वैश्विक आतंकी हाफिज सईद के साले और आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जमात उद दावा में नंबर दो अब्दुल रहमान मक्की ने गुरु नानक देव के खिलाफ अपमान जनक शब्दों का प्रयोग किया है. पाकिस्तान के मुल्तान शहर में आयोजित एक कार्यक्रम में मक्की ने सिखों के पहले गुरु नानक देव के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग किया.
मक्की की टिप्पणी उन सिख आतंकियों के लिए आंखें खोलने वाली है, जिन्होंने कथित खालिस्तान आंदोलन के नाम पर भारत के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए पाकिस्तान में शरण ले रखी है. सिखों की आस्था पर बयानबाजी करते हुए मक्की ने उन्हें 'काफिर' तक बता डाला.
मुल्तान में अपने समर्थकों की रैली में भाषण देते हुए मक्की ने कहा, 'इस्लाम को बदनाम करने की गंदी साजिश सदियों से चल रही है. सिखों के पहले गुरु नानक का उदय भी इस साजिश का हिस्सा है, इस्लाम को बदनाम करने के लिए वे भी बराबर के हिस्सेदार हैं.'
यही नहीं, मक्की ने सिखों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए उनकी आस्था और विचारों पर भी गलत टिप्पणियां की और उन्हें इस्लाम के खिलाफ कथित साजिश का दोषी ठहराया.
मक्की ने कहा, '350 साल पहले, बाबा नानक नाम के शख्स का उदय होता है और लोग उन्हें मुस्लिम समर्थक बताने लगते हैं और उनकी शिक्षाएं भी इस्लामिक शिक्षाओं की तरह होती हैं. मौलवी और बौद्धिक उनके प्रति अपनापन दिखाते हैं और कुरान की कुछ आयतों की व्याखा करते हुए उनकी शिक्षाओं को उद्धृत करते हैं.'
बता दें कि अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने कुछ साल पहले मक्की के सिर पर 2 मिलियन डॉलर (करीब 13 करोड़ रुपये से ज्यादा) का इनाम रखा है.
मक्की ने अपने भड़काऊ भाषण में कहा, 'उस समय हिंदुओं ने इस्लाम के खिलाफ सबसे खतरनाक साजिश रची, ताकि मुस्लिमों को कमजोर किया जा सके और उन्हें हिंदू धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जा सके.'
लश्कर आतंकी ने आगे कहा, 'बाबा नानक को पंजाब में प्रोत्साहित किया गया, ताकि वे सिख धर्म को पेशावर तक फैला सकें. मुस्लिमों को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश की गई कि सिख धर्म एक ईश्वर में विश्वास करता है. मुस्लिम की तरह दाढ़ी रखना, कुरान की कुछ आयतों का प्रयोग करना. लोग समझ नहीं पाए. वे (सिख) काफिर थे, धोखा देने वाले और पूरी तरह गैर इस्लामिक.'
गुरु नानक देव का जन्म लाहौर शहर के पास वर्तमान ननकाना साहिब में राय भोई की तलवंडी में 1469 में हुआ था. गुरु नानक देव ने सिख धर्म की स्थापना की. सिखों के दस गुरुओं में वे प्रथम हैं.
मौजूदा समय में पाकिस्तान में सिखों की संख्या बहुत ही कम हो गई है, जो लगातार गिरती जा रही है. उन्हें लगातार इस्लामिक चरमपंथियों के अत्याचारों का सामना करना पड़ता है. 1947 में बंटवारे के समय सिखों की एक बड़ी आबादी ने भारत में ही रहने का फैसला किया.