मालदीव सरकार ने अपने तीन मंत्रियों मरियम शिउना, मालशा शरीफ और महज़ूम माजिद के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है. इन तीनों मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ रविवार को अपमानजनक टिप्पणी की थी. इस मुद्दे को भारत ने मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार के समक्ष मजबूती से उठाया था. माले में भारतीय उच्चायुक्त ने मंत्री की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई तो मुइज्जू सरकार बैकफुट पर आ गई. लिहाजा मालदीव ने तीनों मंत्रियों के आपत्तिजनक बयान से खुद को दूर करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया. मालदीव सरकार की ओर से तुरंत लिए गए इस एक्शन के पीछे बड़ी वजह ये भी मानी जा रही है कि मुइज्जू इस मामले को तूल देना नहीं चाहती. क्योंकि इसका असर उसकी इकोनॉमी पर पड़ सकता है. जो कि बहुत हद तक पर्यटन पर आधारित है.
मालदीव की अर्थव्यवस्था अपने टूरिज्म पर बहुत ज्यादा निर्भर है. जो कि विदेशी मुद्रा आय और सरकारी राजस्व का बड़ा सोर्स है. टूरिज्म सीधे तौर पर मालदीव की जीडीपी का लगभग चौथाई हिस्सा है और परोक्ष रूप से जीडीपी का बहुत बड़ा हिस्सा है. अगर रोजगार की बात करें तो मालदीव के लोगों के लिए पर्यटन ही सबसे बड़ा आधार है. रोजगार में टूरिज्म का योगदान एक तिहाई से अधिक है. अगर इससे जुड़े क्षेत्रों को शामिल करें तो कुल रोजगार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) में पर्यटन का योगदान करीब 70 फीसदी तक है.
पर्यटन पर आधारित है मालदीव की इकोनॉमी
भारत से भारी संख्या में टूरिस्ट मालदीव जाते हैं. साल 2018 में भारत से इतने ज्यादा सैलानी मालदीव पहुंचे थे कि भारत मालदीव में टूरिस्ट्स आगमन का 5वां सबसे बड़ा सोर्स था. जानकार के मुताबिक 14,84,274 पर्यटकों में से लगभग 6.1% (90,474 से अधिक) टूरिस्ट भारत से थे. हालांकि 2019 में भारत से मालदीव जाने वाले सैलानियों की संख्या 2018 की तुलना में बढ़कर लगकर दोगुनी हो गई थी. 2019 में 1,66,030 सैलानी मालदीव गए थे. लिहाजा मालदीव जाने वाले सैलानियों में भारत दूसरे नंबर पर था.
कोरोना काल में मालदीव के लिए बड़ा सहारा बना था भारत
महामारी से प्रभावित 2020 में भारत मालदीव के लिए सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा. जिसमें लगभग 63,000 भारतीयों ने मालदीव का टूर किया था. जबकि 2021 में भारत से 2.91 लाख और 2022 में 2.41 लाख से अधिक भारतीय पर्यटकों मालदीव पहुंचे. भारत मालदीव के बाजार में 14.4 फीसदी हिस्सेदारी के साथ टॉप पर था. बात 2023 की करें तो पिछले साल (13 दिसंबर, 2023 तक) भारत से 193,693 पर्यटक मालदीव पहुंचे. भारत 11.1% बाजार हिस्सेदारी के साथ मालदीव के लिए दूसरा प्रमुख स्रोत बाजार रहा.
मालदीव कई मामलों में भारत पर निर्भर
मार्च 2022 में भारत और मालदीव एक ऐसी व्यवस्था के लिए सहमत हुए, जिससे दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी में और सुधार होगा. वहीं, भारत सरकार 8.95 करोड़ रुपये के भारतीय अनुदान के तहत माले में हुकुरु मिस्की की बहाली का भी समर्थन कर रही है. इसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने जून 2019 में मजलिस को अपने संबोधन के दौरान की थी. एएसआई की एक टीम वर्तमान में परियोजना को लागू करने के लिए स्थानीय कला मंत्रालय के साथ काम कर रही है. नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट, मालदीव में भारत की अब तक की सबसे बड़ी अनुदान परियोजना है. 222.98 करोड़ रुपये की इस योजना का उद्घाटन मार्च 2022 में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर की यात्रा के दौरान किया गया था.
चावल, फल, मसाले भी भारत से लेता है मालदीव
भारत 2021 में मालदीव के तीसरे सबसे बड़े व्यापार भागीदार के रूप में उभरा. मालदीव से भारत मुख्य रूप से स्क्रैप धातुएं आयात करता है. जबकि भारत मालदीव को विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग और औद्योगिक उत्पाद जैसे फार्मास्यूटिकल्स, रडार उपकरण, रॉक बोल्डर, सीमेंट निर्यात करता है. इसमें कृषि उत्पाद जैसे चावल, मसाले, फल, सब्जियां और पोल्ट्री उत्पाद भी शामिल हैं.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में लक्षद्वीप के दौर पर गए थे. वहां से लौटने के बाद उन्होंने लक्षद्वीप की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं. साथ ही भारतीयों से अपील की थी कि वह यहां घूमने का प्लान करें.इसके बाद मालदीव की युवा सशक्तिकरण मामलों की उप मंत्री मरियम शिउना ने पीएम मोदी के पोस्ट पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. भारत में इसका विरोध हुआ और सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी कड़ी निंदा की.
बयान पर आई मालदीव सरकार की सफाई
मालदीव सरकार के मंत्रियों की विवादित टिप्पणी पर भारत ने आपत्ति जताई तो मालदीव सरकार की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई. मुइज्जु सरकार ने कहा कि ये राय व्यक्तिगत हैं और मालदीव सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं. साथ ही कहा किउसका मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग लोकतांत्रिक और जिम्मेदार तरीके से किया जाना चाहिए, और ऐसे तरीकों से जिससे नफरत और नकारात्मकता न फैले और मालदीव और उसके अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच घनिष्ठ संबंधों में बाधा न आए. साथ ही चेतावनी दी कि सरकार के संबंधित अधिकारी ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे.
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने भी कड़ी निंदा की
इस मामले में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि मैं सोशल मीडिया पर मालदीव सरकार के मंत्रियों द्वारा भारत के खिलाफ इस्तेमाल की जा रही घृणास्पद भाषा की निंदा करता हूं. भारत हमेशा मालदीव का एक अच्छा दोस्त रहा है और हमें इस तरह की कठोर टिप्पणियों को हमारे दोनों देशों के बीच सदियों पुरानी दोस्ती पर नकारात्मक प्रभाव डालने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.