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क्या फिर बीच मझधार में फंसेगा भारत-ब्रिटेन का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट, ट्रस के इस्तीफे से बढ़ी मुश्किल

भारत और ब्रिटेन के बीच में लंबे समय से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर चर्चा चल रही है. पहले कहा जा रहा था कि दिवाली तक दोनों देशों के बीच में करार हो जाएगा. लेकिन लिज ट्रस के इस्तीफे ने इस समझौते को फिर बीच मझधार में फंसा दिया है.

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पीएम नरेंद्र मोदी और लिज ट्रस (रॉयटर्स)
पीएम नरेंद्र मोदी और लिज ट्रस (रॉयटर्स)

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. सिर्फ 45 दिन बाद ही उन्हें अपनी पीएम कुर्सी छोड़नी पड़ गई है. इस एक इस्तीफे ने ब्रिटेन में जारी राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता को फिर बढ़ा दिया है. भारत पर भी ब्रिटेन में जारी इस सियासी उठापटक का असर पड़ने वाला है. लंबे समय से चर्चा चल रही है कि भारत और ब्रिटेन के बीच में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होगा. यहां तक कहा जा रहा था कि दिवाली तक दोनों देश इसका ऐलान भी कर देंगे, लेकिन अब क्योंकि लिज ट्रस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, ये एग्रीमेंट फिर बीच मझधार में फंसता दिख रहा है.

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फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में देरी क्यों?

असल में पहले कहा गया था कि दिवाली के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ब्रिटेन जाएंगे और फिर दोनों देश के प्रधानमंत्री मुलाकात कर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बड़ा फैसला करेंगे. लेकिन खबर ये है कि अब पीएम मोदी शायद ब्रिटेन दौरे पर ना जाए, वहां पर जिस तरह की राजनीतिक अस्थिरता चल रही है, उसे देखते हुए उनका जाना मुश्किल लगता है. उस स्थिति में इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को अमलीजामा पहनाना चुनौती साबित हो सकता है.

विवादित बयानों ने भी बढ़ाई मुश्किल

अब द न्यू इंडियन एक्स्प्रेस से बात करते हुए भारत सरकार के अधिकारी ने कहा है कि दोनों देश की बातचीत की गति प्रभावित हुई थी. ब्रिटेन में जारी राजनीतिक अस्थिरता की वजह से कई बार बातचीत रुक गई. ऐसे में अभी ये बताना मुश्किल होगा कि ये फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कब तक हो पाएगा. जरूरी बात ये है कि इस समझौते में सिर्फ तभी जाया जाएगा अगर वो दोनों देशों के लिए फायदेमंद रहे. अब राजनीतिक अस्थिरता की वजह से तो डील फाइनल करने में देरी हो ही रही है, कुछ विवादित बयानों ने भी इस प्रक्रिया को धीमा करने का काम किया है.

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हाल ही में अपने पद से इस्तीफा देने वालीं भारतीय मूल की ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का विरोध करते हुए कहा था कि इससे ब्रिटेन में भारतीय प्रवासियों की भीड़ बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा था कि कई भारतीय प्रवासी वीजा की अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी ब्रिटेन में ही रहते हैं. उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश लोगों ने ब्रेग्जिट से हटने के लिए इसलिए वोट नहीं दिया था कि भारतीयों के लिए ब्रिटेन की सीमा इस तरह से खोल दिया जाए. उनके उस बयान पर भी खूब बवाल हुआ था और इसने दोनों देशों के बीच दूरियां पैदा करने का काम किया.

भारत के लिए क्यों जरूरी FTA?

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बात करें तो इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच में व्यापार को तो बढ़ाया ही जाता है, इसके साथ-साथ आयात और निर्यात में जो भी रुकावटें रहती हैं, उन्हें समाप्त करने का काम होता है. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में ही सब्सिडी, कोटा, टैरिफ को भी कम कर दिया जाता है. इसका फायदा दोनों देशों को पहुंचता है. भारत के लिहाज से बात करें तो फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होने पर एक्सपोर्ट सेक्टर में बड़ी ग्रोथ देखने को मिल सकती है. इसके अलावा एग्रो, लेदर, टेक्सटाइल जैसे सेक्टरों में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है. वहीं ब्रिटेन और भारत में इस एक एग्रीमेंट की वजह से रोजगार के अवसर भी कई गुना बढ़ जाएंगे. अभी इस समय भारत और ब्रिटेन का 50 बिलियन डॉलर का ट्रेड चल रहा है, महत्वकांक्षी लक्ष्य 100 बिलियन डॉलर का रखा गया है. अब ये तभी पूरा हो सकता है जब दोनों देशों के बीच बिना किसी रुकावट के ट्रेड हो सके.
 

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