नेपाल में भारतीय मूल के मधेसी नेताओं ने सोमवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से अपनी पहली मुलाकात के दौरान राजनीतिक गतिरोध खत्म करने के लिए उन्हें अपनी 11 सूत्री मांग पेश की लेकिन त्रिपक्षीय बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली. इस बैठक के दौरान विपक्षी नेपाल कांग्रेस के प्रतिनिधि भी थे.
बातचीत के बाद सरकार और मधेसियों ने कहा कि कोई समझौता नहीं हुआ लेकिन बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ी और वे बुधवार को फिर मुलाकात और बातचीत के लिए सहमत हुए. सरकार और विपक्षी दल मधेसी दलों की मांग पर साझा रुख तय करने के लिए बुधवार की मुलाकात से पहले फिर एक बार बातचीत करेंगे.
PM ने इन मुद्दों पर खींचा ध्यान
प्रधानमंत्री ओली के प्रेस सलाहकार प्रमोद दहल ने कहा कि मुलाकात के दौरान ‘दोनों पक्ष मधेसी दलों से जुड़े मुद्दों का द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय वार्ता के जरिए हल करने पर सहमत हुए.’ यह ओली और प्रदर्शनकारी मधेसी दलों के प्रतिनिधियों के बीच पहली बैठक थी. ओली ने मधेसी नेताओं का ध्यान उनके द्वारा भारत की सीमा के समीप सीमापार व्यापार चौकियों पर करीब तीन महीने से जारी आंदोलन से देश के सामने उत्पन्न गंभीर संकट के प्रति लाया है. सरकार ने प्रदर्शन के दौरान हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर भी ध्यान खींचा.
मधेसी नेताओं ने भी गिनाई समस्याएं
मधेसी नेताओं ने उनके आंदोलन को दबाने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा अत्यधिक बल के प्रयोग की ओर सरकार का ध्यान खींचा. भारतीयों के साथ मजबूत संस्कृति और पारिवारिक नाते रखने वाले मधेसियों ने दक्षिण नेपाल में आम हड़ताल कर रखी है जिससे देश में ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुओं की किल्लत पैदा हो गई है.
शांतिपूर्वक समाधान निकालने पर चर्चा
मधेसी नेताओं ने सरकार को अपनी 11 सूत्री मांग पेश की जिस पर दोनों पक्षों ने चर्चा की. उनकी मांग में प्रांतों का पुनर्सीमांकन, जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण और आनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग शामिल है. बैठक के दौरान सरकार और मधेसी दलों ने एक दूसरे से हिंसा छोड़ने और वार्ता के शांतिपूर्ण माध्यम से समस्या का हल ढूंढ़ने की अपील की.
मधेसी नेताओं ने कहा कि सरकार के आश्वासन के बावजूद, प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों को 10 लाख रुपये मुआवजा नहीं मिला, जिसकी उसने घोषणा की थी.
- इनपुट भाषा