पाकिस्तान के आम चुनावों में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को तगड़ी बढ़त मिलने के बाद इसके प्रमुख नवाज शरीफ का तीसरी दफा देश का प्रधानमंत्री बनना अब लगभग तय है.
नेशनल असेंबली की 272 सीटों में से जिन 156 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं, उनके मुताबिक, पीएमएल-एन ने 89 सीटें जीत ली हैं जबकि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को 15 और इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को 21 सीट मिले हैं. वहीं, 31 सीटों पर अन्य पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा कर लिया है.
सबको साथ लेकर चलूंगा: नवाज शरीफ
उधर पाकिस्तान की जनता के फैसले पर पीएमएल-एन नेता नवाज शरीफ ने खुदा का शुक्रिया किया है. लाहौर में अपनी पार्टी के मुख्यालय में जमा समर्थकों को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि अल्लाह ने एक बार फिर देश की सेवा करने का मौक़ा दिया है, वो सबको साथ लेकर चलेंगे. नवाज़ शरीफ़ ने कहा कि मैं सभी पार्टियों से अपील करता हूं कि वो मेरे साथ बातचीत की मेज पर आएं और देश की समस्याओं का मिलकर समाधान करें.
लाहौर स्थित अपने आवास पर अपने उत्साहित समर्थकों को संबोधित करते हुए शरीफ ने पीएमएल-एन की जीत का ऐलान किया और लोगों से आखिरी नतीजों के लिए दुआ मांगने को कहा. आखिरी नतीजे रविवार को घोषित होने की संभावना है. शरीफ ने कहा कि आखिरी नतीजे उनकी पार्टी के लिए ‘स्पष्ट बहुमत’ लेकर आएंगे ताकि उन्हें एक कमजोर गठबंधन की अगुवाई नहीं करनी पड़े.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नतीजे अब भी आ रहे हैं पर एक बात की तस्दीक हो चुकी है, और वह यह है कि पीएमएल-एन चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है.’ शरीफ ने कहा, ‘मैं आपसे सुबह में आने वाले नतीजों के लिए दुआ करने को कहता हूं. सुबह के नतीजे बताएंगे कि पीएमएल-एन बाहरी समर्थन के बगैर सरकार बना सकती है ताकि पीएमएल-एन को किसी और का समर्थन नहीं मांगना पड़े.’
शरीफ ने कहा कि वह बिजली गुल रहने की समस्या से निजात दिलाने, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और भ्रष्टाचार का मुकाबला करने सहित वे सभी वादे पूरे करने को तैयार हैं जो उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान किए थे. उन्होंने कहा, ‘हमारा एजेंडा और कार्यक्रम लोगों की स्थिति में बदलाव लाना है. हमें अपनी स्थिति में बदलाव का फैसला करना चाहिए क्योंकि अल्लाह सिर्फ उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करने का फैसला करते हैं.’ दो बार प्रधानमंत्री रह चुके शरीफ ने सभी दलों से अपील की कि वे पीएमएल-एन के साथ मिल-बैठकर पाकिस्तान के सामने मौजूद समस्याओं के समाधान पर विचार-विमर्श करें.
इमरान खान, जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान पीएमएल-एन नेताओं पर व्यक्तिगत जुबानी हमले किए थे, पर लक्षित अपनी टिप्पणी में शरीफ ने कहा, ‘मैंने किसी को गाली नहीं दी पर जिन्होंने मेरे लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया उन्हें मैं माफ करता हूं.’ विश्लेषकों का कहना है कि पीएमएल-एन का शानदार प्रदर्शन शरीफ के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम जैसे छोटे दक्षिणपंथी दलों के समर्थन से केंद्र में सरकार बनाना संभव करेगा.
सूत्रों ने बताया कि पीएमएल-एन को पीपीपी के साथ सरकार बनाने से भी परहेज नहीं होगा क्योंकि पार्टी के नेता इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ के साथ गठबंधन के लिए तैयार नहीं हैं.
साधारण बहुमत के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को नेशनल असेंबली की 272 सीटों में से 137 सीटें हासिल करनी होती हैं. 272 सीटों के लिए आम चुनाव कराए गए हैं. महिलाओं और गैर-मुसलमानों के लिए आरक्षित 70 सीटें चुनावों में राजनीतिक दलों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें आवंटित की जाएंगी. ऐसे में 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत पाने के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को 172 सीटें चाहिए.
इमरान खान दो सीटों पर विजयी, एक पर हारे
क्रिकेट की दुनिया से राजनीति में आए इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान में हो रहे ऐतिहासिक आम चुनावों में दूसरा स्थान पाने की दिशा में बढ़ रही है. खुद इमरान नेशनल असेंबली की दो सीटों पर चुनाव जीत गए लेकिन लाहौर में वह चुनाव हार गए हैं. जियो न्यूज की खबर में कहा गया है कि पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ के अध्यक्ष इमरान पंजाब प्रांत में नेशनल असेंबली. 71 मियांवाली सीट पर भारी मतों के अंतर से जीत गए हैं. उन्हें 101,000 वोट मिले.
तालिबान सरीखे आतंकवादी समूह की ओर से मिली जान से मारने की धमकियों के बावजूद बड़ी संख्या में पाकिस्तान मतदाताओं ने नेशनल एसेंबली और प्रांतीय एसेंबलियों के लिए शनिवार को हुए मतदान में अपने मताधिकार का प्रयोग किया. मतदान समाप्त होते ही मतगणना आरंभ हो गई.
धमकी बेअसर, मतदाताओं ने दिखाया जोश
पाकिस्तान में शनिवार को हुए आम चुनाव में तालिबान की धमकी पर मतदाताओं का उत्साह भारी पड़ा. नई संसद और चार प्रांतीय असेम्बलियों के लिए हुए मतदान में तालिबान की ओर से हमले के जोखिम को दरकिनार करते हुए लाखों मतदाताओं ने पूरे जोशोखरोश के साथ हिस्सा लिया. इस दौरान हुए बम विस्फोटों और हिंसा की अन्य वारदाताओं में 15 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए.
1947 में मिली आजादी के बाद यह पहला मौका है जब लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई किसी सरकार ने पांच वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा किया है. देश में यह पहला मौका है जब एक चुनी हुई सरकार से सत्ता दूसरी चुनी हुई सरकार के हाथों में जा रही है. देश की खराब होती आर्थिक दशा और आतंकवादी हमलों से जूझ रहे मतदाताओं ने बदलाव और बेहतरी की उम्मीद से मतदान किया. नेशनल असेम्बली की 342 में से 269 और चार प्रांतीय असेम्बलियों, पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खबर पख्तूनख्वा की 728 सीटों के लिए एक साथ मतदान कराए गए हैं.