अनुच्छेद 370 पर भारत को मालदीव का समर्थन मिला है. मालदीव सरकार ने कहा कि भारत ने अनुच्छेद 370 को लेकर जो फैसला किया है, वह उसका आंतरिक मामला है. सभी संप्रभू राष्ट्र के पास अधिकार है कि वह कानून में बदलाव कर सकता है.
जम्मू और कश्मीर से जुड़े हुए अनुच्छेद 35-ए और 370 के प्रावधानों में परिवर्तन के बाद से ही पाकिस्तान सरकार में बौखलाहट है. पाकिस्तान के उच्च अधिकारी जहां एक ओर लगातार कई बैठक कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी संसद में भारत सरकार के हालिया फैसले की गूंज सुनाई दे रही है.
अमेरिका का क्या कहना है?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा कि हम बहुत बारीकी से जम्मू-कश्मीर में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं. हमने भारत के उस घोषणा पर संज्ञान लिया है, जिसके जरिए उन्होंने अपने संविधान में जम्मू-कश्मीर की यथास्थिति में बदलाव किया है.
मोर्गन ओर्टागस ने यह भी कहा कि हमें चिंता है कि वहां (कश्मीर) में कुछ लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं. हमें व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान करना चाहिए. उन लोगों को खासतौर पर जिनके अधिकारों पर संकट है. हम सभी पक्षों से अपील करते हैं कि लाइन ऑफ कंट्रोल पर शांति बरती जाए.
भारत के समर्थन में आया श्रीलंका
जम्मू-कश्मीर से लद्दाख क्षेत्र के अलग होने पर जिस देश की सबसे सार्थक प्रतिक्रिया आई, वह है श्रीलंका. श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर से लद्दाख के अलग होने का रास्ता साफ हो गया है. लद्दाख की 70 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखती है. ऐसे में लद्दाख पहला भारतीय राज्य होगा, जहां बौद्ध बहुमत है. लद्दाख का पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है. यह एक सुंदर क्षेत्र है, जो यात्रा के लायक है.
इमरान खान पर लगातार उन्हीं के नेता यह दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह भारत ने कश्मीर पर यह फैसला ले लिया है. भारत सरकार के इस फैसले पर पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से गुहार लगाने की कोशिश कर रहा है. इमरान खान खुद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मदद की गुहार लगा चुके हैं, जब वे अपने अमेरिका दौरे पर थे.
सोमवार का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक दिन रहा. भारत ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रस्ताव को संसद में रखकर इतिहास रच दिया. भारत ने इशारों ही इशारों में साफ कर दिया कि कश्मीर हमारे लिए 'मुद्दा' नहीं है, कश्मीर पर लिया गया हर फैसला भारत का आंतरिक निर्णय है, जिसमें किसी भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है.