मालदीव में बढ़ते राजनीतिक गतिरोध के बीच देश में आपातकाल घोषित कर दिया गया है. मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने सोमवार को देश में आपातकाल घोषित कर दिया. देश की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद, जज अली हमीद और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया गया है.
भारत के पड़ोसी और हिन्द महासागर के छोटे से देश में राजनीतिक अस्थिरता मंडराने लगी है. रॉयटर्स ने मालदीव के आंतरिक मामलों के मंत्री के हवाले से कहा है कि यह आपातकाल 15 दिनों के लिए होगा. इस बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि फिलहाल मालदीव यात्रा से बचें.
इस बीच, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को उनके अलग हो चुके सौतेले भाई और राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा देश में आपातकाल लगाए जाने के थोड़ी देर बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया. गयूम की पुत्री युम्ना मौमून ने ट्विटर पर बताया कि 80 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को राजधानी माले स्थित उनके घर से ले जाया गया. गयूम 2008 में देश का पहला लोकतांत्रिक चुनाव होने से पहले 30 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे. गयूम विपक्ष के साथ थे और अपने सौतेले भाई को अपदस्थ करने के लिये अभियान चला रहे थे.
देश के सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसे मानने से राष्ट्रपति यमीन ने मना कर दिया. भारतीय समय के मुताबिक सोमवार शाम राष्ट्रपति की सहयोगी अजिमा शुकूर ने आपातकाल का ऐलान किया.
राष्ट्रपति के ऑफिस की ओर से कहा गया, "मालदीव के अनुच्छेद 253 के तहत अगले 15 दिनों के लिए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने आपातकाल का ऐलान कर दिया है. इस दौरान कुछ अधिकार सीमित रहेंगे, लेकिन सामान्य हलचल, सेवाएं और व्यापार इससे बेअसर रहेंगे."
इससे पहले स्थानीय सरकार ने कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार करते हुए संसद को स्थगित कर रखा है.
इस बीच मालदीव बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने ट्वीट कर जानकारी दी कि सुरक्षा बल सुप्रीम कोर्ट के गेट को तोड़कर अंदर घुस गए हैं. मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि कोर्ट को सुरक्षा बलों ने घेर लिया है.
Maldives CJ informed me that the security forces have blockaded and locked the Supreme Court building from outside and hence the justices are without any food now.
— Husnu Al Suood (@hsuood) February 5, 2018
न्यूज एजेंसी एएनआई ने स्थानीय सांसद इवा अबदुल्ला के हवाले से बताया कि सभी मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए हैं. और सुरक्षा बलों को नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ने और खोजने के लिए तैनात कर दिया गया है.
अब्दुल्ला यमीन ने 2013 से देश की कमान संभाल रखी है, लेकिन उन पर भारत और अमेरिका का दबाव है कि वो कैद की सजा पाए पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद को रिहा करे. नाशीद के अलावा 8 अन्य राजनीतिक लोगों को भी रिहा करने का दबाव सरकार पर है.
इससे पहले, सोमवार को यमीन ने कहा था कि कानूनी संकट के कारण सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक विरोधियों के रिहा करने के आदेश के पालन पर अमल करने में समस्या आ रही है.
4 लाख की आबादी वाले देश मालदीव अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन 2012 में इस द्वीप के चुने हुए पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति नाशीद की गिरफ्तारी के बाद से राजनीतिक संकट बना हुआ था. उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया गया.
उसी साल यमीन ने चुनाव में नाशीद को हरा दिया, जिससे राजनीतिक तनातनी और बढ़ गई. यमीन के राष्ट्रपति बनने के बाद उन पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाए गए. नाशीद को जनवरी, 2016 में इलाज के लिए इंग्लैंड जाने की इजाजत मिल गई और उसके बाद से निर्वासन में ही रहे और फिलहाल श्रीलंका में रह रहे हैं.
पिछले बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने माना कि नाशीद और अन्य लोगों पर चलाई गई न्यायिक प्रक्रिया सही नहीं थी. कोर्ट ने नए सिरे से पूरी जांच और ट्रायल करने का आदेश दिया है. सत्तारूढ़ पार्टी अक्टूबर में यमीन के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में लड़ने का विरोध कर रही है.