महाराष्ट्र के अकोला में संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने आसाराम के आश्रम पर पथराव कर तोड़-फोड़ की है. जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट के फैसले के बाद संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने पातुर रोड स्थित आश्रम पर जमकर पत्थरबाजी की और आश्रम में तोड़ फोड़ मचाई.
बता दें कि राजस्थान के अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के मामले में आरोपी स्वयंभू संत आसाराम बापू को जोधपुर की अदालत ने बुधवार को दोषी करार दिया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मामलों के विशेषज्ञ न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर केंद्रीय कारागर के अंदर अपना फैसला सुनाया. आसाराम इसी जेल में कैद हैं.
आसाराम (77) को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 और बाल यौन अपराध निषेध अधिनियम (पोस्को) और किशोर न्याय अधिनियम (जेजे) के तहत दोषी ठहराया गया. दो अन्य सह-आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया.
पुलिस ने छह नवंबर, 2013 को पोस्को अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आसाराम और चार अन्य सह- आरोपियों शिल्पी, शरद, शिवा और प्रकाश के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था.
जानकार सूत्रों ने बताया कि अदालत ने शिल्पी (आश्रम की वॉर्डन) और शरद को भी दोषी ठहराया है, जबकि शिवा और प्रकाश को इस मामले में बरी कर दिया है. आसाराम गुजरात में दायर यौन उत्पीड़न के एक अन्य मामले का भी सामना कर रहे हैं.
विशेष न्यायाधीश शर्मा ने जोधपुर की अदालत में सात अप्रैल को इस मामले में अंतिम बहस पूरी कर ली थी और फैसला सुनाने के लिए 25 अप्रैल (बुधवार) की तिथि निर्धारित की थी.
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक किशोरी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद 2013 में आसाराम को गिरफ्तार किया गया था. किशोरी ने उन पर जोधपुर के बाहरी इलाके के मनई गांव स्थित आश्रम में 15 अगस्त, 2013 को उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. पीड़िता मध्य प्रदेश के उनके छिंदवाड़ा आश्रम में 12वीं कक्षा की छात्रा थी.
आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर, 2013 को जोधपुर लाया गया था. दो सितंबर, 2013 को उन्हें न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया था. इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था.