तालिबान ने पाकिस्तान की स्वात घाटी में लड़कियों के स्कूल जाने के खिलाफ फतवा जारी किया हुआ था. लेकिन तालिबान के फतवे की परवाह न करते हुए 14 साल की एक लड़की जब 9 अक्टूबर 2012 को स्कूल गई तो तालिबानी आतंकवादियों ने उसे गोली मार दी.
मलाला यूसुफजई नाम की उस लड़की के सिर में गोली लगी थी, लेकिन वह किसी तरह बच गई. करीब दो महीने तक उसका ब्रिटेन के अस्पताल में इलाज चला और फिर वह दुनिया के लिए मिसाल बन गई. आज मलाला दुनियाभर में बालिकाओं की शिक्षा की पैरोकारी करने वाला जाना पहचाना चेहरा बन गई है.
मलाला 9 अक्टूबर 2012 को यही ड्रेस पहनकर स्कूल जा रही थी, जब उसे तालिबानी आतंकवादियों ने गोली मार दी थी.
ठीक 2 साल एक दिन बाद 10 अक्टूबर 2014 को मलाला यूसुफजई को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया. मलाला ने दुनिया में सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार जीतने का कीर्तिमान कायम किया. उनके साथ बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाले भारत के समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी को भी नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया.
फाइल फोटो: 9 अक्टूबर 2012 को मलाला की मदद करते अस्पताल के कर्मचारी.
10 दिसंबर को ओस्लो सिटी हॉल में मलाला को उनका नोबेल पुरस्कार सौंपा जाएगा. जब तालिबान ने मलाला को गोली मारी थी तो उस समय उन्होंने जो स्कूल ड्रेस पहनी थी, उसे अब प्रदर्शनी के लिए खोला गया है. खून से लथपथ उस ड्रेस को नोर्वे की राजधानी के नोबेल पीस सेंटर में प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा.
खून से तथपथ यह शॉल भी मलाला के स्कूल ड्रेस का ही हिस्सा था.
फाइल फोटो: 9 अक्टूबर 2012 को स्वात घाटी के साइदू शरीफ टीचिंग अस्पताल में मलाला की मदद करते अस्पताल के कर्मचारी.
आतंकवादियों द्वारा गोली मारने से पहले की मलाला की पढ़ाई करते हुए एक तस्वीर.