तालिबान के हमले में जीवित बची पाकिस्तानी किशोरी मलाला यूसुफजई ने अब महिलाओं का 'खतना' किए जाने के विरोध में आवाज उठाई है. उन्होंने ब्रिटेन में खतना से होने वाली महिला जननांग विकृति (Female Genital Mutilation) के खिलाफ अभियान का समर्थन किया है.
16 वर्षीय स्कूली छात्रा मलाला अब ‘हर लड़की के लिए शिक्षा के अधिकार के अपने वैश्विक अभियान’ के साथ इस मुद्दे पर भी ब्रिटिश स्कूलों में व्यापक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से अपने किशोर साथियों के अभियान के साथ जुड़ गई हैं. मलाला अब बर्मिंघम में बस गई हैं.
‘गार्डियन’ के साथ साक्षात्कार में मलाला ने 17 वर्षीय फहिमा मोहम्मद के अभियान की प्रशंसा की और FGM को लेकर स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए आह्वान किया.
मलाला ने कहा, ‘मैं फाहिमा के अभियान के प्रत्येक चरणों कों देखती हूं और मैं समझती हूं कि इतनी छोटी उम्र में वे काफी बड़ा काम कर रही हैं. 14 करोड़ से अधिक लड़कियों और औरतों को विकृत कर दिया जाता है. लेकिन पाकिस्तान में जिस तरह से लड़कियों को शिक्षा से दूर रखा जाता है, ऐसे में हमें अगली पीढ़ी के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर और मजबूती से इन चुनौतियों का सामना करना होगा. मैं उनकी बहन की तरह हूं और मैं उनके साथ हूं.’
आखिर क्या होता है खतना...
खतना में महिलाओं के जननांगों के क्लिटोरिस (Clitoris) का हिस्सा काट दिया जाता है. यानी महिला के जननांग का बाहर रहने वाला सारा हिस्सा काट दिया जाता है. केवल मूत्रत्याग और माहवारी के लिए छोटा द्वार छोड़ दिया जाता है. खतना के कारण संभोग व बच्चे पैदा करने में भारी तकलीफ संभव है. यहां तक कि इससे किसी की मौत भी हो सकती है.
ऐसी मान्यता है कि खतना कर दिए जाने से सेक्स के प्रति महिलाओं की रुचि कम हो जाती है. इंग्लैंड में रह रही पूर्वी अफ्रीकी देशों की महिलाओं को भी इस प्रथा का सामना करना पड़ रहा है. यह अब इंग्लैंड की भी परेशानी का सबब बनता जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन और फ्रांस में करीब 20 हजार युवा महिलाएं खतने के कारण FGM के खतरे से गुजर रही हैं.