पैसा लूटने नहीं गया था बल्कि बैंक में जमा अपना पैसा वापस लेना चाहता था. वायरल वीडियो में उसे कहते हुए सुना जा सकता है, 'मैं बस वही लेने आया हूं जो मेरा है. मैं किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता.'

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उमर ने बैंक में अपने सालों की बचत जमा की थी जिनका मूल्य अब बेहद कम हो चुका है क्योंकि लेबनान की मुद्रा में भारी अवमूल्यन हुआ है. लेबनान के सभी लोगों की लगभग यह हालत है.

जब से लेबनान गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है, लोग बैंकों से अपना पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं. जरूरत पड़ने पर भी बैंक उन्हें उनके सभी पैसे निकालने की अनुमति नहीं दे रहा है.

उमर ने बैंक में जितने पैसे जमा किए थे, अब उनकी कीमत इतनी कम हो गई है कि उसने अपने जीवन भर की 80 फीसद से अधिक बचत खो दी है. बैंककर्मियों को डरा-धमकाकर उसने बैंक से अपने पूरे पैसे निकाले जो अब महज 6,500 डॉलर रह गए हैं. वह इन पैसों से अपनी गर्दन की सर्जरी कराएगा. डॉक्टरों का कहना है कि अगर जल्द ही उसके गर्दन की सर्जरी नहीं की गई तो वह लकवाग्रस्त हो सकता है.

लेबनान की बैंकों में बढ़े 'डकैती' के मामले

लाखों लेबनानी बैंकों में पैसे जमा कर फंस गए हैं. जरूरत के वक्त भी वो अपने पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं. बैंककर्मियों को डरा-धमकाकर बैंक से अपने पैसे निकालने के मामले भी बढ़ गए हैं जिससे बैंक कर्मचारियों में डर का माहौल है. 

देश की बदहाली को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते लेबनानी लोग (Photo- Reuters)

बैंककर्मियों को डराने को लेकर जब उमर से सवाल किया गया कि उन्होंने बैंक कर्मियों को डरा-धमकाकर अपने पैसे बैंक से निकाले, क्या यह उनके साथ गलत नहीं है?

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जवाब में उमर ने कहा, 'वे मेरी बहनों और भाइयों की तरह हैं और मैं अब उनसे माफी मांगूंगा. मेरा इरादा उनमें से किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं था लेकिन मैं यह भी चाहता हूं कि वे मेरी मजबूरी को समझे कि मैंने ऐसा क्यों किया.'

नेताओं और सलामेह ने मिलकर लेबनान की कर दी ऐसी हालत

उमर की इस दुर्दशा का एक बड़ा कारण दुनिया के सबसे लंबे समय तक पद पर रहे केंद्रीय बैंक गवर्नरों में से एक रियाद सलामेह हैं.

लेबनान की हालिया आर्थिक दुर्दशा के लिए वहां के नेताओं के साथ-साथ सलामेह को जिम्मेदार माना जाता है क्योंकि इनके वित्तीय कुप्रबंधन के कारण ही मध्य-पूर्वी देश आज इस हालत में पहुंचा है.

सलामेह पर आरोप है कि लेबनान के केंद्रीय बैंक, Banque du Liban, के गवर्नर पद पर रहते हुए उन्होंने बड़े पैमाने पर Ponzi स्कीम चलाई जिसके तहत मौजूदा कर्जदारों को और कर्ज देने के लिए बैंक ने पैसे उधार लिए. ये स्कीम तब तक चलाई गई जब तक कि लेबनान की अर्थव्यवस्था ढहनी नहीं शुरू हो गई.

सलामेह में बीबीसी को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें वो बार-बार एक ही बात दोहराते दिखे कि लेबनान की वित्तीय समस्याओं के जिम्मेदार वो नहीं हैं.

वो कहते हैं, 'केंद्रीय बैंक का गवर्नर कोई अकेला व्यक्ति नहीं होता है, एक केंद्रीय परिषद होती है जो वित्तीय फैसले लेती है. गवर्नर इन फैसलों को लागू करता है. यह गलत कहा जा रहा है कि वित्तीय संकट की जिम्मेदारी गवर्नर की है. इस दुनिया के सभी केंद्रीय बैंकों में, कोई एक व्यक्ति अकेला काम नहीं कर रहा.'

