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मालदीव संकट: भारत करेगा SoP का पालन, चीन ने भी बनाई हुई है नज़र

सूत्रों ने कहा कि दक्षिण भारत के एक प्रमुख एयरबेस पर सैनिकों की गतिविधियां देखी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि एसओपी के मुताबिक, किसी आकस्मिक स्थिति या संकट से निपटने के लिए सैनिकों को पूरी तरह तैयार रखा जाता है. ऐसे एसओपी में कुछ भी असामान्य नहीं होता.

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मालदीव संकट (फाइल फोटो)
मालदीव संकट (फाइल फोटो)

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मालदीव की सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच जारी टकराव के कारण वहां पैदा हुए संकट के बीच भारत सरकार ने संकेत दिए कि भारत इस मामले में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन कर सकता है, जिसमें सेना को तैयार रखना शामिल है. मालदीव के हालात देखकर ‘‘परेशान’’ भारत एसओपी के तहत पहले ही यात्रा परामर्श जारी कर चुका है, लेकिन अधिकारियों ने सेना को तैयार रखने से जुड़े अहम पहलू की पुष्टि नहीं की थी.

सूत्रों ने कहा कि दक्षिण भारत के एक प्रमुख एयरबेस पर सैनिकों की गतिविधियां देखी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि एसओपी के मुताबिक, किसी आकस्मिक स्थिति या संकट से निपटने के लिए सैनिकों को पूरी तरह तैयार रखा जाता है. ऐसे एसओपी में कुछ भी असामान्य नहीं होता.

गौरतलब है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अपने देश का संकट सुलझाने के लिए आज भारत से राजनयिक एवं सैन्य दखल देने की अपील की है. मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने देश में आपातकाल लागू कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट के जजों को गिरफ्तार कर लिया है.

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भारतीय नौसेना मालदीव के चारों ओर के समुद्री लेनों में गश्त करती है, क्योंकि दोनों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग अच्छे हैं. भारत ने अपने नागरिकों से कह दिया है कि वे अगली सूचना तक मालदीव की गैर-जरूरी यात्राएं नहीं करें. एक परामर्श में विदेश मंत्रालय ने मालदीव में रह रहे भारतीयों से भी कहा कि वे वहां अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें.

लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति नशीद को 2012 में अपदस्थ करने के बाद इस देश ने कई राजनीतिक संकट देखे हैं. बीते गुरूवार को मालदीव में उस वक्त बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो गया जब सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद नौ नेताओं को रिहा करने के आदेश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन कैदियों पर चलाया जा रहा मुकदमा ‘‘राजनीतिक तौर पर प्रेरित और दोषपूर्ण’’ है. इन नौ नेताओं में नशीद भी शामिल हैं.

मालदीव खुद सुलझा सकता है अपना मसला- चीन

दूसरी तरफ चीन ने मंगलवार को उम्मीद जताई की मालदीव सरकार और विपक्षी पार्टियों के पास देश में उपजे राजनीतिक संकट को खुद सुलझाने की बुद्धिमत्ता है. वर्ष 2011 तक मालदीव में दूतावास तक नहीं बनाने वाले देश चीन ने हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित मालदीव में अपने हितों का विस्तार किया है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, "बीजिंग, मालदीव के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है."

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, "हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष बातचीत और संपर्क के द्वारा अपने मतभेदों को समाप्त कर सकते हैं. साथ ही देश में जल्द से जल्द राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्रीय व सामाजिक स्थिरता बहाल हो सकती है." गेंग ने कहा, "हमें विश्वास है कि मालदीव सरकार और राजनीतिक पार्टियां के पास खुद इस संकट को समाप्त करने की बुद्धिमत्ता और क्षमता है."

प्रवक्ता ने कहा, "हम यह भी चाहते हैं कि मालदीव अपने देश में चीनी लोगों, संस्थानों, परियोजनाओं को सुरक्षित बनाने के लिए तत्काल उपाय करे." वर्ष 2017 में मालदीव, पाकिस्तान के बाद चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला दूसरा देश बन गया था. यामीन सरकार के इस समझौते के बाद मालदीव की विपक्षी पार्टी और भारत सरकार ने चिंता जताई थी.

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