विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक ने मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाकात की है. मुलाकात से एक दिन पहले ही शुक्रवार को मलेशिया के प्रधानमंत्री ने जाकिर नाईक को प्रत्यर्पित कर भारत भेजने से इनकार कर दिया था. मोहम्मद ने कहा था कि जब तक वह हमारे देश में कोई दिक्कत खड़ी नहीं कर रहे हैं तब तक उनका प्रत्यर्पण नहीं किया जाएगा. जाकिर को मलेशिया की नागरिकता भी प्राप्त है.
बीते दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि जाकिर को भारत लाया जा सकता है, लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि ये खबरें सही नहीं हैं. इसके बाद इंडिया टुडे से बातचीत में जाकिर ने अपनी गिरफ्तारी और भारत आने की खबरों को खारिज किया था.
भारत ने जनवरी में मलेशिया सरकार से नाईक को स्वदेश भेजने का औपचारिक अनुरोध किया था. वह भारत में नफरत फैलाने वाले अपने भाषणों से युवाओं को आतंकवादी गतिविधयों के लिए उकसाने और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों का आरोपी है. दोनों देशों में प्रत्यर्पण संधि के बावजूद मलेशिया नाईक को भारत भेजने के लिए तैयार नहीं है.
भारत आने से इनकार
इंडिया टुडे से बातचीत में जाकिर ने कहा कि अभी मेरा भारत आने का कोई प्लान नहीं है, जब तक निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी तब तक वह नहीं आएंगे. इसके अलावा नाईक ने कहा कि जब मुझे लगेगा कि भारत में निष्पक्ष सरकार है वह तभी भारत वापस आएगा. गौरतलब है कि NIA ने 18 नवंबर 2016 को अपनी मुंबई ब्रांच में नाईक के खिलाफ यूएपीए कानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
आतंकी हमले से जुड़े हैं तार
नाईक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड विधान की धारा 20 (b), 153 (a), 295 (a), 298 and 505 (2) के तहत आरोप तय किए गए थे. बांग्लादेश में आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों ने जब जाकिर से प्रभावित होने की बात कबूली, तो वो एक जुलाई, 2016 को भारत से भाग गया. इसके बाद जाकिर के एनजीओ को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बैन कर दिया था.
कई देशों में बैन है नाईक का पीस टीवी
NIA ने जाकिर पर देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया था. आतंकी संगठन ISIS में शामिल होने के लिए देश छोड़ने वाले भारतीय युवकों ने भी भारतीय एजेंसियों को बताया था कि वे जाकिर के भाषण से प्रभावित थे. जाकिर नाईक के पीस टीवी को कई देशों में बैन किया गया है.