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लंदन: अनुच्छेद 370 के खिलाफ कार्यक्रम में हंगामा करने वाले छात्रों का बयान, बोले- RSS से नहीं

लंदन की एसओएएस यूनिवर्सिटी में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर 5 अक्टूबर को आयोजित एक कार्यक्रम में हंगामा करने वाले छात्रों ने इंडिया टुडे बातचीत में कहा कि वे आरएसएस या बीजेपी के सदस्य नहीं हैं, बल्कि वे LGBT समुदाय के ब्रिटिश एशियन हैं जो गैर-भारतीय हैं.

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एसओएएस यूनिवर्सिटी में हंगामा करने वाले छात्र (Photo- Aajtak)
एसओएएस यूनिवर्सिटी में हंगामा करने वाले छात्र (Photo- Aajtak)

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  • लंदन में नकाबपोश छात्रों ने किया था हंगामा
  • छात्र बोले- आरएसएस या बीजेपी के सदस्य नहीं

लंदन की एसओएएस यूनिवर्सिटी में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर 5 अक्टूबर को आयोजित एक कार्यक्रम में हंगामा करने वाले छात्रों ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि वे आरएसएस या बीजेपी के सदस्य नहीं हैं, बल्कि वे LGBT समुदाय के ब्रिटिश एशियन हैं जो गैर-भारतीय हैं. कार्यक्रम के मौके पर वे भी अपना विचार रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं ​करने दिया गया.

लंदन की एसओएएस यूनिवर्सिटी में 5 अक्टूबर को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में पांच नकाबपोश छात्रों ने हंगामा किया. यह कार्यक्रम कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के ​विरोध में साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप ने शनिवार (5 अक्टूबर) को आयोजित किया था. एसओएएस (स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज) लंदन का एक प्रतिष्ठित शोध संस्थान है.

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इस कार्यक्रम की अध्यक्षता यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर के स्कूल ऑफ सोशल साइंस के हेड दिव्येश आनंद कर रहे थे. इस कार्यक्रम में भाकपा माले की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी की डॉ. निताशा कौल और कई अन्य लोग शामिल थे.

नकाबपोश छात्र बैनर लिए कार्यक्रम में पहुंचे

कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की आलोचना की जा रही थी और सवाल उठाए जा रहे थे. उसी समय कुछ नकाबपोश छात्र हाथों में बैनर लिए वहां पहुंचे. इन बैनरों में वामपंथियों को 'प्रतिगामी' कहा गया था.

ये छात्र यह कहने की कोशिश कर रहे थे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से वहां अन्य अल्पसंख्यकों के साथ LGBT समुदाय को भी समान ​अधिकार मिले गए हैं. अनुच्छेद 370 को बहाल करने का मतलब होगा वही भेदभाव पुन: लौटाना जो उनके साथ होता रहा है.

'प्रतिगामी वामपंथ को लाना चाहता था सामने'

इंडिया टुडे से बात करते हुए अमिताभ (बदला हुआ नाम, निजी कारणों से वे अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते) ने कहा, 'एक लिबरल के रूप में मैं खुद वामपंथी हूं और मैं 'प्रतिगामी' वामपंथ को सामने लाना चाहता था. तथाकथित वामपंथियों की प्रवृत्ति है कि वे प्रतिगामी और अनुदारवादी स्टैंड लेकर प्रतिगामी ताकतों के खड़े हो जाते हैं. इस मामले में भी कार्यक्रम में जो वक्ता मौजूद थे वे इस्लामवादियों का समर्थन कर रहे थे, जिसे हम सामने लाना चाहते हैं.'

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो दिव्येश आनंद ने निराशा जताते हुए कहा था, 'एक समलैंगिक व्यक्ति के रूप में मैं शर्त लगा सकता हूं कि ये लोग समलैंगिक कार्यकर्ता नहीं थे. अगर वे इस समुदाय से ताल्लुक रखते तो हर पीड़ित तबके के साथ अपनी सहानुभूति जताते.'

चेहरा ढक कर आए RSS के लोग: कृष्णन

भाकपा माले की नेता कविता कृष्णन ने कहा, 'चेहरा ढक कर आए ये लोग आरएसएस के लोग हैं जो अपने को समलैंगिक कार्यकर्ता दिखा रहे हैं. यह इसी से समझा जा सकता है कि वे वामपंथियों के खिलाफ बोल रहे थे, जबकि वामपंथी LGBT समुदाय के अधिकारों का समर्थन करता है, जबकि आरएसएस इसका समर्थन नहीं करता. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी पार्टी प्रवक्ता के रूप में टीवी चैनलों पर इस समुदाय के खिलाफ बयान देते हैं.'

आरएसएस से किसी तरह के संबंध से इनकार करते हुए अमिताभ ने आयोजकों की इस प्रतिक्रिया को 'एक हिंदूफोबिक ध्रुवीकरण' बताया. उन्होंने कहा, 'हमारे ग्रुप में हिंदू, सिख और मुस्लिम सभी शामिल हैं.'

चेहरा ढकने के सवाल पर प्रतिक्रिया

आम जनता की तरह आने के बजाय उन्होंने चेहरा क्यों ढक, इस सवाल पर अमिताभ ने कहा, 'हम एशियाई हैं, Queer हैं, और हमारी इस पहचान के बारे में हर कोई नहीं जानता. स्मार्टफोन के दौर में हम नहीं चाहते थे कि हमारी शक्लें वायरल हो जाएं. इससे न सिर्फ हमें नौकरियों में परेशानी आएगी, बल्कि हमारे परिवारों के लोग भी आहत होंगे. हम युवा हैं और संवेदनशील हैं, हम नहीं चाहते हैं इस्लामिस्ट और पाकिस्तानी लॉबी हमें प्रताड़ित करे. यह असली खतरा है और यह पहले भी कई बार हो चुका है. हम जिनका विरोध कर रहे थे, वे हमारी स्कॉलरशिप रोक कर हमें क्षति पहुंचा सकते हैं. वे ताकतवर लोग हैं और हमें परेशान कर सकते हैं. अगर वे हमें पहचान लेते तो उसके बाद हम उनकी दया पर होते.'

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