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पोंछा लगा की पढ़ाई, याहू से निकला तो व्हाट्स एप, जिसे फेसबुक को बेच कमाए खरबों

जी हां, सुनकर यकीन नहीं होगा लेकिन यह सच है. यह दास्तान है उस 37 वर्षीय युवक की, जिसका नाम आज सारी दुनिया में हैरानी और कुछ हद तक ईर्ष्या से भी लिया जा रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं यान कॉम की जिसकी कंपनी वाट्सएप को फेसबुक के मार्क जकरबर्ग ने 19 अरब डॉलर (1 लाख 18 हजार करोड़ रुपये) की जबर्दस्त रकम देकर खरीद ली.

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जान कॉम
जान कॉम

जी हां, सुनकर यकीन नहीं होगा लेकिन यह सच है. यह दास्तान है उस 37 वर्षीय युवक की, जिसका नाम आज सारी दुनिया में हैरानी और कुछ हद तक ईर्ष्या से भी लिया जा रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं यान कॉम की जिसकी कंपनी वाट्सएप को फेसबुक के मार्क जकरबर्ग ने 19 अरब डॉलर (1 लाख 18 हजार करोड़ रुपये) की जबर्दस्त रकम देकर खरीद ली.

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यूक्रेन की राजधानी कीव के पास के एक गांव में यान का जन्म हुआ था. उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि एक बढ़िया जिंदगी जी सके. उसके पास उधार की किताबें होती थीं और ठिठुरती सर्दी में भी उसके घर में गर्म पानी नहीं होता था. उसके पिता एक कन्स्ट्रक्शन मैनेजर थे जो अस्पतालों और स्कूलों के भवन बनाया करते थे. वह मां-बाप के इकलौते बच्चे थे.

फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक यान के पास वाट्सएप का 45 प्रतिशत मालिकाना हक है. और समझा जाता है कि उसे इस सौदे से 6.8 अरब डॉलर मिले हैं. उसका बचपन तंगी में गुजरा और जब वह 16 वर्ष का हुआ तो उसकी मां ने गांव छोड़ दिया और माउंटेन व्यू में बस गई. उन्हें सरकार की मदद से दो कमरे का मकान मिल गया. उन्होंने वहां आया का काम करना शुरू किया. घर वालों की मदद करने के लिए यान ने एक ग्रोसरी स्टोर में पोछा लगाने लगे. लेकिन उसकी मां को कैंसर हो गया और उन्हें उनके इलाज में काफी खर्च करना पड़ा.

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जान कॉम ने 18 साल की उम्र में कंप्यूटर का काम सीखा और इसके लिए कंप्यूटर सिखाने वाली पुरानी किताबों का सहारा लिया. पढ़ने के बाद वे उन किताबों को लौटा देते थे.

...जब याहू के ऐक्टन से हुई दोस्ती
कंप्यूटर सीख कर वह इएफनेट इंटरनेट रिले चैट नेटवर्क पर एक हैकर ग्रुप woowoo के सदस्य बन गए. उससे ही वह नैपस्टर के सह संस्थापक सॉन पैनिंग के बातें करते थे. बाद में वह सैन जोस यूनिवर्सिटी में पढ़ने चले गए. उन्होंने अर्न्स्ट ऐंड यंग के यहां सिक्योरिटी टेस्टर का भी काम किया. 1997 में उन्होंने याहू के एक कर्मचारी ऐक्टन के साथ काम किया. उन्हें यान का रवैया पसंद आया और उन्होंने उन्हे अपने यहां नौकरी दे दी. उस समय वह पढ़ाई कर ही रहे थे. उसी दौरान याहू का एक सर्वर बैठ गया और कंपनी के सहसंस्थापक डेविड फिलो ने उन्हें फोन करके मदद मांगी लेकिन यान ने जवाब दिया कि वह क्लास में हैं और उसके बाद ही आ सकते हैं. लेकिन फिलो ने उसे डांटा और फौरन नौकरी पर आने को कहा. उस दिन से यान की पढ़ाई छूट गई और वह काम में लग गए.

2000 में यान की मां का कैंसर से निधन हो गया. उसके पिता की मौत 1997 में हो गई थी. इसके बाद ऐक्टन से उनकी मित्रता बढ़ती गई.

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नौ वर्षों तक दोनों ही याहू में नौकरी करते रहे और उनके काम में परेशानियां आती रहीं. सितंबर 2007 में उन दोनों ने याहू की नौकरी छोड़ दी और एक साल तक इधर-उधर घूमते रहे. उन्होंने फेसबुक में नौकरी मांगी लेकिन दोनों को रिजेक्ट कर दिया गया. जान के पास नौकरी से कमाए हुए चार लाख डॉलर थे जिन्हें वह उड़ाते जा रहे थे.

एक आईफोन खरीदा जिसने बदल दी जिंदगी
2009 में उन्होंने एक आईफोन खरीदा जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. उन्हें यह समझ में आ गया कि आने वाला समय एप्स का है. उन्होंने कुछ मित्रों को इकट्ठा किया और इस पर बातें कीं. उसने उनको समझाया कि ऐड्र्स बुक में ही उस व्यक्ति का स्टेटस रख दिया जाए तो क्या होगा. उन्होंने कहा कि मोबाइल की कमजोर बैटरी के कारण बातें करना संभव नहीं होता है, ऐसे में इसका फायदा हो सकता है. यान ने आईफोन के एक रूसी डेवलपर से मुलाकात की और उसके बाद उसने जो एप्प बनाया उसका नाम रखा वाट्सएप जिसका मतलब था कि क्या हो रहा है (what is up).

24 फरवरी, 2009 को यान ने वाट्सएप इंक कंपनी को कैलिफोर्निया में रजिस्टर करवाया. शुरू में वाट्सएप चलने में परेशानी पैदा करते था और बैठ भी जाता था लेकिन धीरे-धीरे उसमें सुधार हुआ और वह तेजी से आगे बढ़ता गया. यान ने ऐक्टन को अपने साथ ले लिया. 2011 में वाट्सएप को अमेरिका के टॉप 10 एप्स में माना गया. 2012 में इसे फेसबुक के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाने लगा.

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दिलचस्प बात यह है कि उसके पास अपनी बिल्डिंग भी नहीं है और वह अभी बन रही है. उससे भी बड़ी बात है कि इस कंपनी में सिर्फ 50 कर्मचारी हैं.

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