नेपाल में पूर्व माओवादी विद्रोहियों और उदारवादी कम्युनिस्टों का गठबंधन सरकार बनाने की ओर बढ़ रहा है. इस गठबंधन को संसदीय चुनाव में अब तक 91 सीटों पर जीत मिली है, जिससे देश में राजनीतिक स्थिरता आने की उम्मीद जगी है. पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी ने प्रांतीय और संसदीय चुनावों के लिए गठबंधन किया था.
वामपंथी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत
चुनाव आयोग द्वारा जारी परिणामों के मुताबिक, 165 सीटों में से सीपीएन-यूएमएल को 66 सीटों पर जीत मिली है, जबकि इसके गठबंधन सहयोगी सीपीएन माओवादी-सेंटर को 25 सीटें मिली हैं. 275 सदस्यीय संसद में वामपंथी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना के कारण ओली को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है. ओली ने झापा-5 क्षेत्र से जीत दर्ज की. उन्होंने नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार खगेंद्र अधिकारी को 28 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया.
Left alliance of former #Maoist rebels and moderate communists set to form next government in #Nepal, wins 91 seats.
— Press Trust of India (@PTI_News) December 10, 2017
दो चरण में हुए थे संसदीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव
नेपाल में संसदीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव के लिए दो चरणों में 26 नवंबर और सात दिसंबर को मतदान हुए थे. पहले चरण में 32 जिलों में चुनाव हुए थे, जिसमें से ज्यादातर पवर्तयीय इलाके शामिल थे. पहले चरण में 65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. दूसरे चरण में 67 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया.
नेपाल में संसदीय परंपरा के मुताबिक कामकाज
संसदीय सीटों के लिए हुए चुनाव में 1663 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई. इस ऐतिहासिक चुनाव के साथ ही नेपाल में राजतंत्र की समाप्ति के बाद 2008 में शुरू हुई द्विसदन संसदीय परंपरा में बदलाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. इससे करीब दो साल पूर्व माओवादी लड़ाकुओं के खिलाफ व्यापक युद्ध छेड़ा गया था. वर्ष 2015 के संविधान के मुताबिक, संसदीय परंपरा कामकाज संभालेगी. संविधान को अंतिम रूप देने के समय भी तराई इलाकों में व्यापक विरोध हुआ था.