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1976 में न्यूयॉर्क में जगन्नाथ यात्रा में ट्रंप ने क्या मदद की थी, जिसे याद कर ISKCON ने कहा- प्रभु ने बचा ली जान!

इस्कॉन ने कहा कि आज से ठीक 48 साल पहले ट्रंप जगन्नाथ रथयात्रा के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे थे. ऐसे समय में जब आज दुनिया एक बार फिर जगन्नाथ रथयात्रा का जश्न मना रही है. ट्रंप पर हुए हमले को लेकर कहा जा सकता है कि भगवान जगन्नाथ ने उनकी जान बचाई है.

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ट्रंप पर हमला चर्चा में
ट्रंप पर हमला चर्चा में

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले को लेकर इस्कॉन (Iskcon) ने बड़ा बयान दिया है. इस्कॉन का कहना है कि इस जानलेवा हमले में ट्रंप की जान दैवीय कृपा की वजह से बची है. 

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इस्कॉन ने कहा कि आज से ठीक 48 साल पहले ट्रंप जगन्नाथ रथयात्रा के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे थे. ऐसे समय में जब आज दुनिया एक बार फिर जगन्नाथ रथयात्रा का जश्न मना रही है. ट्रंप पर हुए हमले को लेकर कहा जा सकता है कि भगवान जगन्नाथ ने उनकी जान बचाई है.

इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ट्रंप ने 1976 में रथों के निर्माण के लिए मुफ्त में अपना ट्रेन यार्ड मुहैया कराकर इस्कॉन भक्तों की रथयात्रा आयोजित करने में मदद की थी. आज जब दुनिया नौ दिन के जगन्नाथ रथयात्रा का उत्सव मना रही है, ऐसे में उन पर यह भयानक हमला और उनका बाल-बाल बचना जगन्नाथ की कृपा को दर्शाता है. 

उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क सिटी में पहली जगन्नाथ रथ यात्रा 1976 में 30 साल के उभरते हुए रियल एस्टेट मुगल ट्रंप की मदद से शुरू हुई थी. आज से लगभग 48 साल पहले जब इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) न्यूयॉर्क में पहली रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रहा था, तो सामने बहुत चुनौतियां थी. ऐसे में फिफ्थ एवेन्यू रोड पर रथयात्रा को मंजूरी देना किसी चमत्कार से कम नहीं था. ऐसी खाली जगह को ढूंढना, जहां रथों को तैयार किया जा सके, वो भी आसान नहीं था. ऐसे में हरसंभव मदद के लिए हर दरवाजा खटखटाया गया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसे में ट्रंप कृष्ण भक्तों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे.

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भक्तों की निराशा चरम पर थी, उनकी उम्मीदें लगभग टूट चुकी थी. जिन फर्म मालिकों से संपर्क किया गया था, उनमें से लगभग सभी ने कहा कि वे पेंसिल्वेनिया रेल यार्ड में उस जमीन को बेचने जा रहे हैं. जगन्नाथ यात्रा के लिए रथों के निर्माण के लिए ये जगह सबसे उपयुक्त थी. कुछ दिन बाद उन्हें बताया गया कि ट्रंप ने पुराने रेलवे यार्ड की जमीन खरीद ली है. भक्त प्रसाद के साथ ट्रंप के ऑफिस पहुंचे. ट्रंप के सेक्रेटरी ने वह प्रसाद लिया लेकिन साथ ही ये भी कहा कि जिस काम के लिए हम आए हैं, ट्रंप उससे सहमत नहीं होंगे. लेकिन यहां चमत्कार होने वाला था.

उन्होंने पोस्ट में कहा कि तीन दिन बाद ट्रंप के सेक्रेटरी ने भक्तों को बुलाकर कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या हुआ लेकिन उन्होंने (ट्रंप) आपका पत्र पढ़ा और तुरंत हां कर दी. ट्रंप ने रथों के निर्माण के लिए ओपन रेल यार्ड का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी थी.

ट्रंप पर कैसे हुआ था हमला?

अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में रविवार को एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे कि तभी तड़ातड़ गोलियां चलने लगीं. एक गोली ट्रंप के दाहिने कान के ऊपरी हिस्से को छूकर निकली. ट्रंप के कान से खून छलछला उठा, तभी सिक्योरिटी गार्ड्स आए और उन्होंने ट्रंप को चारों तरफ से घेरकर घटनास्थल से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. वहीं सीक्रेट सर्विस के ने हमलावर को मौके पर मार गिराया. 

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ट्रंप के बाल-बाल बचने के बाद कहा जा रहा है कि टेलीप्रॉम्प्टर का इस्तेमाल न करने का फैसला उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ. दरअसल, ट्रंप अपनी रैली के दौरान टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आज पहली बार उन्होंने कहा कि वह इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि मैं आज टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल नहीं करूंगा और आपसे सीधा संवाद करूंगा. तभी फायरिंग हुई और गोली उनके कान को छूकर निकल गई. 

ट्रंप पर हमले की पादरी ने की थी भविष्यवाणी

अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमले से कई महीने पहले ही एक पादरी ने इस हमले की भविष्यवाणी कर दी थी. ट्रंप पर हमले की भविष्यवाणी करने वाले पादरी का नाम ब्रैंडन बिग्स है. इस वीडियो में बिग्स कहते हैं कि भगवान ने उन्हें ऐसी बहुत सारी घटनाओं के बारे में बताया है, जो अमेरिका में जल्द होने जा रही हैं. भगवान ने कहा है कि अभी अमेरिका में बहुत कुछ होना है.

इस वायरल वीडियो में बिग्स कहते हैं कि मैंने ट्रंप पर जानलेवा हमले देखा है, मैंने देखा है कि बुलेट उनके कान को छेदती हुई चली गई. यह गोली उनके सिर के इतने नजदीक से गई कि इससे उनके कान के पर्दे फट गए. मैंने ये भी देखा कि वह इस बीच जमीन पर गिरे और भगवान को याद करने लगे.  मैंने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव जीतते भी देखा.

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