छिपकली की पूंछ का खुद से टूटना और फिर उग आना हमेशा से कौतूहल का विषय रहा है. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इस रहस्य का पता लगा लिया है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने वह जेनेटिक नुस्खा भी ढूंढ निकाला है, जो छिपकली में अंग का निर्माण करता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि जेनेटिक मेटेरियल के सही मात्रा में मिश्रण से ही यह संभव हो पाता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, छिपकली में पाए जाने वाले अंग पुनर्निमाण के जेनेटिक नुस्खे का पता लगाकर उन्हीं जीन को मानव कोशिका में आरोपित कर मानव अंगों का भी निर्माण किया जा सकता है. यानी कि इस तकनीक के जरिए भविष्य में कार्टिलेज, मांसपेशी और यहां तक कि रीढ़ की हड्डी का फिर से निर्माण संभव हो सकता है.
एरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की केनरो कुसुमी कहती हैं, 'छिपकली में भी वही जीन होते हैं जो मनुष्यों में होते हैं. वे मनुष्यों की शारीरिक संरचना से सबसे ज्यादा मेल खाने वाले जीव हैं. अंग के पुनर्निमाण में शामिल जीनों की पूरी जानकारी हासिल कर अगली पीढ़ी की तकनीक से इस रहस्य को सुलझाया जा सकता है.
जर्नल 'पीएलओएस ओनएई' में प्रकाशित इस रिसर्च में कहा गया है कि इस खोज से रीढ़ की हड्डी की चोट, जन्म संबंधी विकृतियां और गठिया जैसे रोगों को ठीक करने में मदद मिल सकती है.