लंदन की एसओएएस यूनिवर्सिटी में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में पांच नकाबपोश छात्रों ने हंगामा किया. यह कार्यक्रम कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के विरोध में साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप ने शनिवार (5 अक्टूबर) को आयोजित किया था. एसओएएस (स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज) लंदन का एक प्रतिष्ठित शोध संस्थान है.
कार्यक्रम में बीच में 5 नकाबपोश लोग हाथ में बैनर लिए वहां पहुंचे और कार्यक्रम में व्यवधान उत्पन्न किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर के स्कूल ऑफ सोशल साइंस के हेड दिव्येश आनंद कर रहे थे.
London: A group of students wearing masks barged into event organised by South Asia Solidarity group at SOAS University, with rainbow banner reading, 'Gay for J&K' & '370 is Homophobic.' Actvist Kavita Krishnan and writer Nitasha Kaul were speaking at the event. pic.twitter.com/rTAYhm89zj
— ANI (@ANI) October 5, 2019
अनुच्छेद 370 की आलोचना, उठाए सवाल
इसके अलावा इस कार्यक्रम में भाकपा माले की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी की डॉ. निताशा कौल और कई अन्य लोग शामिल थे. कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की आलोचना की जा रही थी और सवाल उठाए जा रहे थे.
नकाबपोश छात्रों के हाथों में बैनर थे जिनमें वामपंथियों को 'प्रतिगामी' कहा गया था. ये छात्र यह कहने की कोशिश कर रहे थे कि जम्मू- अश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से वहां अन्य अल्पसंख्यकों के साथ LGBT समुदाय को भी समान अधिकार मिले गए हैं. अनुच्छेद 370 को बहाल करने का मतलब होगा वही भेदभाव पुन: लौटाना जो उनके साथ होता रहा है.
अलग-अलग यूनिवर्सिटी से थे छात्र
नाम न छापने की शर्त पर विश्वसनीय सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि ये सभी अलग अलग यूनिवर्सिटी के छात्र थे और अपनी पहचान छुपाने के लिए चेहरे को ढंके हुए थे, क्योंकि वे अपने लिए कोई मुश्किल नहीं खड़ी करना चाहते. उन्होंने हमें अपना एक बयान भेजा है, जिसमें कहा गया है कि अगर आप देखें कि कैसे जम्मू और कश्मीर में LGBT समुदाय के अधिकारों को कुचला जा रहा था तो आपकी आंखें खुल जाएंगी.
'समलैंगिक कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम में व्यवधान डाला'
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो दिव्येश आनंद ने इंडिया टुडे से कहा, 'एक समलैंगिक व्यक्ति के रूप में मैं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहा था. यह देखना बेहद निराशाजनक है कि कैसे जानबूझ कर समलैंगिक कार्यकर्ताओं ने हमारे कार्यक्रम में व्यवधान डाला. उन्होंने हमें सुना तक नहीं. मैं शर्त लगा सकता हूं कि ये लोग समलैंगिक कार्यकर्ता नहीं थे. अगर वे इस समुदाय से ताल्लुक रखते तो हर पीड़ित तबके के साथ अपनी सहानुभूति जताते.'
चेहरा ढककर आए आरएसएस के लोग: कविता कृष्णन
कार्यक्रम में व्यवधान डालने वालों से बात करने वाली भाकपा माले की नेता कविता कृष्णन ने कहा, 'चेहरा ढककर आए ये लोग आरएसएस के लोग हैं जो अपने को समलैंगिक कार्यकर्ता दिखा रहे हैं. यह इसी से समझा जा सकता है कि वे वामपंथियों के खिलाफ बोल रहे थे, जबकि वामपंथी LGBT समुदाय के अधिकारों का समर्थन करता है. जबकि आरएसएस इसका समर्थन नहीं करता. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी पार्टी प्रवक्ता के रूप में टीवी चैनलों पर इस समुदाय के खिलाफ बयान देते हैं.'