08 मार्च 2014, रात के साढ़े 12 बज रहे थे और कुआलांलपुर एयरपोर्ट पर आम दिनों जैसी ही चहल-पहल थी. मलेशियाई एयरलाइंस का MH-370 विमान उड़ान भरने के लिए तैयार था और एक-एक कर पूरे 227 पैसेंजर प्लेन में सवार हुए. 12 क्रू मेंबर्स ने प्लेन की कमान संभाली और रात के ठीक 12 बजकर 41 मिनट पर विमान कुआलालंपुर से चीन की राजधानी बीजिंग के लिए उड़ चला. लेकिन टेकऑफ को अभी 38 मिनट ही हुए थे कि विमान का ट्रांसपॉन्डर बंद हो गया.
ट्रांसपॉन्डर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है और एयर ट्रैफिक कंट्रोल इसी डिवाइस के जरिए विमान और उसके रूट को जमीन से कंट्रोल करती है. ट्रांसपॉन्डर बंद होते ही विमान रडार से गायब हो गया और ऐसा गायब हुआ कि एक दशक से भी ज्यादा समय बाद उसके निशान नहीं मिल पाए हैं.
239 यात्रियों के साथ विमान का गायब होने से पूरी दुनिया सकते में आ गई. विमान में सवार 150 से ज्यादा यात्री चीन के थे. गायब विमान की तलाश के लिए 26 देश साथ आए है 18 शिप, 19 विमान और 6 हेलिकॉप्टरों से हिंद महासागर में विमान की तलाशी अभियान की शुरुआत हुई. हालांकि, इसका कोई नतीजा नहीं निकला और वर्षों तक खोजबीन के बाद तलाशी अभियान को 2017 में आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया.
विमान की तलाशी के लिए कई और अभियान शुरू किए गए लेकिन सभी बेनतीजा रहे. माना जाता है कि विमान हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में क्रैश कर गया.
फिर से खोजा जाएगा MH-370
अब मलेशिया की सरकार ने एक दशक से भी ज्यादा वक्त बाद फिर से एमएच-370 के तलाशी अभियान को मंजूरी दे दी है. विमानन जगत के सबसे बड़े रहस्यों में से एक का पता लगाने के लिए मलेशिया की सरकार ने टेक्सास स्थित मरीन रोबोटिक्स कंपनी Ocean Infinity को मंजूरी दे दी है. कंपनी 'नो फाइंड नो फी' के फंडे पर विमान को ढूंढने के लिए राजी हुई है यानी अगर वो विमान का मलबा नहीं ढूंढ पाई तो अपनी फीस नहीं लेगी.
बुधवार को एक बयान में मलेशिया के परिवहन मंत्री एंथनी लोके ने कहा कि कंपनी समुद्र के 15,000 स्कॉयर किलोमीटर के क्षेत्र में अपना सर्च ऑपरेशन चलाएगी. अगर कंपनी जहाज का मलबा ढूंढ लेती है तो मलेशिया की सरकार उसे 7 करोड़ डॉलर देगी.
कैसे गायब हुआ वो विमान जो 'कभी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हो सकता था'
एमएच 370 की तरह ही विमानन इतिहास में कई ऐसा रहस्यमयी घटनाएं हुई हैं जिसमें आसमान में उड़ रहा विमान गायब हो गया और उसका पता नहीं लग पाया. ऐसा ही एक और विमान था एयर फ्रांस का एयरबस A 330. इस विमान को लेकर कहा जाता था कि यह विमान कभी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हो सकता. विमान काफी एडवांस था जिसमें टेक ऑफ और लैंडिंग के बीच पायलट को सिर्फ 3 मिनट के लिए प्लैन हैंडल करने की जरूरत होती थी क्योंकि यह ऑटो पायलट मॉड पर चलने वाला विमान था.
एयरबस 330 मॉडल के विमान 1992 से उड़ान भर रहे थे लेकिन अब तक एक किसी विमान के साथ कोई दुर्घटना नहीं हुई थी.
