मालदीव में राजनीतिक संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं. देश में मची उथल-पुथल पर संयुक्त राष्ट्र ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन और विपक्ष के बीच मध्यस्थता करने का प्रस्ताव दिया, जिसे यामीन ने ठुकरा दिया.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति (यामीन) के समक्ष मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन राष्ट्रपति ने कहा कि वे इस स्थिति में मध्यस्थता नहीं चाहते.
मालदीव ने देश में जारी आपातकाल को 30 दिनों के लिए और बढ़ा दिया है. इस पर एंटोनियो ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मालदीव की स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है. यूएन देश में जारी राजनीतिक उठापटक से चिंतित हैं.
भारत के इस पड़ोसी देश में एक फरवरी से सियासी संकट चल रहा है. यहां सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत अन्य आठ नेताओं पर कई आरोपों को लेकर आतंकवाद के मामले में दोषी ठहराए जाने के फैसले को पलट दिया था. राष्ट्रपति यामीन ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने देश में आपातकाल लागू कर दिया, जो अब तक जारी है.
यामीन ने बुधवार को विपक्ष के साथ बातचीत का अपना प्रस्ताव फिर दोहराया. यामीन के इससे पूर्व के वार्ता के प्रस्ताव को लेकर नाशीद की मालदीवियन डेमोकेट्रिक पार्टी ने यूएन के महासचिव को पत्र लिखकर उनसे इस मामले में मध्यस्थता करने का आग्रह किया था. कोलंबो गजेट के मुताबिक, विपक्षी नेताओं ने यामीन के प्रस्ताव को लेकर संशय जाहिर किया था. उनका कहना था कि वे यह सोचकर चिंतित हैं कि यह अंतर्राष्ट्रीय दबाव कम करने के लिए एक चाल हो सकती है.
मालदीव के हालात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के जज तक डर के मारे अपने घर नहीं गए थे. उन्होंने कोर्ट में ही रात गुजारी थी. बाद में कई नेताओं के साथ ही मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश को गिरफ्तार कर लिया गया. सर्वोच्च न्यायालय के शेष तीन न्यायाधीशों ने नौ राजनीतिज्ञों की रिहाई के अदालत के फैसले को पलट दिया था.