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क्या ब्रिटेन में रणजीतसिंहजी का नाजायज बेटा था?

इंग्लैंड की ओर से टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले पहले भारतीय महाराजा रणजीतसिंहजी का शायद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शिक्षक की बेटी से नाजायज बेटा था जिसका जन्म 100 साल से भी पहले हुआ. एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

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महाराजा रणजीतसिंहजी (फाइल फोटो)
महाराजा रणजीतसिंहजी (फाइल फोटो)

इंग्लैंड की ओर से टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले पहले भारतीय महाराजा रणजीतसिंहजी का शायद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शिक्षक की बेटी से नाजायज बेटा था जिसका जन्म 100 साल से भी पहले हुआ. एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

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रणजी नाम से लोकप्रिय रणजीत सिंह जी का जन्म नवानगर में हुआ और वह 1907 में महाराजा जाम साहिब के रूप में यहां के महाराज बने. उन्हीं के नाम पर भारत में घरेलू टूर्नामेंट रणजी टॉफी खेला जाता है.

लव अफेयर को दबा दिया गया!
‘द संडे टाइम्स’ के अनुसार रणजीतसिंहजी का कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के अपने शिक्षक की बेटी के साथ प्रेम संबंध था जिस मामले को दबा दिया गया.

रणजी ने जुलाई 1896 में इंग्लैंड की ओर से आस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण किया और अपनी पहली पारी में ही 154 रन बनाए जो टीम के 305 रन के कुल स्कोर के आधे से भी अधिक रन थे. इस सत्र के दौरान रणजी ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 2780 रन बनाए और डब्ल्यूजी ग्रेस का रिकार्ड तोड़ा.

जूता बनाने वाले ने लिया गोद
अखबार के मुताबिक माना जाता है कि यह रिकॉर्ड तोड़ने के कुछ महीने के भीतर कैम्ब्रिज में रणजी के टीचर रीवरेंड लुइस बोरीसो की बड़ी बेटी एडिथ बोरीसो ने रणजीत सिंह के बेटे को जन्म दिया.

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जन्म प्रमाण पत्र के मुताबिक बोरीसो के बेटे बर्नार्ड किर्क का जन्म 22 मई 1897 को हुआ. प्रमाण पत्र में पिता के नाम का जिक्र नहीं है. बर्नार्ड को बाद में ब्रेडफोर्ड में जूता बनाने वाले पाल बियर्डमोर और उनकी पत्नी जेन ने गोद ले लिया और उन्हें इस परिवार का उपनाम मिला.

बर्नार्ड ने बाद में वेल्डर और बायलर में काम करने वाले के रूप में ट्रेनिंग की. उनके पोते ने बताया कि एडिथ ने बाद में अपने बेटे से मिलने के कई असफल प्रयास किए. 20 बरस की उम्र में बर्नार्ड ने क्लेरिस ब्रेशा के साथ शादी की. वर्ष 1976 में 79 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

बर्नार्ड की पड़पोती कैथरीन रिचर्डसन ने कहा, 'मेरे पड़दादा के बारे में परिवार में कई सूचनाएं चलती आई हैं लेकिन हमें हमेशा यही बताया गया कि उनके पिता रणजी थे. इसमें कोई संदेह नहीं.' हालांकि, इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि रणजी का बर्नार्ड के साथ कोई संपर्क था लेकिन टीम में रणजी को शामिल करने के लिए लॉबिंग करने वाले उनके मित्र और यार्कशायर और इंग्लैंड के कप्तान लार्ड हॉक ने बर्नार्ड को कई पत्र लिखे और माना जाता है कि अप्रैल 1933 में 30 साल की उम्र में रणजी की मौत से भी उन्हें अवगत कराया.

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