लेकिन फिर आया 31 मई 2009 का वो दिन जब एयरबस 330 के एक विमान Air France Flight 447 ने 228 यात्रियों के साथ रियो डी जेनेरियो से पेरिस के लिए उड़ान भरी. शाम के साढ़े सात बजे विमान ने उड़ान भरी और करीब साढ़े दस घंटे बाद उसे पेरिस पहुंचना था. रात के करीब डेढ़ बजे विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ने लगा और अगले कुछ घंटे तक विमान ऐसे इलाके में उड़ने वाला था जहां रडार काम नहीं करते.
विमान जब पश्चिम अफ्रीका के देश सेनेगल की राजधानी डाकार के पास पहुंचता तो रडार की रेंज में आता. इसमें कुछेक घंटे लगने थे लेकिन ढाई घंटे बाद भी विमान दोबारा रडार पर नहीं दिखा जिससे एयर ट्रैफिक कंट्रोल के अधिकारी चिंता में पड़ गए. हफ्तों के सर्च अभियान के बाद जहाज का मलबा अटलांटिक में मिला. रेस्क्यू टीम ने 50 से अधिक शवों को समंदर से निकाला लेकिन उस वक्त पता नहीं चल पाया कि विमान आखिर किस वजह से क्रैश कर गया क्योंकि विमान का ब्लैक बॉक्स नहीं मिल पाया था.
विमान का ब्लैक बॉक्स दो साल बाद अप्रैल 2011 में अटलांटिक के अंदर 4 हजार फीट की गहराई से खोजा गया. ब्लैक बॉक्स से पता चला कि फ्लाइट के क्रैश की वजह खराब मौसम और पायलट की गलती थी. विमान बादल, कड़कती बिजली और बर्फ वाले बेहद खराब मौसम में फंस गया और पायलट ने मौसम के अनुकूल विमान को हैंडल नहीं किया जिससे विमान क्रैश हो गया. विमान में सवार ज्यादातर यात्रियों का अब भी पता नहीं चल पाया है.
फ्लाइंग टाइगर लाइन फ्लाइट 739
1962 में फ्लाइंग टाइगर लाइन फ्लाइट 739 विमान 93 अमेरिकी सैनिकों और 11 क्रू मेंबर्स के साथ प्रशांत महासागर में गायब हो गया. विमान के गायब होने के लेकर कोई सुराग नहीं मिला.
विमान अमेरिका के गुआम से फिलीपींस जा रहा था. गायब विमान को ढूंढने के लिए प्रशांत महासागर में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया. लेकिन न तो विमान का सुराग मिला और न ही उसमें सवार सैनिकों के शव. यह विमान दुर्घटना अभी भी एक रहस्य बनी हुई है.
ब्रिटिश साउथ अमेरिकन एयरवेज स्टार टाइगर
30 जनवरी 1948 को ब्रिटिश साउथ अमेरिकन एयरवेज का विमान स्टार टाइगर 25 यात्रियों और 6 क्रू मेंबर्स के साथ पुर्तगाल के अजोर द्वीप से बरमुडा के लिए रवाना हुआ. लेकिन बरमुडा पहुंचने से पहले ही विमान का संपर्क एयर ट्रैफिक कंट्रोल से टूट गया और यह दोबारा कभी नहीं दिखा. विमान का कोई मलबा भी बरामद नहीं हुआ. माना जाता है कि विमान बरमुडा ट्राएंगल की गर्त में समा गया.
स्टार टाइगर विमान हादसे के एक साल बाद ही ब्रिटिश साउथ अमेरिकन एयरवेज का एयरक्राफ्ट स्टार एरियल 17 जनवरी 1949 को गायब हो गया. एयरक्राफ्ट Avro Tudor IV बरमुडा से जमैका के किंग्सटन जा रहा था. विमान में 13 यात्रियों के अलावा 7 क्रू मेंबर्स सवार थे. आसमान बिल्कुल साफ था बावजूद इसके विमान बरमुडा ट्राएंगल के पास गायब हो गया जिसे लेकर बरमुडा ट्राएंगल को खतरे के रूप में देखा जाने लगा.