इजरायल के बारे में कहा जाता है कि वह अपने दुश्मनों का पीछा कयामत तक करता है. हमास की कमर तोड़ने के बाद अब वह हिज्बुल्लाह के सफाए में लगा है. यही वजह है कि लेबनान में हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हवाई हमलों के बाद अब वह दक्षिणी लेबनान में ग्राउंड ऑपरेशन में जुटा है. हिज्बुल्लाह के सफाए के लिए नेतन्याहू रूसी राष्ट्रपति पुतिन के डोनबास प्लान को फॉलो कर रहे हैं. लेकिन ये प्लान क्या है?
लेबनान में इजरायली सेना के ग्राउंड ऑपरेशन को इजरायल की नेशनल सिक्योरिटी कैबिनेट ने हिज्बुल्लाह के खिलाफ जंग का चौथा चरण बताया है. इजरायली सेना चौथी बार लेबनान की जमीं पर दाखिल हुई है. इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के लगभग 30 गावों को इलाका छोड़कर जाने का अल्टीमेटम दिया है.
इजरायली सेना के प्रवक्ता अविचय एड्री ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दक्षिणी लेबनान के लोगों को अपनी जान बचाने के लिए तुरंत उत्तर की ओर अवाली नदी (Awali River) की तरफ चले जाना चाहिए.
अवाली दरअसल इजरायल-लेबनान सीमा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है, जो लेबनान की उत्तरी सीमा में है. इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच 2006 के युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र ने इसे बफर जोन घोषित कर दिया था.
क्या है नेतन्याहू का पुतिन वाला प्लान?
इजरायल ने ठान लिया है कि वह हिज्बुल्लाह का पूरी तरह से सफाया कर देगा. यही सोचकर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हिज्बुल्लाह कि ठिकानों पर हवाई हमले करने के साथ-साथ ग्राउंड ऑपरेशन भी शुरू किया है. वह हिज्बुल्लाह को लगातार घेर रहा है.
नेतन्याहू समझ चुके हैं कि हसन नसरल्लाह के खात्मे के बाद हिज्बुल्लाह के पास अब कोई ठोस नेतृत्व नहीं है. इसका फायदा उठाते हुए इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में दाखिल होने का फैसला लिया. लेकिन ऐसे में सवाल है कि दक्षिणी लेबनान ही क्यों?
दरअसल दक्षिणी लेबनान ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह का गढ़ है. यहां हिज्बुल्लाह को अपने पूरे टनल नेटवर्क से बहुत फायदा होता है. यहीं पर मौजूद टायर (Tyre) शहर का हिज्बुल्लाह के लिए बहुत मायने हैं. इस शहर को हिज्बुल्लाह की लाइफलाइन भी कहा जा सकता है. यही वजह है कि नेतन्याहू इस शहर से हिज्बुल्लाह का कनेक्शन पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं. बेरूत, त्रिपोली और सिडोन के बाद टायर लेबनान का चौथा बड़ा शहर है.
इजरायल दक्षिणी लेबनान में टायर शहर से हिज्बुल्लाह के सभी कनेक्शन को सफलतापूर्वक खत्म करने में जुटा हुआ है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी यूक्रेन के साथ युद्ध में उसके डोनबास शहर को पूरी तरह से यूक्रेन से काट दिया था, जिसके बाद यूक्रेन को युद्ध में बैकफुट पर आ गया था.
पुतिन का डोनबास प्लान क्या था?
2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. राष्ट्रपति पुतिन उसी समय समझ गए थे कि यूक्रेन को पटखनी देनी है तो डोनबास को यूक्रेन से अलग करना होगा. इस रणनीति के तहत पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के डोनबास के दो इलाकों डोनेत्सक और लुहांस्क को एक देश के तौर पर मान्यता दे दी. इन पर 2014 से अलगाववादियों का कब्जा था.
डोनबास पूर्वी यूक्रेन में पड़ता है. यहां की ज्यादातर आबादी रूसी भाषा बोलती है, इसलिए रूस इसे यूक्रेन से अलग करना चाहता था. डोनबास में 2014 से ही रूस समर्थित अलगाववादी और यूक्रेनी सेना के बीच संघर्ष चल रहा था. पुतिन कई बार कह चुके थे कि डोनबास पर कब्जा करना उसका मकसद था क्योंकि वह इस पर कब्जा कर यूक्रेन को मनोवैज्ञानिक तौर पर भी चोट पहुंचाना चाहता था.
डोनबास पर रूस के कब्जे से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी कह चुके थे कि हम लड़ेंगे. लेकिन अगर डोनबास पर रूस का कब्जा हो गया तो राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के दो टुकड़े करने में कामयाब हो जाएंगे.
बता दें कि डोनबास के अलग होने से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ा. यहां बड़ी संख्या में कोयला खदानें मौजूद हैं और इसे यूक्रेन का औद्योगिक केंद्र कहा जाता था. यही वजह है कि डोनबास को यूक्रेन से अलग करना पुतिन की वॉर पॉलिसी का हिस्सा था.