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लेबनान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब स्थिति में है. इसकी मुद्रा ने अपना 98% मूल्य खो दिया है और जून में इसकी खाद्य मुद्रास्फीति 304 प्रतिशत थी.

Photo- Reuters

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक, लेबनान की जीडीपी में 40% की गिरावट आई है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगभग दो तिहाई खत्म हो गया है.

कई देशों में चल रही सलामेह के खिलाफ जांच

रियाद सलामेह पर केंद्रीय बैंक का गवर्नर रहते हुए पैसों के गबन के आरोप में लेबनान सहित कम से कम सात देशों में जांच चल रही है. दावा किया जा रहा है कि उन्होंने 30 करोड़ डॉलर की मनी लॉन्ड्रिंग की है. लेकिन वो अपने ऊपर लगे इन सभी आरोपों से इनकार करते हैं.

वो कहते हैं, 'मैंने अपने बैंक अकाउंट पर ऑडिट किया स्टेटमेंट दिखाया है जिससे पता चलता है कि मेरे खाते में जमा पैसा मेरा कमाया हुआ है जिसे मैंने 20 सालों की अपनी प्राइवेट नौकरी से कमाया था. मेरे अकाउंट से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक से मेरे खाते में कभी कोई पैसा नहीं आया.'

सलामेह भले ही इन आरोपों से इनकार करें लेकिन उनके खिलाफ कई बड़े आरोप हैं. इसे लेकर जर्मनी और फ्रांस में उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई है और उनकी गिरफ्तारी के वारंट जारी किए गए हैं. वहीं, स्विट्जरलैंड में अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या उन्होंने और उनके भाई राजा ने एक दशक के दौरान केंद्रीय बैंक से अवैध रूप से करोड़ों डॉलर लिए थे. दोनों भाई इन आरोपों से इनकार करते हैं.

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Photo- Reuters

सलामेह के खिलाफ लक्जमबर्ग, मोनाको और बेल्जियम में भी जांच चल रही है. ब्रिटेन में भी सलामेह की काफी संपत्ति है. लेकिन इस संपत्ति पर सीरियस फ्रॉड ऑफिस और राष्ट्रीय अपराध एजेंसी ने कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि गबन से जुड़े मामलों पर गौर किया जा रहा है.

सलामेह के आपराधिक संगठन से जुड़े होने की शंका

स्विटजरलैंड की एनजीओ, अकाउंटेबिलिटी नाउ, कई सालों से सलामेह को लेकर रिसर्च कर रही है. एनजीओ ने सलामेह पर कई देशों में आपराधिक शिकायतें दर्ज की है.

अकाउंटेबिलिटी नाउ के बोर्ड के अध्यक्ष जेना वाकिम कहती हैं, 'यूरोप में अभियोजकों ने उनके लिए 'एग्रेवेटेड' शब्द का इस्तेमाल किया है, जिसका मतलब है कि सलामेह पर एक आपराधिक संगठन से जुड़े होने का संदेह है. यह पहली बार है जब किसी केंद्रीय बैंक के गवर्नर पर यूरोप के अभियोजकों को शक है कि वो एक आपराधिक संगठन से जुड़ा है.'

जनता की मदद के लिए आया पैसा कहां गया?

वह यह भी सवाल करती हैं कि लेबनान के जरूरतमंदों के लिए मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता कहां खत्म हो रही है. संयुक्त राष्ट्र की बच्चों की चैरिटी संस्था, यूनिसेफ का कहना है कि लगभग 10 में से नौ परिवार अपने बुनियादी जरूरतों का खर्च उठाने में भी सक्षम नहीं हैं. लोग बिजली, दवाई, ईंधन और भोजन की कमी से लगातार जूझ रहे हैं.

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जेना कहती हैं, 'पिछले पांच सालों में, लेबनान में 5 अरब डॉलर की अंतरराष्ट्रीय मदद आई है. 2020 के बंदरगाह विस्फोट के बाद अंतरराष्ट्रीय मदद में और बढ़ोतरी की गई थी. लेकिन हमें नहीं पता कि वो पैसा कहां गया.... वो पैसा लोगों के लिया था. 1990 में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद लेबनान के जो कुछ भी हुआ है, उसका सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार है.'

सलामेह पद से हट रहे हैं लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि केंद्रीय बैंक के अलग गवर्नर कौन होगा. इधर, लोगों में बैंकों के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है. 

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